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पंजाब

जबरन वापस न भेजें एक भी प्रवासी मजदूर, जहां मिलें उन्हें वहीं उपलब्ध कराएं भोजन और वाहन: अमरिंदर सिंह

Nirmal kant
25 May 2020 10:14 AM GMT
जबरन वापस न भेजें एक भी प्रवासी मजदूर, जहां मिलें उन्हें वहीं उपलब्ध कराएं भोजन और वाहन: अमरिंदर सिंह
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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंदरसिंह ने सभी डीसी और एसपी को दिए निर्देश, प्रवासी मजदूर यदि पैदल चलता मिले तो उसे नजदीक के आश्रय स्थल तक पहुंचाए। वहां से उसकी घर वापसी का मुफ्त में इंतजाम होना चाहिए...

जनज्वार ब्यूरो। मजदूरों के मसले पर हो रही राजनीति के बीच पंजाब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सीएम कैप्टर अमरेंदर सिंह ने प्रदेश के सभी डीसी और एसपी को निर्देश दिये कि जो भी प्रवासी मजदूर सड़क पर चलता हुआ मिले, उसे तुरंत ही राहत शिविर में सम्मान के साथ पहुंचाए। वहां उसके खाने की व्यवस्था के साथ- साथ उनके घर तक पहुंचने की व्यवस्था मुफ्त में करें।

सीएम ने कहा कि सरकार हर मजदूर को उसके घर तक भिजवा रही है। उन्हें मुफ्त घर तक भेजा जायेगा, जब तक घर नहीं पहुंच जाते, तब तक खाना भी मुफ्त में उपलब्ध कराये। उन्होंने प्रवासी मजदूरों के बारे मेंकहा कि, "पंजाब भले ही आपकी जनम-भूमि नहीं है, लेकिन यह आपकी कर्म भूमि है। पंजाब की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूरों का बड़ा योगदान है। हम इनके योगदान का सम्मान करते हैं।

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विवार को पंजाब के कई उद्योग संगठन ने सरकार ने आग्रह किया था कि प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए मुफ्त में रेल व बस सेवा उपलब्ध न कराये। उद्योग संगठनों को भय है कि प्रवासी मजदूर यदि चले गये तो वापस नहीं आयेंगे। लेकिन उनके आग्रह को दरकिनार कर सरकार ने न सिर्फ प्रवासी मजदूरों को घर वापस भेजने के लिए मुफ्त रेल व बस सुविधा उपलब्ध कराने का ऐलान किया, बल्कि सभी एसपी व डीसी को इस बारे में सख्त निर्देश भी दिये हैं।

पंजाब में दस लाख प्रवासी मजदूरों ने घर जाने के लिए पंजीकरण कराया है। दूसरी ओर उद्योगों को चलाने की भी इजाजत दी गयी। इस वजह से सरकार एक बार फिर से मजदूरों को मौका दे रही है कि क्या वह वापस जाना चाह रहे हैं, या फिर यहां ही रहना चाह रहे हैं।

मजदूर संगठन पहल के प्रवक्ता दिनेश मनचंदा ने बताया कि यह सब दिखावा हो रहा है। सरकार बहुत ही सधे हुये कदम उठा रही है। अब जब कि मजदूर तमाम दिक्कतों से दो चार हो गए। सरकार को समझ में आया कि उनके बिना उद्योग चल नहीं सकते। इसलिए प्रवासी मजदूरों को यह अहसास कराया जा रहा है कि सरकार उनके साथ है। लेकिन सवाल यह है कि लॉकडाउन से अभी तक मजदूर सड़कों पर धक्के खा रहे हैं।

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'सरकार को तब इनकी सुध नहीं आयी। अब क्योंकि इस मुद्दे पर राजनीति हो रही है, इसलिए सरकार यह कदम उठाने का दिखावा कर रही है।' उन्होंने कहा कि अच्छा होगा, जो प्रवासी मजदूर यहां रह गये हैं, वह सकुशल अपने घर वापस चले जाये। लेकिन हम यह देखते रहे हैं कि सरकार के आदेश नीचले स्तर पर ज्यादा कारगर साबित नहीं होते हैं। फिर भी सरकार ने जो कदम उठाये हैं, हम इसका स्वागत करते हैं। भले ही इसमें कितनी भी देरी क्यों न हो गयी हो।

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