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उत्तर प्रदेश

Muzaffarnagar Danga: यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कोर्ट में किया सरेंडर, जानें पूरा मामला

Janjwar Desk
10 Oct 2022 8:07 PM IST
Muzaffarnagar Danga: यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कोर्ट में किया सरेंडर, जानें पूरा मामला
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Muzaffarnagar Danga: यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कोर्ट में किया सरेंडर, जानें पूरा मामला

Muzaffarnagar Danga: गैर जमानती वारंट का सामना कर रहे गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सोमवार को मुजफ्फरनगर की एमपी-एमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया.

Muzaffarnagar Danga: गैर जमानती वारंट का सामना कर रहे गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सोमवार को मुजफ्फरनगर की एमपी-एमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया. महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती उर्फ दीपक त्यागी पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के संबंध में मुजफ्फरनगर में केस दर्ज किया गया था. इसी मामले में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने एमपी-एमएलए कोर्ट में सरेंडर किया.

यति नरसिंहानंद सरस्वती के मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश मयंक जायसवाल ने की. उन्होंने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 18 अक्टूबर तय की है. अदालत ने मामले के तीन अन्य आरोपियों रविंदर, मिंटू और शिवकुमार के खिलाफ फिर से गैर जमानती वारंट जारी किया है और अदालत में पेश नहीं होने पर पुलिस को उन्हें अदालत में पेश करने को कहा है.

इस बीच, अदालत ने यति नरसिंहानंद के खिलाफ गैर जमानती वारंट वापस ले लिया और निर्देश दिया कि उन्हें मामले में 20-20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाए. मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर तय की गई है. नरसिंहानंद सरस्वती के वकील ने उनके खिलाफ वारंट वापस लेने का अनुरोध करते हुए अदालत में अर्जी दाखिल की थी.

उनके अधिवक्ता की ओर से सरेंडर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए वारंट रिकॉल कराने की गुहार लगाई गई थी, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर यति नरसिंहानंद को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया. कोर्ट ने उनके जमानत प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए, बाद में 20-20 हजार के निजी बंधपत्र पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.

अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह ने बताया कि मुजफ्फरनगर के सांसद व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री कपिलदेव अग्रवाल, विहिप नेता साध्वी प्राची, डासना मंदिर के पुजारी नरसिंहानंद सहित 21 आरोपी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं.

उन पर आरोप है कि उन्होंने नगला मंडोर गांव में पंचायत में भाग लिया था, जहां उन्होंने 31 अगस्त 2013 को अपने भाषणों के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया और हिंसा के लिए भीड़ को उकसाया. उस वर्ष जिले और आसपास के क्षेत्र में दंगों के दौरान 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए थे.

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