Unnao : 2017 के गैंगरेप की 2020 में लिखी गई FIR, सुरक्षा वाली खाकी खाने को देती थी सूखी रोटी, डर इतना की फोन की घंटी से ही कांप जाती है पीड़िता
(पहले दबंगों और अब पुलिस से रोकर न्याय की गुहार लगाती युवती)
Unnao Crime News (जनज्वार) : उत्तर प्रदेश में दो चीजें चर्चा में बनी हुई हैं। एक योगी आदित्यनाथ तो दूसरी उनकी सुपरकॉप पुलिस। हम पुलिस की बात करते हैं, योगी तो वैसे भी यूपी को नंबर एक बनाकर चर्चा में हैं। इस बार यूपी पुलिस का नया कारनामा उन्नाव से सामने आया है। जहां एक रेप विक्टिम की तमाम गुहार के बाद पुलिस ने सुरक्षा दी और बाद में उन्हीं सुरक्षाकर्मियों ने युवती को इस कदर पीटा की वह अब खुद का फोन बजने में भी कांप जाती है।
दरअसल, बुधवार 27 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो को भीम आर्मी संस्थापक रावण को टैग करते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई गई थी। वीडियो में एक लड़की लगातार रो रही थी। साथ ही वह अपनी टूटी-फूटी आवाज में बस इतना कह रही थी की पुलिस ने बंधक बनाकर उसके साथ मारपीट की है। इस वीडियो की तह तक जब जनज्वार की टीम पहुँची तो बेहद चौंका देने वाली जानकारी सामने आई।
मामला उन्नाव के बांगरमऊ का है। बांगरमऊ वही जनपद है जहां से महान जननेता रामभक्त कुलदीप सिंह सेंगर विधायक रहते हुए देश बचाने के आरोप में जेल चले गये। खैर, बांगरमऊ कोतवाली के एक गांव की रहने वाली युवती के साथ साल 2017 में गैंगरेप की घटना हुई थी। गैंगरेप के बाद युवती पर पति, समाज और पुलिस का सितम टूटता चला गया। क्योंकि 2017 में हुई रेप की घटना के बाद पुलिस लाख कोशिशों के बाद 18 फरवरी 2020 को उसका मुकदमा दर्ज कर सकी।
इस दौरान पुलिस ने पीड़िता को उसके मां-बाप से दूर बांगरमऊ नगर लखनऊ रोड किराए के कमरे में रखवा दिया। जहां उसके साथ सुरक्षा में रखे गये दो पुलिसकर्मी जिनमें एक महिला व एक पुरूष कांस्टेबल भी रहे। आरोप है की पीड़िता यहां से पुलिस को बिना बताए बापू भवन पहुँच गई। बापू भवन में लगे पुलिसकर्मियों ने इस बात की सूचना पुलिस को दी, इधर तब तक बांगरमऊ पुलिस भी सर्विंलांस के जरिए उसे ढ़ूंढ़ते हुए पहुँच गई। इसके बाद पीड़िता की पिटाई की गई, जैसा पीड़िता का आरोप है।
पीड़िता ने जनज्वार को बताया की पुलिस ने उसे बंधक बनाकर रखा था। वह उसकी सुरक्षा में लगी थी तो कमरे में बाहर से दरवाजा लगाकर क्यों और कहां चली जाती थी। उसे खाने के लिए सूखी रोटियां दी जाती थीं। उसे लगातार धमकाया जाता था। युवती का आरोप है कि जब सुरक्षा करने वाले ही उसकी जान लेने पर उतारू हो जाएं तो किस बात की सुरक्षा। मैं इतनी तंग आ गई हूँ की लगता है अब अपनी जिंदगी ही खत्म कर लूँ।
घटना के बाद पति ने भी छोड़ा साथ
युवती की शादी 10 दिसम्बर 2012 को हुई थी। इस घटना के बाद उसका पति भी उसे छोड़कर किसी और के साथ लव मैरिज कर सैटल हो गया है। वहीं दूसरी तरफ पीड़िता अब भी सिस्टम और समाज के बीच पिस रही है। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने बाद जांच दोषी पाए जाने पर कुल 6 लोगों को जेल भेजा। दोषियों पर गैंग्स्टर तक की कार्रवाई की गई। इसके बाद एसपी उन्नाव के निर्देश पर पीड़िता को सुरक्षा भी प्रदान की गई।
क्या हुआ था पीड़िता के साथ?
पीड़िता के मुताबिक वह एक संस्था में काम करती थी। यह संस्था नवराज सिंह, अनूप सिंह, दिलीप सिंह, विश्वनारायण सिंह व सतीश कुमार मिलकर चलाते थे। युवती के मुताबिक एक दिन यह लोग उसे रास्ते में मिले और कहीं चलने की बात कही, जिसपर पीड़िता चली जाती है। जिसके बाद एक स्थान पर ले जाकर सभी ने उसके साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। यह घटना 2017 की है। इसके बाद पीड़िता न्याय पाने के लिए थाने से लेकर तमाम अधिकारियों की चौखट नापती रही। उसका मुकदमा लिखा गया तो 18 फरवरी 2020 को।
युवती के साथ इन पुलिसवालों ने की मारपीट
पीड़िता ने जनज्वार को बताया कि पुलिस ने उसे पकड़ने के बाद वापस रूम पर ले आई। जहां महिला कांस्टेबल गिरजा, कांस्टेबल सुमन, दरोगा योगेंद्र सिंह, कांस्टेबल रवि यादव व केडी यादव सहित एक अज्ञात पुलिसवाले ने मारते-मारते बेदम कर दिया। उसे इस कदर पीटा गया की उसकी नाक और मुँह से कई घंटे खून का रिसाव होता रहा। लेकिन उसका न ही कोई इलाज कराया गया और न ही मेडिकल ट्रीटमेंट कराया गया।
पिटाइ के बाद सुरक्षा से हट गई पुलिस
इस वाकये के बाद लखनऊ के थाना हजरतगंज पुलिस ने पीड़िता को बांगरमऊ पुलिस के सुपुर्द कर दिया। यह मारपीट की घटना भी पुलिस और युवती के बीच नोंकझोंक के बाद यहीं हुई, ऐसा पुलिस का कहना है। पुलिस का यह भी कहना है की मारपीट में महिला सिपाहियों को बी चोंट आई, जिसे युवती इनकार कर रही है।
वकील से मिलना चाहती थी युवती
युवती का आरोप है कि वह अपने केस की पैरवी के लिए अधिवक्ता से मिलना चाहती थी, लेकिन पुलिसवाले उसे कोर्ट नहीं जाने देना चाहते थे। जब पुलिस कमरे में बाहर से ताला बंद कर चली गई तो युवती अदालत के समय वहां से निकल गई। युवती का यह भी कहना है कि क्या पुलिस उसे उसके ही केस की पैरवी के लिए अदालत लेकर नहीं जा सकती थी। लेकिन पुलिस ने वैसा कुछ नहीं किया जिससे की उसे भरोसा हो पाता की पुलिस उसे न्याय दिला रही।
डर के साए में जी रही युवती
पहले आरोपी और अब पुलिस द्वारा अंजाम दी गई इस घटना के बाद युवती का हाल खराब है। बकौल पीड़िता उसे हर समय जान का डर लगा रहता है। वह उन्नाव भी नहीं जा सकती। वहां आरोपियों के जानकार हैं और वह लोग बहुत दबंग किस्म के हैं। वह मुझे देखते ही मरवा सकते हैं। मेरी जान की सुरक्षा कहीं से भी मिलती नहीं दिख रही। पुलिस अपना दोहरा चरित्र दिखाती है, अब इस हाल में आप ही बताओ मैं जाऊं तो कहां?