रुपाणी की बेटी ने उठाए सवाल- क्या मृदुभाषी होना गुनाह है..उस वक्त मोदी से पहले पहुंचे थे उनके पिता
![रुपाणी की बेटी ने उठाए सवाल- क्या मृदुभाषी होना गुनाह है..उस वक्त मोदी से पहले पहुंचे थे उनके पिता रुपाणी की बेटी ने उठाए सवाल- क्या मृदुभाषी होना गुनाह है..उस वक्त मोदी से पहले पहुंचे थे उनके पिता](https://janjwar.com/h-upload/2021/09/14/552824-images-29-16.jpeg)
(गुजरात के हटाए गए सीएम विजय रुपाणी की बेटी ने कई सवाल उठाए हैं)
जनज्वार। गुजरात के मुख्यमंत्री (CM of Gujrat) पद से हटाए गए विजय रुपाणी (Vijay Rupani) की बेटी राधिका ने कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने पिता की खासियतों और गुणों की चर्चा करते हुए पूछा है कि क्या राजनेता 'मृदुभाषी' और 'संवेदनशील' नहीं हो सकते ? क्या सिर्फ कठोर क्षवि ही राजनेताओं की पहचान होनी चाहिए?
रूपाणी के बेटी राधिका ने ऐसे लोगों को जमकर लताड़ा है। एक फेसबुक पोस्ट में रूपाणी की बेटी ने कहा है कि जब साल 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ था तो मोदी जी से पहले मेरे पिता जी वहां पहुंचे थे।
रूपाणी की 'मृदुभाषी छवि ने ही उनके खिलाफ काम किया' हेडलाइन का हवाला देते हुए राधिका (Radhika) ने आगे लिखा- क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता और कृपा नहीं होनी चाहिए? क्या यह एक जरूरी गुण नहीं है, जो हमें एक नेता में चाहिए? उन्होंने (रूपाणी) कड़े कदम उठाए हैं और जमीन हथियाने वाला कानून, "लव जिहाद", गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध कानून (गुजसीटीओसी), सीएम डैशबोर्ड (CM dashboard) जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। क्या कठोर चेहरे का भाव ओढ़े रहना…एक नेता की निशानी है?"
राधिका ने अपनी पोस्ट में लिखा, "कई लोगों के लिए मेरे पिता का कार्यकाल (tenure) एक कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ और कई राजनीतिक पदों (political posts) के जरिए मुख्यमंत्री तक पहुंचा, लेकिन मेरे विचार से मेरे पिता का कार्यकाल 1979 मोरबी बाढ़, अमरेली में बादल फटने की घटना, कच्छ भूकंप, स्वामीनारायण मंदिर (Swaminarayan temple) आतंकवादी हमले, गोधरा की घटना, बनासकांठा की बाढ़ से शुरू हुआ। ताउते तूफान और यहां तक कि कोविड के दौरान भी मेरे पिता पूरी जान लगाकर काम कर रहे थे।"
विजय रूपाणी की बेटी ने अपने फेसबुक पोस्ट (facebook post) का शीर्षक लिखा है- 'एक बेटी के नजरिए से विजय रूपाणी' राधिका ने लिखा कि बहुत कम लोग जानते हैं कि कोरोना और ताउते तूफान जैसी बड़ी दिक्कतों में मेरे पिता सुबह 2.30 बजे तक जगा करते थे और लोगों के लिए व्यवस्था कराते थे, फोन पर लगे रहते थे।"
राधिका ने बताया है कि उनके पिता कठिन समय में देर रात ढाई बजे तक लोगों के लिए काम किया करते थे। साथ ही सवाल उठाया है कि क्या सिर्फ कठोर छवि ही नेता की पहचान होती है? वह लंदन (London) में रहती हैं। उन्होंने रविवार (12 सितंबर, 2021) को ये बातें फेसबुक पोस्ट के जरिए कहीं। 'विजय रूपाणी फ्रॉम दि आईज ऑफ ए डॉटर' (एक बेटी की नजर से विजय रूपाणी) शीर्षक वाले पोस्ट में उन्होंने पिता की "मृदुभाषी" छवि को नष्ट करने वाले सभी लोगों की निंदा की। आगे पिता के सियासी जीवन (political life) के उदाहरणों का जिक्र किया और बताया कि कैसे वह एक "संवेदनशील" नेता बनना चाहते थे।
इस पोस्ट में राधिका ने उन सभी लोगों को आड़े हाथों लिया है जिनका कहना था कि उनकी 'मृदुल छवि' उनके फेल (fail) होने का कारण बनी। राधिका ने एक शीर्षक का हवाला देते हुए कहा कि रूपाणी की 'मृदुभाषी छवि ने उनके खिलाफ काम किया।'
राधिका कहती हैं: "क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होना चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुण (important quality) नहीं है जो हमें एक नेता में चाहिए? उन्होंने (रूपाणी ने) कड़े कदम उठाए हैं और भूमि हथियाने वाला कानून, लव जिहाद, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण (Gujrat terrorist controller act) और संगठित अपराध अधिनियम (गुजसीटीओसी) जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। क्या कठोर चेहरे का भाव पहनना...एक नेता की निशानी है?"
बता दें कि विजय रूपाणी के बाद भूपेंद्र पटेल को गुजरात की कमान सौंपी गई है। पटेल ने राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और वह सूबे में पाटीदार समुदाय से पांचवें सीएम हैं। गुजरात में पाटीदार एक प्रमुख जाति है। माना जाता है कि उसका चुनावी वोटों में से एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण होने के साथ ही शिक्षा, रियल्टी और सहकारी क्षेत्रों पर मजबूत पकड़ भी है। ऐसे में जब दिसंबर 2022 में राज्य विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है, भाजपा ने चुनाव में जीत के लिए पटेल पर भरोसा जताया है।
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