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उत्तराखंड

Dehradun News: उत्तराखंड की मंदोदरी का हेलंग, आंगन में हुआ प्रदेश भर के आंदोलनकारियों का जमावाड़ा, संघर्ष आगे बढ़ाने का आह्वान

Janjwar Desk
9 Aug 2022 5:28 PM GMT
Dehradun News: उत्तराखंड की मंदोदरी का हेलंग, आंगन में हुआ प्रदेश भर के आंदोलनकारियों का जमावाड़ा, संघर्ष आगे बढ़ाने का आह्वान
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Dehradun News: उत्तराखंड की मंदोदरी का हेलंग, आंगन में हुआ प्रदेश भर के आंदोलनकारियों का जमावाड़ा, संघर्ष आगे बढ़ाने का आह्वान

Dehradun News, Dehradun Samachar। हैलंग एकजुटता मंच के आह्वान पर भारत छोड़ो दिवस के मौके पर प्रदेश भर के आंदोलनकारी व महिला संगठन हैलंग कूच के दौरान मंगलवार को मंदोदरी देवी के गांव हैलंग पहुंचे। 24 जुलाई को हैलंग में हुए जबरदस्त प्रदर्शन के बाद प्रदेश भर की आंदोलनकारी महिलाओं की हैलंग में यह दूसरी दस्तक थी।

Dehradun News, Dehradun Samachar। हैलंग एकजुटता मंच के आह्वान पर भारत छोड़ो दिवस के मौके पर प्रदेश भर के आंदोलनकारी व महिला संगठन हैलंग कूच के दौरान मंगलवार को मंदोदरी देवी के गांव हैलंग पहुंचे। 24 जुलाई को हैलंग में हुए जबरदस्त प्रदर्शन के बाद प्रदेश भर की आंदोलनकारी महिलाओं की हैलंग में यह दूसरी दस्तक थी। 15 जुलाई को सीआईएसएफ़ और पुलिस द्वारा घसियारी महिला से घास छीनने और पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ और मंदोदरी देवी-लीला देवी से एकजुटता जाहिर करने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन हैलंग संघर्ष की नायिकाओं के घर के आँगन में ही किया गया।

कार्यक्रम शुरू होने से पहले जोशीमठ में आंदोलनकारियों ने जनगीतों और नारों के साथ जुलूस निकाला और मुख्य चौराहे पर नुक्कड़ सभा भी की। जिसके बाद आंगन में यह कार्यक्रम शुरू हुआ। यहां उत्तराखंड महिला मंच की केन्द्रीय संयोजक कमला पंत ने कहा कि उत्तराखंड के जल-जंगल-जमीन को पहाड़ की महिलाओं ने संरक्षित करके रखा है। घसियारी हमारे पहाड़ के श्रम और सम्मान का प्रतीक हैं। उत्तराखंड में तमाम आंदोलनों की अगुवाई महिलाओं ने की है। एक महिला का उत्पीड़न प्रदेश की सभी महिलाओं के साथ अन्याय है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।


कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिन्दी की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.उमा भट्ट ने घटना पर अफसोस जताते हुए कहा कि कहां तो पहाड़ को संरक्षित और संवर्द्धन का सबक सरकारों को पहाड़ की महिलाओं से सीखना चाहिए था लेकिन इसके उलट महिलाओं के संघर्ष के दम पर बने राज्य में कंपनियों की शह पर सरकार और प्रशासन महिलाओं का उत्पीड़न कर रहा है। रीज़नल रिपोर्टर की संपादक गंगा असनोड़ा थपलियाल ने कहा कि विकास के नाम पर उत्तराखंड के लोगों के साथ कैसा छल किया जा रहा है यह हैलंग में हुई घटना से स्पष्ट हो गया है। जंगल उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले लोगों के अस्तित्व से जुड़ा मामला है और उससे वंचित करने की कोई भी कोशिश स्वीकार्य नहीं हो सकती। पर्यावरणविद डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि आजादी के आंदोलन के समय से यह नारा चला आ रहा है कि जमीन जोतने वाले की। इसी तरह वनों की रक्षा करने वालों के हाथ में ही जंगल का स्वामित्व होना चाहिए। बात सिर्फ हक-हकूक की नहीं है, जल-जंगल-जमीन पर स्वामित्व ही उन स्थानीय लोगों का होना चाहिए, जो इन सबको संरक्षित कर रहे हैं। बांध बनाने का फैसला कंपनियों के हितों के अनुसार नहीं स्थानीय लोगों की जरूरतों और अनुमति के आधार पर तय होना चाहिए।

15 जुलाई को याद करते हुए मंदोदरी देवी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम प्रशासन के लोगों से अनुनय-विनय करते रहे कि हमारा चारागाह बर्बाद न करो। लेकिन वह लोग हमारी बात को नहीं माने। अपने जंगल को बचाने के लिए हम पूरी ताकत से लड़ेंगे। लड़ाई को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। मंदोदरी देवी के साथ ही गिरफ्तार की गयी लीला देवी ने कहा कि प्रशासन और पुलिस ने हमारे परिवार के बारे में झूठ फैलाया। हम अपने चारागाह बचाने के लिए हम संघर्ष कर रहे थे, हमने पेड़ लगाए और हमको अतिक्रमणकारी कहा गया। प्रधान और सरपंच ने भी हमारा साथ देने के बजाए प्रशासन और टीएचडीसी द्वारा हमारे दमन का समर्थन किया।

नैनीताल समाचार के संपादक राजीवलोचन साह ने हैलंग की घटना को उत्तराखंड की मातृशक्ति की अस्मिता, गरिमा और रोजगार पर आघात बताते हुए कहा कि पचास साल पहले रैणी में गौरा देवी ने अपनी साथियों के साथ चिपको आंदोलन का बिगुल फूंका था। इसके बाद अब हैलंग में मंदोदरी देवी, लीला देवी और उनकी साथियों ने कंपनी राज और माफिया राज के खिलाफ लड़ाई का शंखनाद किया है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए जोशीमठ क्षेत्र के आंदोलनों के अगुवा नेता और भाकपा (माले) के राज्य कमेटी सदस्य अतुल सती ने कहा कि यह उत्तराखंड के जल-जंगल-जमीन को बचाने की लड़ाई है और हम इस लड़ाई को गाँव-गाँव तक पहुंचाएंगे। यह उत्तराखंड आंदोलन में अधूरे छूटे सवालों को पूरा करने का संघर्ष है। भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि आंदोलन के दबाव में प्रशासन के झुकने के बाद भी कुछ स्तर पर मनमानी जारी है। यह शर्मनाक है कि हैलंग की घटना को एक महीना होने वाला है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने एक भी जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की है। महिला एकता परिषद द्वाराहाट की मधुबाला कांडपाल ने वर्ष 2008 में आवारा मवेशियों के खिलाफ चलाए गए आंदोलन और उसके बाद हुए दमन की चर्चा करते हुए कहां कि एकता के बल पर ही हैलंग की इस लड़ाई को जीता जा सकता है।

कार्यक्रम में उत्तराखंड महिला मंच की केन्द्रीय संयोजक मण्डल की सदस्य निर्मला बिष्ट, गढ़वाल विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा प्रतिनिधि शिवानी पांडेय, नैनीताल से आई माया चिलवाल, सेलंग की महिला मंगल दल की अध्यक्ष भवानी देवी, पैनी की महिला मंगल दल की अध्यक्ष हेमा रौतेला, जनदेश की कलावती साह, सलना की महिला मंगल दल की अध्यक्ष पूर्वी देवी, उर्गम की महिला मंगल दल अध्यक्ष अनीता देवी, एआईडीएसओ की रेशमा, जोशीमठ ब्लॉक के प्रधान संघ के अध्यक्ष अनूप नेगी, लाता के वन पंचायत सरपंच धर्मेंद्र राणा, उत्तराखंड महिला मंच की पद्मा गुप्ता, पद्मा रावत, कमलेश्वरी बडोला, शांति सेमवाल, करुणा राणा, गौरी देवी, विजय नैथानी, गीता देवी, बीना देवी, दमयंती देवी, किशोरी देवी, विमला देवी, कॉंग्रेस नेता कमल रतूड़ी, देव ग्राम प्रधान देवेन्द्र सिंह बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, सतीश धौलाखण्डी, मोनिका चौहान, विनीता यशस्वी, लीला देवी, देवेन्द्र सिंह राणा, शिशुपाल डबरियाल, धर्मेन्द्र राणा, गढ़वाल सभा के एन एम पैकर, शांता देवी, रजनी देवी आदि मौजूद रहे।

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