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सिक्योरिटी

अदालत ने सरकार का काम किया और सरकार ने दलाल का

Janjwar Team
26 Aug 2017 1:50 PM GMT
अदालत ने सरकार का काम किया और सरकार ने दलाल का
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राम रहीम मामले में हरियाणा—पंजाब हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते आम जनता के बारे में सोचा तक नहीं और पंचकूला को जलने के लिए छोड़ दिया। साथ ही कोर्ट ने करनाल के आईजी को थप्पड़ मारने और बदतमीजी करने वाले राम रहीम के 6 सुरक्षा गार्डों और दो समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज कर दिया है...

धनंजय कुमार का महत्वपूर्ण विश्लेषण

पंचकुला या आसपास जो कुछ भी हुआ वो सब स्वतः स्फूर्त नहीं, बल्कि सुनियोजित था. भक्ति में डूबे लोगों की भीड़ को क़ानून व्यवस्था को विवश साबित करने और न्याय को रौंदने के मंसूबे के तहत पंचकुला की सड़कों पर उतारा गया था, जबकि पुलिस से लेकर सेना के जवानों को बलात्कारी बाबा की ताकत के महिमामय प्रदर्शन के लिए सजाया गया था.

और वही हुआ जैसा कि आम आदमी से लेकर पंजाब हरियाणा कोर्ट तक को अंदेशा था. लेकिन कहते हैं न की जैसी नीयत वैसी ही बरकत होती है, चाल चरित्र और चेहरा के गुण गानेवाली भाजपा सरकारों और संघ की कलाई खुल गयी. एक बलात्कारी सरकार, उसके विचार और उसकी पूरी व्यवस्था को नंगा कर गया! एक साथ हमारी आंखों के सामने से कई आवरण हटा दिए. हमने देखा कि हमारे आध्यात्मिक गुरू कैसे होते हैं ? हमने देखा कि भक्ति क्या होती है? हमने देखा कि हमारी पुलिस किस तरह से हाथ पैर बाँध कर अपराधियों से लड़ने के लिए धकेल दी जाती है.

हमने देखा कि हमारी बहादुर सेना को भी सरकारें किस तरह से मदारी का जमूरा बना देती हैं. हमने देखा कि सरकारों की कथनी और करनी में कितना अंतर होता है. हमने देखा कि हमारी सरकारें कितनी निर्लज्ज और न्याय विरोधी होती हैं. हमने देखा कि सारे राजनीतिक दल एक जैसे ही हैं. हमने देखा कि आम आदमी कितना विवश है. लेकिन इन सबके साथ ही हमने यह भी देखा कि सच की लड़ाई लड़ते हुए कुछ लोग भी लाखों करोड़ों पर कैसे भारी पड़ जाते हैं !

लेकिन बहुत कुछ है, जो हमने नहीं देखा. आइये जो नहीं देखा उसे देखने और समझने की कोशिश करते हैं. सबसे पहले, इस प्रक्रिया को समझते हैं कि कोई व्यक्ति अपने इर्द गिर्द इतना बड़ा तिलस्म कैसे खड़ा कर लेता है कि लाखों करोड़ों लोग आखें मूँदकर उसे अपना आराध्य मान लेते हैं और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं?

इस बलात्कारी बाबा राम रहीम के बारे में बताया जाता है कि जिस इलाके में इसने जड़ें जमानी शुरू कीं थी, वह इलाका तब नशे में बुरी तरह फंसा था. गुरमीत सिंह ने खुद को बाबा राम रहीम बनाकर नशे के खिलाफ खड़ा किया. कहते हैं, बाबा के इस अभियान से लोगों का बाबा पर विश्वास बढ़ने लगा कि बाबा सचमुच विलक्षण हैं और मानव कल्याण के लिए ही अवतरित हुए हैं. बाबा ने भी भक्तों की बढती भीड़ को देखकर समाजसेवा और आध्यात्मिक केंद्र को कंपनी के रूप में खडा करना शुरू कर दिया.

पूरी मैनेजमेंट टीम खड़ी की गयी और बाबा का कारोबार ताकत और पैसा के सिंडिकेट में बदलता चला गया. इस तरह एक तरफ बाबा ने सामाजिक आध्यात्मिक कार्यों के माध्यम से गरीबी और मुसीबत में फंसी जनता को अपना अँधभक्त बनाया, तो दूसरी तरफ नेताओं के साथ वोटर के तौर इनकी खरीद बिक्री की और तीसरी तरफ पैसेवालों को सत्ता के साथ गठजोड़ कर लाभ दिलवाया. और धीरे धीरे इतना ताकतवर बन गया कि बाबा किंगमेकर की भूमिका में आ गया. राजनीतिक पार्टियों के साथ बाकायदा डील करने लगा और समय के अनुसार पहले चौटाला को, फिर कांग्रेस और फिर बीजेपी को अपना समर्थन दिया.

समर्थन दिया से समझिये कथित समाजसेवा के दम पर अपने लाखों करोड़ों भक्तों को बेचा. जिसने जितनी ऊंची बोली लगाई, जिसका भविष्य बनता दिखा, बाबा उसके साथ खडा हो गया. और बदले में राजनेताओं ने उनके गुण गाये, बाबा को महान बताया और उसके पापों को ढंकने के हर संभव प्रयास किये. आश्रम की ही एक साध्वी ने जब बाबा के खिलाफ बलात्कार का मामला उठाया, तो चौटाला सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई कि यह केस सीबीआई को न सौंपा जाय. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी और सीबीआई ने अपनी जांच जारी रखी. इस जांच के दौरान सीबीआई के डीएसपी सतीश पर तमाम किस्म के दबाव पड़े, लेकिन सतीश डागर दबे नहीं.

इस लड़ाई में एक तरफ बाबा की आध्यात्मिक आभा और सरकार की ताकत थी, तो दूसरी तरफ दो पीड़ित लड़की, एक स्थानीय पत्रकार, तीन चार वकील, एक सीबीआई डीएसपी और सच्चाई की ताकत थी. पत्रकार मार दिया गया. फिर भी लड़ाई रुकी नहीं, क्योंकि कुछ ईमानदार और जुझारू किस्म के वकील इन्साफ के लिए खड़े थे. और आखिरकार 15 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने बाबा को बलात्कार का दोषी माना.

यह जानना कितना भयावह है कि जिस बाबा के खिलाफ रेप का मुकदमा चल रहा था, दस दिन बाद ही निर्णय आनेवाला है. 15 अगस्त को हरियाणा सरकार के दो मंत्री अनिल बिज और रामविलास शर्मा राम रहीम के जन्मदिन पर डेरे पर गए और हरियाणा सरकार की तरफ से उसे 51 लाख रुपये भेंट करते हैं !

यह जानना कितना भयावह है कि जनता के जीवन को बेहतर बनाने के नाम पर सत्ता में आई सरकार, संविधान को अक्षुण्ण बनाए रखने की शपथ लेने वाली सरकार संविधान की धज्जियां उड़ाती रही! और यह जानना कितना भयावह है कि एक सांसद कोर्ट और न्याय की तारीफ़ करने के बजाय जज को ही कटघरे में खडा कर रहा है कि एक लड़की की शिकायत पर भरोसा करने के बजाय लाखों करोड़ों भक्तों के भरोसे का ख्याल करना चाहिए था. न्याय संख्याबल पर तय होगा या सबूत के आधार पर?!

लेकिन विडम्बना है कि नैतिकता की बात करने वाली सारी राजनीतिक पार्टियां चुप हैं, क्योंकि सारे पापी हैं. बलात्कारी बाबा के सजदा में बैठकर सारी राजनीतिक पार्टियों ने हरियाणा पंजाब की जनता को छला है. पब्लिक तो दोनों तरफ से छली गयी है, सरकारों ने उन्हें गरीब और अशिक्षित बनाए रखा, नागरिक सुविधाओं से महरूम बनाए रखा तो बाबा ने समाजसेवा के नाम उसे जमा कर वोटबैंक बना कर बेचा.

(पत्रकारिता से अपना करियर शुरू करने वाले धनंजय कुमार मुंबई में स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी हैं।)

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