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नीतीश कुमार की राह पर चल निकले हैं उद्धव ठाकरे, पर शरद पवार के पास बची है अभी एक और चाल

Janjwar Team
24 Feb 2020 9:05 AM IST
नीतीश कुमार की राह पर चल निकले हैं उद्धव ठाकरे, पर शरद पवार के पास बची है अभी एक और चाल
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महाराष्ट्र में भाजपा सत्ता से अपनी दूरी और सत्ता में कांग्रेस तथा एनसीपी की भागीदारी सहन नहीं कर पा रही है। ऐसे में वह उद्धव ठाकरे के सामने झुकने की रणनीति पर आगे बढ़ सकती है...

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हाराष्ट्र की राजनीति में एक दफा फिर भूचाल आने के संकेत मिलने लगे हैं। उद्धव ठाकरे द्वारा कट्टरता छोड़कर उदारता के साथ महा आघाड़ी के तहत सरकार बनाने के बाद महाराष्ट्र की कट्टरपंथी राजनीति में जो जगह खाली हुई थी उसे भरने के लिए पिछले दिनों राज ठाकरे काफी उत्सुक और हाथ पैर मारते देखे गए थे। इसके बाद उद्धव ठाकरे की बेचैनियां बढ़ने लगी उन्हें अपना जनाधार भी सकता दिखाई देने लगा। इसी जनाधार को बचाने के लिए उद्धव ठाकरे के शुर रातों-रात बदल गए। फिर चाहे भीमा कोरेगांव का मामला हो, यलगार परिषद का मामला हो, चाहे सीएए, एनआरसी और एनपीआर का मामला हो हर मुद्दे पर उद्धव ठाकरे भाजपा और केंद्र सरकार की जुबान में बोलने लगे।

हालांकि कुछ राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों को उद्धव ठाकरे का कांग्रेस तथा एनसीपी की राय से अलग हटकर के इस तरह के बयान देना और इस तरह का कदम उठाना तीनों पार्टियों की नूरा-कुश्ती से अधिक कुछ नहीं लग रहा है। पर मेरी जानकारी के अनुसार उद्धव ठाकरे नीतीश कुमार की राह पर चल निकले हैं। जिस तरह नीतीश कुमार ने कुछ समय बाद कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल को ठेंगा दिखाकर भाजपा के समर्थन से सरकार बना ली थी उसी राह पर उद्धव ठाकरे भी चलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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बर है कि भाजपा भी महाराष्ट्र में सत्ता से अपनी दूरी और सत्ता में कांग्रेस तथा एनसीपी की भागीदारी सहन नहीं कर पा रही है। इसलिए उसने उद्धव ठाकरे के सामने झुकना और उनका नेतृत्व स्वीकार कर लिया है और उन्हें लालच दिया है यदि वह महाआघाड़ी से निकलते हैं तो भाजपा समर्थन देकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाएगी।

दूसरी तरफ शरद पवार हैं जो अभी भी हथियार डालने को तैयार नहीं हैं। हालांकि उनकी उम्र 80 साल से अधिक हो चुकी है, कैंसर से पीड़ित रह चुके हैं। उनका व्यक्तित्व चाहे जितना बड़ा हो मगर यह सच है कि अब उनकी सेहत का हाल उनके चेहरे से और उनके जिस्म से बयान होता है। पर इसके बावजूद शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में आज भी पूरी तरह से सक्रिय हैं। जैसे उन्हें भविष्य का अंदाजा पहले से ही था इसलिए शरद पवार चुनाव के बाद सरकार बनने के बाद भी चुनावी मोड से बाहर नहीं आए, वह लगातार जनसंपर्क और नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं।

इसी सिलसिले में वह कल ही 23 दिसंबर को मुंबई के मुलुंड में डंपिंग रोड पर स्थित एक छोटे से अंबेडकर पार्क में सभा कर चुके हैं। यानी इससे इस बात के भी संकेत मिलते हैं कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव भी हो सकते हैं। दूसरी तरफ शरद पवार भाजपा के महत्वाकांक्षी नेताओं से भी संपर्क बनाए हुए हैं।

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जानकारी के अनुसार यदि यह सरकार जाती है तो शरद पवार, नारायण राणे के नेतृत्व में भाजपा को तोड़ सकते हैं । नारायण राणे की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा किसी से छुपी नहीं है, इसीलिए वह कांग्रेस में शामिल हुए थे और जब वहां मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला तो वह भाजपा में चले गए।

भाजपा में भी उनकी दाल गलती हुई फिलहाल नजर नहीं आ रही है ऐसे में यदि शरद पवार उन्हें मुख्यमंत्री बनने का प्रलोभन देते हैं तो नारायण राणे अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा देंगे। फिलहाल कुछ मुद्दों पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच मिस अंडरस्टैंडिंग पब्लिकली देखी जा रही है इसके अलावा सब कुछ पर्दे के पीछे से चल रहा है ।

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