Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

खोखले आदेश जारी करती है भाजपा सरकार, किसान सबसे ज्यादा उत्पीड़न के शिकार- अखिलेश यादव

Janjwar Desk
5 Nov 2020 9:29 PM IST
खोखले आदेश जारी करती है भाजपा सरकार, किसान सबसे ज्यादा उत्पीड़न के शिकार- अखिलेश यादव
x
अखिलेश यादव ने कहा कि धान क्रय केंद्र किसान को साजिशन लौटाने का काम करते हैं, जिसका फायदा आसपास सक्रिय बिचौलिये या व्यापारी उठा रहे हैं, अब तो भाजपा विधायक पर भी धान क्रय केंद्रों में दलाली के आरोप लगाने लगे हैं.....

लखनऊ। किसानों के मुद्दे पर हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमले बोले थे। वहीं अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने कहा कि किसान न तो फसल समर्थन मूल्य पर बिक रही है और न ही उनका धान क्रय केंद्रों से भुगतान हो रहा है। सिंचाई की दिक्कत अलग से है। दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज के त्यौहार नजदीक हैं, किसान परेशान हैं कि वह कैसे ये पर्व मनाएगा। भाजपा सरकार में किसान सबसे ज्याद उत्पीड़न के शिकार हुए हैं।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगे कहा कि गन्ना किसानों को चीनी मिलें पिछले सत्र का भुगतान नहीं कर रही है। यूपी में भाजपा सरकार सिर्फ सख्ती से खोखले आदेश जारी करती है, कोई उनकी परवाह नहीं करता है।

उन्होंने कहा कि सरकार धान की कागजी खरीद के आंकड़ो प्रस्तुत करती है। हकीकत यह है कि बहुत जगहों पर धान क्रय केंद्र खुले ही नहीं हैं। केंद्रों में अव्यवस्था है। किसान परेशान है, न तो फसल का समय से तोल मिल रहा है और न ही भुगतान हो रहा है।


उन्होंने आगे कहा कि धान क्रय केंद्र किसान को साजिशन लौटाने का काम करते हैं, जिसका फायदा आसपास सक्रिय बिचौलिये या व्यापारी उठा रहे हैं। अब तो भाजपा विधायक पर भी धान क्रय केंद्रों में दलाली के आरोप लगाने लगे हैं। बिचौलिये और व्यापारी 900 से 1000 रूपये में धान खरीद रहे हैं जबकि सरकारी निर्धारित रेट 1888 रुपये प्रति क्विंटल है।

उन्होंने कहा कि चीनी मिलों को नए पेराई सत्र से पहले पिछले बकाया का भुगतान करना था। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, कमिश्नर और डीएम ने आदेश दिए, बयान दिए पर किसान के हाथ सिर्फ मायूसी लगी है। प्रदेश की नौ चीनी मिलों पर 11 अरब 70 करोड़ 48 लाख रुपये का बकाया अभी भी है।

Next Story

विविध