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राजनीति

यूरोपीय संसद के 154 सदस्यों ने CAA के खिलाफ तैयार किया मसौदा, बोले अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन कर रहा भारत

Nirmal kant
26 Jan 2020 6:37 AM GMT
यूरोपीय संसद के 154 सदस्यों ने CAA के खिलाफ तैयार किया मसौदा, बोले अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन कर रहा भारत
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यूरोपीय संसद के 154 सदस्यों ने सीएए के खिलाफ तैयार किया मसौदा, अगले सप्ताह यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र में पेश करेंगे मसौदा, यूरोपीय संसद के सदस्यों ने कहा स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है सीएए...

जनज्वार। यूरोपीय संसद के 154 सदस्यों नागरिकता संसोधन अधिनियम को लेकर चिंता जाहिर की है। इन सदस्यों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को दुनिया के सबसे बड़ा संवैधानिक और मानवीय संकट के रूप में वर्णित किया है।

न सदस्यों ने सीएए की तीखी आलोचना करते हुए अगले सप्ताह ब्रसेल्स में शुरू होने वाले यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र के दौरान औपचारिक रूप से पेश करने के लिए लिए पांच पन्नों का प्रस्ताव तैयार किया है।

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स प्रस्तावित प्रस्ताव में सीएए को न केवल 'भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी' बताया गया है, बल्कि नागरिक और राजनीतिक अधिकारों (ICCPR) और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों पर अंतर्राष्ट्रीय करार के तहत भारत के 'अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों' का उल्लंघन भी माना गया है। भारत ने इन संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं।

कानून बनाने वाले 'एस एंड डी ग्रुप' ( यूरोपीय संघ के 26 देशों के एमईपी का एक प्रगतिशील मंच) के हैं जिसे यूरोपीय संसद में दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक समूह के रूप में मान्यता दी गई है। यह समूह सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों जैसे समानता, विविधता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए काम करता है।

गौरतलब है कि मसौदा प्रस्ताव में कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांतों, सेना और आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल को भी संदर्भित किया गया है जिसके लिए भारत भी बाध्य है।

सौदे में इस बात का भी अवलोकन किया गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ बड़ स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं जिसमें 27 लोगों की मौत हुई 175 लोग घायल हुए और हजारों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किये गए। इसके अलावा विशेषकर उत्तर प्रदेश में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को पीटने, गोली मारने और यातनाएं देने की खबरें सामने आई हैं।

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सौदा प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि 5 जनवरी 2020 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का परिसर में जहां छात्र सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे थे, एक नकाबपोश भीड़ द्वारा हमला किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के 20 से अधिक छात्र और शिक्षक घायल हुए थे।

कहा गया है कि छात्रों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने हमलावर भीड़ का साथ दिया और भीड़ को नियंत्रित करने और आरोपियों को गिरफ्तारी से इनकार कर दिया। जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र समेत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पहले ही सीएए और हिंसा के बारे में चिंता व्यक्त की थी। संयुक्त राष्ट्र के उच्च मानवाधिकार आयोग के प्रवक्ता ने भी इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि सीएए मौलिक रूप से 'भेदभावपूर्ण प्रकृति' का है।

स एंड डी समूह ने मसौदे में बताया है कि सीएए प्रकृति में स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह विशेष रूप से मुसलमानों को पहुंच से बाहर रखता है।

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