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उत्तर प्रदेश

Kanpur Violence : कानपुर हिंसा के लिए जिम्मेदार कौन, कहां-कहां से जुड़े हैं इसके तार?

Janjwar Desk
4 Jun 2022 2:15 AM GMT
Kanpur Violence Update : जुमे की नमाज के बाद सीधे अपने घर जाएं मुसलमान, मुस्लिम संगठनों ने की अपील
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Kanpur Violence Update : जुमे की नमाज के बाद सीधे अपने घर जाएं मुसलमान, मुस्लिम संगठनों ने की अपील

Kanpur Violence : अहम सवाल यह है कि कानपुर हिंसा में शामिल लोग कौन हैं, उनका इरादा क्या था, कैसे भड़की हिंसा, क्या नुपुर शर्मा के बयान को हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है या भाजपा प्रवक्ता के बयान की आड़ में खास समुदाय को भड़काकर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया।

Kanpur Violence : कानपुर के बेकनगंज इलाके में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। लोगों ने एक दूसरे पर ईंट-पत्थर बरसाने शुरू कर दिए और देखते-देखते स्थिति बेकाबू हो गई। इस दौरान मारपीट, पत्थरबाजी से लेकर गोलीबारी तक की घटनाएं हुईं। कई लोगों के सिर फटे और कुछ लोग घायल भी हुए। कुछ ही देर में हिंसा ( kanpur violence ) इतनी भड़क गई कि UP पुलिस के ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार को मौके पर PAC जवानों की 12 कंपनियां भेजनी पड़ीं।

फिलहाल स्थिति नियंत्रण में हैं। योगी सरकार ( Yogi Government ) ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। शुक्रवार देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाई लेवल मीटिंग की, उसके बाद कानपुर के डीएम और कमिश्नर ने मय फोर्स रात में फ्लैग मार्च भी किया।

इस बीच अहम सवाल यह है कि कानपुर हिंसा ( Kanpur violence ) में शामिल लोग कौन हैं, उनका इरादा क्या था, कैसे भड़की हिंसा, क्या नुपुर शर्मा ( Nupur Sharma ) का बयान को हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है या भाजपा प्रवक्ता के बयान की आड़ में कुछ लोगों ने खास समुदाय को भड़काकर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है। नमाज के बाद ही हिंसक घटनाएं क्यों हुई, बाजार में पहले से ही अधिकांश दुकानों बंद क्यों थी, जो दुकानें खुलीं थी, उसे निशाना किसने बनाया।

खास बात ये है कि दंगे के दौरान घटनास्थल से करीब 50 किलोमीटर दूर कानपुर देहात के परौंख गांव में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मौजूद थे। साथ में पीएम नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी थे।

उत्तर प्रदेश ( UP News ) के कानपुर हिंसक ( Kanpur Violence ) घटना में घायल हुए रिक्शा चालक मुकेश ने बताया कि मैं सड़क पर रिक्शा लेकर आ रहा था। उन्होंने मुझे रोका, सबसे पहले मेरा नाम पूछा गया, जैसे ही मैंने अपना नाम मुकेश बताया, उन्होंने मारना शुरू कर दिया। इसी बीच मुकेश की पत्नी बताने लगी कि जुलूस में 2-3 हजार आदमी थे। कहा ये भी जा रहा है कि शुरुआती चरणों में पत्थरबाजी की घटनाएं हुई, जिसमें दोनों तरफ के लोग शामिल थे।

बेकनगंज में असहज करने वाला सन्नाटा क्यों था?

कानपुर के बेकनगंज में शुक्रवार यानि 3 जून को सुबह से ही असहज करने वाला सन्नाटा क्यों था? इलाके में अधिकांश दुकानें मुस्लिम समुदाय के लोगों की थी जो बंद रखी गई थीं। बिना किसी हड़ताल या अशांति की आशंका के ये दुकानों बंद क्यों थीं? यतीमखाना के पास के बाजार में कुछ हिंदू दुकानदारों ने दुकान खोली थीं। माना जा रहा है कि उसी को बंद कराने पहुंचे लोगों की जबरदस्ती की वजह से दंगा भड़की।

नुपुर शर्मा के बयान के बाद कानपुर में क्या-क्या हुआ?

Kanpur Violence : बता दें कि 26 मई को एक न्यूज चैनल पर ज्ञानवापी मामले को लेकर डिबेट हो रही थी। इसमें भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा भी मौजूद थीं। डिबेट के सवाल पर नूपुर ने पैगंबर साहब पर एक विवादित बयान दे दिया। नूपुर शर्मा के इस बयान पर कई मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जताई। 27 मई को मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने बाजार बंद का आह्वान किया। नुपुर के कानपुर में पोस्टर लगाए गए। 28 मई को हयात की तरफ से 3 मई को जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया गया। 29 मई को मुस्लिम इलाके के हजारों लोगों ने हयात को अपना समर्थन दिया। 30 मई को हयात ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ बैठक की। 1 जून को हयात ने 5 जून तक बंदी और जेल भरो आंदोलन टाल दिया, लेकिन बाजार में लगे 3 जून के बंदी के पोस्टर नहीं हटाए गए। 2 जून को बेकनगंज इलाके में फिर दुकानों को बंद करने की अपील की गई। इसके बाद तीन जून को कानपुर में उस समय हिंसक घटनाएं हुईं जब राष्ट्रपति, पीएम, राज्यपाल और सीएम शहर में मौजूद थे।


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