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राष्ट्रीय

तीर्थ पुरोहित भयंकर गुस्से में, उत्तराखंड की BJP सरकार के गले का फांस क्यों बन गया देवस्थानम बोर्ड

Janjwar Desk
11 Sep 2021 3:40 PM GMT
तीर्थ पुरोहित भयंकर गुस्से में, उत्तराखंड की BJP सरकार के गले का फांस क्यों बन गया देवस्थानम बोर्ड
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(देवस्थानम बोर्ड के गठन से नाराज तीर्थ पुरोहितों ने सतपाल महाराज का पुतला फूंका है)

प्रदेश के मठ-मन्दिरों व तीर्थ स्थानों को रेगुलराइज किये जाने के नाम पर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में वजूद में आये "देवस्थानम् बोर्ड" का प्रदेश के तीर्थ-पुरोहित इसकी स्थापना से ही विरोध कर रहे हैं..

सलीम मलिक की रिपोर्ट

देहरादूनराज्य सरकार की गले की फांस बन चुका 'देवस्थानम बोर्ड' के मामले में शनिवार को दो विशेष घटनाक्रम हुए। एक घटनाक्रम में गंगोत्री के इतिहास (in the history of Gangotri) में दूसरी बार तीर्थ-पुरोहितों ने आध्यात्मिक नेता व प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज (Cabinet minister Satpal Maharaj) के खिलाफ अपना गुस्सा निकालते हुए नारेबाजी के साथ उनका पुतला फूंका तो दूसरे घटनाक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ बातचीत के बाद तीर्थ-पुरोहितों का आंदोलन खत्म होने का दावा किया गया।

बता दें कि प्रदेश के मठ-मन्दिरों व तीर्थ स्थानों को रेगुलराइज किये जाने के नाम पर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार (present BJP Government) के पहले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कार्यकाल में वजूद में आये "देवस्थानम् बोर्ड" का प्रदेश के तीर्थ-पुरोहित (tirth purohitas of state) इसकी स्थापना से ही विरोध कर रहे हैं। पुरोहितों का यह तबका इसे अपनी परम्पराओं और धार्मिक क्रियाकलापों में राज्य सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप बता रहा है। पुरोहित बोर्ड को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

तीर्थ पुरोहित आंदोलन, पीएम नरेंद्र मोदी को खून से ख़त लिखने, अनशन जैसी कई विधाओं के बाद भी सरकार अपने कदम पीछे लेने को तैयार नहीं है। केदारनाथ और बदरीनाध धाम (Kedarnath and Badrinath dham) में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।

स्थिति यह है कि एक तरफ तो पुरोहितों का आंदोलन चलता रहा दूसरी तरफ मुख्यमंत्री बदलते रहे, लेकिन बोर्ड भंग न हो सका। माना जा रहा है कि सरकार को लगा जैसे किसान अपने हित (?) में केन्द्र सरकार द्वारा लाये तीनों कृषि बिलों (three farm bills) को न समझकर आंदोलन कर रहे हैं, वैसे ही देवस्थानम् बोर्ड के लाभ पुरोहित समझ नहीं पा रहे हैं।

लिहाजा सरकार की ओर से पुरोहितों को बोर्ड के लाभ बताने के लिए मनोहरकान्त ध्यानी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर दिया। ध्यानी जी पुरोहितों को बोर्ड के लाभ अच्छे से बता सकें, इसके लिए उन्हें "कैबिनेट मंत्री" का दर्जा भी दे दिया गया।

जब पूरी सरकार पुरोहितों को बोर्ड के लाभ (profit of Board) बताने पर आमादा थी तो प्रदेश के संस्कृति मंत्री व दिग्गज आध्यात्मिक नेता सतपाल महाराज ने भी बोर्ड के होने वाले लाभ बताने शुरू कर दिये। सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) के अनुसार "जब लोग देवस्थानम बोर्ड के बिल की वास्तविकता को समझ जाएंगे तो इसकी तारीफ करेंगे। लोग देवस्थानम बोर्ड को समझ नहीं पा रहे हैं। सरकार बोर्ड के बिल को छपवा रही है। ताकी लोग इसे समझें। बोर्ड बनने के बाद तीर्थ पुरोहितों के हक हकूक स्पष्ट किए गए हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री की व्यवस्थाएं कमेटियों की ओर से चलाने पर वहां अवस्थापना सुविधाओं का विकास नहीं हो रहा है।"

लेकिन तीर्थ पुरोहितों को महाराज का यह बयान रास नहीं आया। बयान मीडिया में आते ही उनका गुस्सा फूट गया। देवस्थानम बोर्ड को समाप्त न करने और उसकी पैरवी में आते बयानों को लेकर तीर्थ पुरोहितो का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

शनिवार को गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों ने सतपाल महाराज के खिलाफ नारेबाजी उनका पुतला दहन किया। ये गंगोत्री के इतिहास में दूसरी बार है कि जब किसी मंत्री का वहां पुतला फूंका गया है। इससे पहले भी तीर्थ पुरोहित महाराज का पुतला दहन कर चुके हैं।

अध्यात्मिक व्यक्तित्व होने के कारण सतपाल महाराज को यहां "महाराज" नाम से जाना जाता है और उसी नाम से लोग संबोधित भी करते हैं। लेकिन अपने इस आंदोलन के दौरान गुस्साए तीर्थ-पुरोहितों ने महाराज को "सतपाल रावत" के नाम से सम्बोधन करते हुए उनके खिलाफ नारेबाजी की।

तीर्थ पुरोहित व व्यापारी गंगोत्री मंदिर परिसर में एकत्र हुए और वहां से महाराज के पुतले के साथ रैली निकालते हुए बस स्टैंड में सतपाल महाराज का पुतला दहन किया गया। प्रदर्शन करने वालों में मंदिर समिति के पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहित, व्यापार मंडल, साधु संत, गंगोत्री धाम में निवास करने वाले लोग मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से राकेश, गणेश, दिनेश, अतर सिंह, मंदराचल, नरेश, कामेश्वर प्रसाद, सुमेश, नीरज सेमवाल आदि शामिल रहे।

इधर गंगोत्री में तीर्थ-पुरोहित इस मामले में महाराज का पुतला फूंक रहे थे तो दूसरी ओर देहरादून में देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिल रहे थे। जहां बताया जा रहा है कि सौहार्दपूर्ण वार्ता में सीएम के आश्वासन पर तीर्थ पुरोहितों ने 30 अक्टूबर तक धरना और प्रदर्शन के कार्यक्रम स्थगित करने की घोषणा की।

बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) से मुख्यमंत्री आवास में चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति के प्रतिनिधिमंडल की इस मुलाकात में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं। सरकार का काम मंदिरों में अवस्थापना विकास को सुदृढ़ बनाना है।

चारधाम से जुड़े लोगों के हक-हकूक को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा। देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) के मामले को सुलझाने के लिए गठित कमेटी में चारों धामों से दो-दो तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया जाएगा। कमेटी की रिपोर्ट के बाद राज्यहित में जो होगा, वह कार्य किया जायेगा।

चारधाम महापंचायत समिति के संयोजक सुरेश सेमवाल व सदस्य उमेश सती के अनुसार मुख्यमंत्री से आज सकारात्मक बातचीत हुई है। पूरी उम्मीद है कि बातचीत से जल्द से जल्द उचित निष्कर्ष तक पहुंचेगे। मामले का उचित हल निकलने की पूरी आशा है। हमने निर्णय लिया है कि 30 अक्टूबर तक आन्दोलन स्थगित रखेंगे।

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