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बिजली हड़ताल को लेकर योगी ने बुलाई बैठक, यूपी के कई जिलों में अंधेरा पानी तक को तरसे लोग
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के विरोध में कार्य बहिष्कार का असर दिख रहा है। पूरे प्रदेश में बिजली संकट खड़ा हो गया है। स्थिति यह है कि लखनऊ में सीएम से लेकर डिप्टी सीएम और तमाम मंत्रियों के आवास पर बिजली व्यवस्था चरमराती दिख रही है। कार्य बहिष्कार के पहले ही दिन कई मंत्रियों के यहां बिजली गुल हो गई।
मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार को देखते हुए ऊर्जा विभाग की बड़ी बैठक तलब कर ली है। ऊर्जा विभाग की बड़ी बैठक में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया गया है।
कन्नौज में बिजली कर्मियों की हड़ताल से लोग परेशान नजर आए। यहां के 450 गांवों में सुबह 5 बजे से बिजली गुल है। 33 हजार लाइन में फॉल्ट आने से आपूर्ति ठप हो गई है। प्रशासन को लाईनमैन खोजे नहीं मिल। बिजली गुल होने से आम जनता बेहाल हो गयी है। सबसे बड़ी समस्या पानी की बनी हुई है जिसके लिए लोग हैडपंप से बालूनुमा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं। विकास भवन में बिजली कटौती के चलते कुछ कर्मचारी मोबाइल से कार्य कर रहे हैं तो कुछ अपने चैम्बर से गायब रहे।
मंगलवार को विकास भवन के कई कार्यालयों का निरीक्षण किया गया तो पशु पालन विभाग के कर्मचारी मोबाइल का टार्च जलाकर कार्य करते दिखे। वही आरएस विभाग के सभी कर्मचारी अपने चैम्बर से अनुपस्थित रहे। बेसिक विभाग से भी आधा दर्जन कर्मचारी गायब दिखे। सभी कर्मचारियों का कहना है कि इतनी भीषण उमस भरी गर्मी में बिजली के बिना कैसे कार्य किया जाये। बिजली न रहने पर कई मुहल्ले के लोग सुबह-सुबह सप्लाई के पानी का इंतजार करते देखे गए। लेकिन कटौती के कारण सप्लाई का पानी भी नही आया। कही-कही कई बच्चे गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार व बिजली कर्मचारियों की तनातनी में जनता परेशान हो रही है।
शोसल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस हो रही हड़ताल पर आरोप भी लगाए हैं। लिखा है कि #हड़तालमेंभीदोगलापनकल (बिजली विभाग का) कल 5 अक्टूबर को ग़ाज़ीपुर में बिजली के कर्मचारियों के हड़ताल के कारण पूरे शहर में लाइट नही थी। किंतु गोराबाजार, पीर नगर, विकास भवन, डीएम आवास, शास्त्री नगर, कलेक्ट्रेट कंपाउंड, जजेज कंपाउंड आदि जगहों को कैसे निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति हो रही थी। क्या प्रशासन के डर से उन्हें लाइट मिल रही थी। क्या हड़ताल का असर वहां नही था। क्या बिजली विभाग प्रशासन से डर गया? दोहरा चरित्र क्यों बिजली विभाग का? बहुत कुछ सवाल उठेंगे।
एक अन्य यूजर ने लिखा 'आम जनता पूरी रात त्रस्त रही। प्रशासन द्वारा स्थापित नियंत्रण कक्ष केवल शो पीस बना है। केवल आपकी शिकायत को नोडल अफसर को फारवर्ड किया जाता हैं। उन्हें केवल अपनी चिंता हैं। उन्हें जो लाइट मिल रही हैं। फ़ोन करने पर बस अभी टेक्निकल सपोर्ट किया जा रहा हैं। जैसे प्रशासन अपने लिये लाइट की व्यवस्था कर ली, क्या आम जन के लिए बिजली की व्यवस्था नही कर सकता?'