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राजनीति

Shivpal Yadav को क्या राज्यसभा भेजेगी भाजपा, CM Yogi से मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म

Janjwar Desk
31 March 2022 2:55 PM IST
Akhilesh VS Shivpal : मुझे पार्टी से तुरंत निकाल दें, अखिलेश यादव पर भड़के शिवपाल, आजम खान को लेकर लगाए ये बड़े आरोप
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मुझे पार्टी से तुरंत निकाल दें, अखिलेश यादव पर भड़के शिवपाल, आजम खान को लेकर लगाए ये बड़े आरोप

चार साल पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि 2022 में चाचा शिवपाल सिंह यादव को मैं राज्यसभा का टिकट दे दूंगा। यूपी विधानसभा चुनाव के बाद बदले समीकरण में लग रहा है कि भाजपा उनके इस वादे को पूरा करने की मुहिम में जुट गई है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सपा के टिकट पर चुनाव ल़ड़ने से लगने लगा था कि चचा शिवपाल यादव ( Shivpal Yadav ) और भतीजा अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) के बीच सियासी तकरार लगभग समाप्त हो गया है। सपा के समर्थक भी कहने लगे थे यादव परिवार से एका से पार्टी को मजबूती मिलेगी लेकिन विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करने के विफल रहने और सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से चचा भावनात्मक रूप से इतना आहत हुए कि उन्होंने अपने लिए अलग सियासी रास्ता चुन लिया है।

हालांकि, सपा की ओर से गठबंधन दलों की बैठक में शामिल होने के शिवपाल यादव ( Shivpal Yadav ) को बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने तर्क दिया था जब सपा के चुनाव चिन्ह पर इलेक्शन जीतकर विधानसभा पहुंचा हूं तो विधायक सपा हुआ। फिर, सपा विधायकों की बैठक का लगातार दो दिनों तक लखनऊ में इंतजार किया। विधायक दल की बैठक हुई, पर मुझे नहीं बुलाया गया। इसके बाद कहने के लिए कुछ बचा नहीं रह गया है। उन्होंने कहा था कि मैं अपना स्टैंड बाद में क्लियर करूंगा।

अब इस मामले में चर्चा यह है कि शिवपाल यादव ( Shivpal Yadav ) भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) की सहायता से राज्यसभा ( Rajya Sabha ) जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा ने योजना को हरी झंडी दे दी है। यानि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ( Shivpal Yadav ) भाजपा की मदद से राज्यसभा जा सकते हैं। इस फैसले तक पहुंचने से पहले दो दिन तक दिल्ली में भाजपा ( BJP ) हाईकमान के साथ मुलाकातों के दौर चला। उसके बाद लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath ) से मिलने के बाद शिवपाल यादव के राज्यसभा जाने का रोडमैप तैयार हो गया है।

जुलाई में खाली हो रही हैं 11 सीटें

दरअसल, यूपी में जुलाई महीने में राज्यसभा ( Rajya Sabha ) की 11 सीटें खाली हो रही हैं। इसमें से 7 से 8 सीटों पर भाजपा का जीतना तय माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक शिवपाल सिंह यादव भाजपा की सहायता से राज्यसभा जा सकते हैं। राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद जसवंतनगर सीट खाली हो जाएगा। उस पर शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को मैदान में उतारकर यादवलैंड यानि जसवंतनगर सीट पर भाजपा का कमल खिला सकते हैं।

भाजपा चचा पर मेहरबान क्यों?

यहां पर सवाल यह है कि भाजपा ( BJP ) नेतृत्व शिवपाल यादव पर इतनी मेहरबानी क्यों दिखाई रही है। इसका जवाब यह है कि जिस प्रकार से विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) ने भाजपा को कांटे की टक्कर दिया है वो भाजपा को यह बताने के लिए काफी है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भी सपा भाजपा को आसानी से जीत हासिल नहीं करने देगी।

यूपी में बदलते रहे इसी राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए भाजपा ने अभी से लोकसभा चुनाव 2024 की पटकथा यूपी में बुन रही है। तय है कि भाजपा सपा के कोर वोट बैंक यादव समुदाय में सेंधमारी करना चाहती है। यह काम भाजपा शिवपाल यादव ( Shivpal Yadav ) को राज्यसभा में भेज और बेटे को यशवंतनगर से विधायक बनाकर कर सकती है। भाजपा को ऐसा करने की जरूरत इसलिए भी है कि यूपी में 9 फीसदी यादव मतदाता हैं जो OBC में सबसे बड़ी आबादी है। इस वोट बैंक में भाजपा की पहुंच तय कर पार्टी 2024 में सपा को शिकस्त देने के लिए शिवपाल को लेकर यादव समुदाय का बड़ा चेहरा बना सकती है। फिर शिवपाल यादव का अपना अलग सियासी कद है। यादव समुदायों के बीच उनका काफी प्रभाव माना जाता है।

2022 में चाचा शिवपाल को भेजेंगे राज्यसभा

बता दें कि 14 मार्च 2018 को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) ने चाचा शिवपाल सिंह यादव ( Shivpal Yadav ) के साथ मनमुटाव से इंकार किया था। उस समय उन्होंने कहा था कि चाचा विधायक हैं। उस सीट पर चुनाव हो ये ठीक नहीं, लेकिन मैं आप सबको यकीन दिलाता हूं कि 2022 में चाचा शिवपाल सिंह यादव को मैं राज्यसभा का टिकट दे दूंगा। जब कुर्सी थी तो झगड़ा था। अब कुर्सी नहीं है तो झगड़ा भी नहीं है। नेता जी यानि मुलायम सिंह यादव ने मुझे जो आदेश दिया था वो मैंने पूरा किया।

अब यादव परिवार में कोई झड़गा नहीं है। उनका परिवार नहीं टूटा है। चार साल पहले अखिलेश यादव का इस बयान को पार्टी और परिवार में चल रहे अन्तर्कलह को खत्म करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम माना गया था लेकिन वैसा हकीकत में कुछ हुआ नहीं। अखिलेश तो राज्यसभा में अपने चचा को नहीं भेज पाये, भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजने की तैयारी जरूर शुरू कर दी है।



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