UP: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फर्जी डिग्री के आरोप मामले में कोर्ट ने दिए जांच के आदेश, बीजेपी नेता व RTI ऐक्टिविस्ट ने दायर की है याचिका
UP के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर फर्जी डिग्री के आरोपों की जांच के आदेश (file pic.)
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विरुद्ध फर्जी मार्कशीट और दस्तावेजों के आधार पर चुनाव लड़ने के आरोप की जांच होगी। एसीजेएम की अदालत ने प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। स्थानीय कैंट थाने से जांच आख्या प्रस्तुत होने के बाद मामले की सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने कैंट थाने के प्रभारी से कहा है कि मामले की प्रारंभिक जांच कर आख्या प्रस्तुत करें। उच्चतम न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश रूटीन तौर पर नहीं पारित करना चाहिए, आदेश पारित करने के पूर्व प्रारंभिक जांच कराई जा सकती है।
जानकारी के मुताबिक, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने 156(03) के तहत दायर याचिका पर जांच के आदेश दिए हैं। ACJM ने कैंट थाने के प्रभारी से कहा कि मामले की शुरुआती जांच करके आख्या पेश करें। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में फर्जी अंकपत्र का प्रयोग करने आरोप लगाया गया है।
बता दें कि बीजेपी नेता व आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने केशव प्रसाद मौर्य के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के संबंध में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह की अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत परिवाद दर्ज कराया था। कोर्ट ने दिवाकर नाथ त्रिपाठी के अधिवक्ता उमाशंकर चतुर्वेदी को सुनकर केस को आदेश के लिए सुरक्षित किया था।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने फर्जी डिग्री का प्रयोग कर 5 अलग-अलग चुनाव लड़े। साथ ही इन्हीं डिग्रियों के आधार पर पेट्रोल पंप भी हासिल किया। वरिष्ठ भाजपा नेेता और आरटीआई एक्टिविष्ट दिवाकर त्रिपाठी की ओर से दाखिल की गई अर्जी में प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगाए गए है।
कोर्ट में दायर की गई अर्जी में कहा गया है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 2007 में शहर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधान सभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद 2012 में सिराथू से भी विधानसभा चुनाव लड़ा और फूलपुर लोकसभा से 2014 में चुनाव लडा। वे एमएलसी भी चुने गये हैं।
अर्जी में यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने शैक्षिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी प्रथमा और द्वितीया की जो डिग्री लगाई है, वह उत्तरप्रदेश सरकार या किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। डिप्टी सीएम पर आरोप है कि इसी डिग्री के आधार पर उन्होंने इंडियन आयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप भी प्राप्त किया है जो कौशाम्बी जनपद में है।
भाजपा नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि चुनाव लडने के दौरान जो अलग - अलग शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाये गये हैं, उन प्रमाणपत्रों में भी वर्ष की भिन्नता है अर्थात इनमें अलग-अलग वर्ष दर्ज हैं। इन प्रमाणपत्रों की कोई मान्यता नहीं है।
दिवाकर त्रिपाठी के मुताबिक उन्होंने स्थानीय थाना, एसएसपी, यूपी सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।