Journalist Ajay Prakash FIR: वरिष्ठ पत्रकार अजय प्रकाश के पक्ष में लामबंद हुआ प्रिंट व डिजिटल मीडिया, FIR वापस लेने की मांग
Journalist Ajay Prakash FIR: उत्तराखंड के बरेली रोड पर ARTO बीके सिंह द्वारा वरिष्ठ पत्रकार अजय प्रकाश (Senior Journalist Ajay Prakash) सिंह से अभद्रता करने व जबरन गाड़ी छीन लिए जाने के मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। बता दें जनज्वार संपादक अजय प्रकाश को उत्तराखंड में उस वक्त रोका गया था जब वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की चुनावी कवरेज पर जा रहे थे। ARTO ने उन्हें रास्ते में न सिर्फ रोका बल्कि अमर्यादित व्यवहार भी किया था।
इस दौरान संपादक अजय प्रकाश ने फेसबुक लाइव (Facebook Live) के जरिये ARTO की गुंडई दिखाई थी। जिसे अब तक लाखों लोग देख चुके हैं। और ARTO की सरेआम एक वरिष्ठ पत्रकार (Senior Journalist) के साथ इस तरह के व्यवहार को लेकर कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं।
इतना ही नहीं लाइव बन्द होने के बाद तथाकथित ARTO बीके सिंह द्वारा बुलाई गई पुलिस ने पत्रकार के साथ किसी अपराधी की तरह व्यवहार करते हुए उधमसिंह नगर के थाना पुलभट्टा ले जाकर उन्हें जबरन 9 घंटे की अवैध कस्टडी में रखा गया। और तो और पुलभट्टा थाने में अजय प्रकाश पर मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया।
We demand an end to the harassment of this journalist and the withdrawal of cases filed against him https://t.co/yiZRcVF7v0
— Press Club of India (@PCITweets) February 9, 2022
इस मुकदमेँ के बाद पत्रकारों में रोष व्याप्त हो गया। कई पत्रकार संगठन संपादक के पक्ष में लामबंद हुए तो खुद प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड में दर्ज मुकदमें को वापस लेने की मांग की है। PCI ने अपने ट्वीट में उत्तराखंड प्रशासन द्वारा इस तरह के व्यवहार और मुकदमा दर्ज किए जाने की कड़ी निंदा की है।
देश के बड़े अखबारों में शुमार दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला के उत्तराखंड संस्करणों में ARTO की तरफ दी गई प्रेस रिलीज को ज्यों-का त्यों छाप दिया गया। उन्होंने ये भी जानने की जहमत नहीं उठाई की उसने किसके खिलाफ और किसके पक्ष में खबर प्रकाशित की है। लेकिन जब अजय प्रकाश ने एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस के जरिये अपना पक्ष रखा तो मुख्यधारा के तमाम अखबारों सहित डिजिटल मीडिया समूह भी अजय प्रकाश के समर्थन में उतर आए।
दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा सहित, न्यूज़लॉन्ड्री, भडा़स4मीडिया, न्यूज़क्लिक, जनपथ, हस्तक्षेप, उत्तरा, द रिपोर्ट टुडे, जनचौक, हल्द्वानी न्यूज़ और सत्यमेव जयते जैसे अखबारों व चर्चित वेबसाइटों ने संपादक अजय प्रकाश के पक्ष में समाचार प्रकाशित कर ARTO बीके सिंह और उसकी गुंडई के खिलाफ आवाज बुलंद की है। साथ ही अजय प्रकाश पर दर्ज किए गए मुकदमें को अनैतिक बताते हुए वापस लिए जाने की मांग की है।
थाने में किया गया अपराधियों जैसा बर्ताव
बकौल अजय प्रकाश, 'उन्हें दोपहर एक बजे से रात 10 बजे तक थाने में अवैध तरीके से बिठाए रखा गया। इस दौरान शाम को 6 बजे तक ARTO महोदय बिपिन कुमार सिंह अपनी ड्यूटी छोड़कर पुलभट्टा थाने में ही बैठे रहे। वहां पर थानाध्यक्ष राजेश पांडे ने हमारी बात सुनने से ही इंकार कर दिया तथा हमारे साथ दुर्व्यवहार भी किया। ARTO के जाने के बाद बड़ी मिन्नतों से शाम लगभग 6 बजे हमें फोन वापस दिये गये। रात्रि में हमें बताया गया कि तुम्हारे खिलाफ IPC की दफा 186,188,269,270,353 व आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 56 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मेरा नाम पता व पत्रकार का पेशा जानने के बाबजूद भी FIR में जानबूझकर मेरा तथा मेरे सहयोगी अंकित गोयल का पता गलत दर्ज किया गया और रात्रि लगभग 10 बजे हमें दफा 41 का नोटिस देकर छोड़ दिया गया। रात्रि में जैसे-जैसे हमने रुद्रपुर पहुँचकर अपने एक परिचित के घर पर शरण ली।'
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र गढ़िया मीडिया पर हमला बताते हुए कहा कि, 'अधिग्रहण के लिए कानूनन गाड़ी मालिक को लिखित में नोटिस दिया जाना चाहिए। इस प्रकार की कार्यवाही सरकारी काम की आड़ में गुंडागर्दी है। इसका विरोध करने पर मुकदमा लगाया है रहा है। इस मामले में भी आठ घण्टे तक पत्रकार को बिना किसी एफआईआर के थाने में अवैध हिरासत में रखा गया। ARTO विपिन सिंह व पुलभट्टा के थानाध्यक्ष राजेश पांडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता पर हमला करते हुए निष्पक्ष पत्रकारिता को बाधित किया है। राह चलते किसी पत्रकार या व्यक्ति को उसके गन्तव्य तक जाने से रोकना न केवल गैर कानूनी है बल्कि देश के नागरिकों के संविधान प्रदत्त अधिकारों का भी उल्लंघन है।'
उन्होने कहा कि, पुलभट्टा थाना जिला ऊधमसिंहनगर (उत्तराखंड) में दर्ज फर्जी FIR सं. 0024/2022 को अबिलम्ब वापस लिया जाए, उचित निर्देश जारी कर सुनिश्चित किया जाए कि पत्रकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वाहनों व किसी भी सवारी या नागरिक को गन्तव्य तक पहुंचाने के दौरान किसी भी यात्री के आवागमन में किसी भी अधिकारी द्वारा कोई रुकावट न डाली जाए, यह सुनिश्चित किया जाए प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता बिना किसी बाधा के पूरी की जा सके।