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सागर यूनिवर्सिटी का मामला इलाहाबाद में दुहराया, CAA विरोधी दो शायरों को बुलाया फिर अंतिम क्षणों में मुशायरा ही कर दिया रद्द

Janjwar Desk
15 Aug 2021 9:00 AM GMT
सागर यूनिवर्सिटी का मामला इलाहाबाद में दुहराया, CAA विरोधी दो शायरों को बुलाया फिर अंतिम क्षणों में मुशायरा ही कर दिया रद्द
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CAA विरोधी शायरों को बुलाए जाने के कारण यूनिवर्सिटी में आयोजित मुशायरे को रद्द कर दिया गया है

इससे पहले सोशल मीडिया पर यह वायरल हुआ कि कार्यक्रम में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए शायरों को बुलाया जा रहा है..

जनज्वार। अभी ज्यादा दिन नहीं गुजरे जब मध्यप्रदेश के सागर सेंट्रल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इंटरनेशनल वेबिनार में आमंत्रित दो वक्ताओं को लेकर खड़ा किए गए विवाद के कारण कार्यक्रम के रद्द हो जाने की नौबत आ गई थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थानीय यूनिट द्वारा प्रो. अपूर्वानन्द और गौहर रजा को वक्ता बनाए जाने का यह कहकर विरोध कर दिया गया कि उन दोनों पर 'देशद्रोही' गतिविधियों में शामिल रहने की आशंका है। अब कुछ वैसा ही मामला इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से सामने आया है।

इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आयोजित होनेवाले एक मुशायरे का कार्यक्रम बिल्कुल आखिरी वक्त पर रद्द कर दिया गया। वह भी तब, जब विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक सीनेट हाल का मंच सज चुका था। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केंद्रीय सांस्कृतिक समिति व उर्दू विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन को अचानक ही निरस्त कर दिया गया।

बताया जाता है कि सीएए का विरोध करने वाले उर्दू शायर हाशिम फिरोजाबादी और शबीना अदीब के मुशायरे में शामिल होने की वजह से कार्यक्रम को अंतिम क्षणों में रद्द कर दिया गया। इससे पहले सोशल मीडिया पर यह वायरल हुआ कि कार्यक्रम में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए शायरों को बुलाया जा रहा है।

बता दें कि आजादी की 74वीं सालगिरह पर अमृत महोत्सव के तहत इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में मुशायरे का कार्यक्रम रखा गया था। मुशायरे में बुलाए गए हाशिम फिरोजाबादी और शबीना अदीब पिछले साल शहीन बाग में प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन दोनो पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के अन्य लोगों के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी।

वैसे मुशायरे में इन दोनों के अलावा यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इकबाल अशर, पापुलर मेरठी, ताहिर फराज, मोइन शादाब, भूषण त्यागी, भालचंद त्रिपाठी और कलीम कैसर जैसे शायरों को भी आमंत्रित किया था। सुबह से इसकी तैयारियां की जा रहीं थीं। इसी बीच सोशल मीडिया पर शाहीनबाग मसले को आधार बनाकर विरोध शुरू कर दिया गया।

शाम को तकरीबन सभी आमंत्रित अतिथि सीनेट हाल में पहुंच चुके थे। काफी संख्या में छात्र भी पहुंचे थे लेकिन प्राक्टोरियल बोर्ड और सुरक्षाकर्मियों ने उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी। आने वाले अतिथियों को भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल में जाने से रोक दिया।

बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने भी आने से मना कर दिया था। फिर कुछ देर बाद सम्मेलन निरस्त किए जाने की घोषणा कर दी गई।

उधर सम्मेलन में शामिल होने आईं शायर शबीना अदीब ने कहा , "कानपुर से आते वक्त रास्ते में ही मुझे पता चल गया था कि ऐसा क्यों हो रहा है। विश्वविद्यालय ने मेरा अपमान किया है। आजादी का महोत्सव मनाने आए थे कोई नाच-गान करने नहीं।"

वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट पीआरओ डॉ. चित्तरंजन कुमार ने सफाई देते हुए कहा, "कुछ अपरिहार्य कारणों से सम्मेलन रद्द हो गया। इस कार्यक्रम से कुलपति कार्यालय का कोई संबंध नहीं है।"

बता दें कि इससे पहले मध्यप्रदेश के सागर स्थित डॉ हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन में भी अड़ंगा लगा था। बीते 30 जुलाई को आयोजित वेबिनार का विषय 'कल्चरल ऐंड लिंगिस्टिक हर्ड्ल्स इन एचीवमेंट ऑफ साइंटिफिक टेंपर' यानि 'वैज्ञानिक सोच की उपलब्धि में सांस्कृतिक और भाषाई बाधाएं' था।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सागर जिला के संयोजक श्रीराम रिछारिया ने बीते 22 जुलाई को कुलपति को पत्र लिखकर इस वेबिनार के कुछ स्पीकर्स पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। संगठन ने वेबिनार के स्पीकर बनाए गए गौहर राजा और प्रो. अपूर्वानन्द के बारे में शिकायत करते हुए लिखा था कि दोनों देश विरोधी मानसिकता रखते हैं और राष्ट्रविरोधी क्रियाकलापों में संलिप्त हैं।

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