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राजनीति

कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार कर रही एयर इंडिया को औने-पौने भाव में बेचने की तैयारी

Prema Negi
29 May 2020 11:17 AM GMT
कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार कर रही एयर इंडिया को औने-पौने भाव में बेचने की तैयारी
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कोरोना संकट के कारण एयर इंडिया के विनिवेश कार्यक्रम में जो देरी हुई है, मोदी सरकार उसकी भरपाई अब जल्द से जल्द करना चाहती है...

पीयूष पंत, वरिष्ठ पत्रकार

जनज्वार। लॉकडाउन के दौरान चिकित्सा-सामग्रियों, आवश्यक वस्तुओं को राज्य-दर-राज्य पहुँचाने और सरकार के वन्दे भारत अभियान के तहत विदेश में फंसे भारतीयों को घर वापिस लाने के लिए प्रशंसा की पात्र बनने के बावजूद सरकारी विमान सेवा एयर इण्डिया के विनिवेश का मन भारत सरकार ने बना लिया है। इसके लिए विनिवेश कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

मोदी सरकार एयर इंडिया में 100 फीसदी शेयर बेचना चाहती है। इस बारे में कैबिनेट पहले ही अपनी मंजूरी दे चुकी है। सरकार ने तो शुरुआती बोली लगाने की आखिरी तारीख तक 17 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी थी, मगर कोविड-19 संकट व लॉकडाउन के कारण विनिवेश की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी।

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रकार ने उस समय विनिवेश का निर्णय लेते वक्त कर्मचारियों को भरोसा दिया था कि उनके हितों की पूरी रक्षा की जाएगी। खरीदने वाली कंपनी के साथ होने वाले समझौते की शर्तों में इस बात को रखा जाएगा कि खरीदने वाली कंपनी किसी कर्मचारी को सेवाकाल पूरा होने तक निकालेगी नहीं।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोविड -19 संकट के कारण एयर इंडिया के विनिवेश कार्यक्रम में जो देरी हुई है, सरकार उसकी भरपाई अब जल्द से जल्द करना चाहती है। सरकार की कोशिश है कि सबसे पहले एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी के अलावा कम लागत वाली हवाई सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस में भी अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है।

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गौरतलब है कि सरकारी नियंत्रण के कारण एयर इंडिया के कर्मचारियों ने ये सोचे बगैर कि उनकी एयरलाइन बिकने वाली है, अपनी जान की बाजी लगाकर सरकारी निर्देशों के अनुसार अपने राष्ट्रीय कर्तव्य के पालन में बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया। विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार लॉकडाउन के दौरान 13 अप्रैल तक 218 लाइफ-लाइन उड़ानों ने दो लाख किमी से अधिक दूरी तय कर 377 टन से अधिक मेडिकल व अन्य सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाई। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना के दौरान एयर इंडिया की भूमिका की तारीफ कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर इटली में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले एयर इंडिया के क्रू सदस्यों की तारीफ की थी।

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लेकिन अब मोदी सरकार के ताज़ा निर्णय से ये सभी कर्मचारी ठगे से महसूस कर रहे हैं।

गौरतलब है कि एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस पर अभी कुल 60000 करोड़ रुपये का कर्ज है। बिड डॉक्यूमेंट के मुताबिक विनिवेश के दौरान एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस पर सिर्फ 23,285 करोड़ रुपये का कर्ज होगा। यानी एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस खरीदने वाली कंपनियों की जिम्मेदारी सिर्फ 23,285 करोड़ रुपये कर्ज चुकाने की रहेगी। बाकी कर्ज Air India Assets Holding Limited (AIAHL) की बैलेंस शीट में डाल दिया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि इस वक्त सरकारी खजाने की जो हालत है, उसमें एयर इंडिया को ज्यादा समय तक चलाया जाना मुमकिन नहीं है। अगर अगले छह महीनों में खरीदार नहीं मिलता है तो इसे बंद करने की नौबत भी आ सकती है। इससे साफ़ हो जाता है कि सरकार को किसी भी हालत में 6 माह के भीतर एयर इंडिया का विनिवेश करना ही होगा।

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