बीमार पत्नी को ठेले पर लेकर आयुष्मान कार्ड के साथ अस्पताल-दर-अस्पताल भटकता रहा बुजुर्ग, कहीं नहीं मिला इलाज
गोरखपुर में गरीब बुजुर्ग अपनी बीमार पत्नी को लेकर आयुष्मान कार्ड के साथ अस्पतालों के चक्कर काटता रहा मगर किसी ने भी बीमार महिला का इलाज नहीं किया। थक-हारकर बीमार पत्नी को ठेले पर ही लादकर बुजुर्ग घर आ गया...
जनज्वार। केंद्र और तमाम राज्यों में सत्तासीन भाजपा सरकार आयुष्मान योजना के बारे में दावे करती है कि अब कोई गरीब इलाज के बिना नहीं मरेगा, सबको बिना किसी परेशानी के इलाज मिलेगा, मगर आये दिन इसकी हकीकत सामने आती रहती है।
एक बार फिर आयुष्मान योजना की पोल योगी आदित्यनाथ के राज में उस समय खुल गयी, जब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गरीब बुजुर्ग अपनी बीमार पत्नी को लेकर आयुष्मान कार्ड के साथ अस्पतालों के चक्कर काटता रहा मगर किसी ने भी बीमार महिला का इलाज नहीं किया। थक-हारकर बीमार पत्नी को ठेले पर ही लादकर बुजुर्ग घर आ गया।
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मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक कैम्पियरगंज के महानखोर निवासी बुजुर्ग रामकेवल बहुत गरीब हैं और उनके पास आयुष्मान कार्ड बना हुआ है। उनकी पत्नी कैलाशी देवी पिछले कुछ वर्षों से बीमार चल रही हैं। शुक्रवार 7 फरवरी को उनकी बीमार पत्नी की हालत अचानक बिगड़ गई और उसे तेज बुखार हो गया। सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी तो वह ठेले पर बीमार पत्नी को लेकर अस्पताल की तरफ भागे।
रामकेवल ठेले पर लेकर अपनी बीमार पत्नी को दिन में लगभग दो बजे पीपीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे तो वहां अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं मिले। डॉक्टर के कमरे में ताला लटका रहा था और मौके पर मौजूद अस्पताल कर्मचारियों ने उनकी बीमार पत्नी को भर्ती करने से मना कर दिया।
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सरकारी अस्पताल द्वारा उनकी पत्नी को भर्ती करने से मना किया तो वह ठेले पर ही बीमार कैलाशी देवी को लेकर कस्बे के एक निजी अस्पताल में गये, मगर वहां भर्ती करने से पहले उनसे भारी-भरकम रकम जमा करने को कहा गया। इसके अलावा अन्य कई अस्पतालों में रामकेवल ठेले पर ही बीमार पत्नी को लेकर चक्कर काटते रहे, अपना आयुष्मान कार्ड दिखाया, मगर किसी निजी अस्पताल ने उनकी पत्नी को भर्ती नहीं किया। थक-हारकर बुजुर्ग अपनी बीमार पत्नी को लेकर वापस घर लौट आये।
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आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद निजी अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर भारी-भरकम रकम एडवांस के बतौर जमा करने को कहा गया, जो उनके बस की बात नहीं थी। रामकेवल रोते-रोते ठेले पर ही अपनी बीमार पत्नी को लेकर लौटने लगे। जब वह ठेले पर अपनी बीमार पत्नी को लेकर भगवानपुर के पास पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें बेबस हालत में देखा।
रामकेवल ने ग्रामीणों से कहा कि मेरे पास संपति के नाम पर आयुष्मान भारत का कार्ड है, मगर कोई भी अस्पताल मेरी पत्नी का इलाज नहीं कर रहा। बुजुर्ग रामकेवल की बात सुन उनकी मदद को ग्रामीण आगे आये। मौके पर मौजूद महावनखोर के पूर्व प्रधान जनक मिश्रा दंपती को अपने साथ ले गए और किसी अच्छे अस्पताल में इलाज कराने का आश्वासन दिया।
इस मसले पर सीएचसी कैम्पियरगंज के प्रभारी डॉ. भगवान प्रसाद का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर रामकेवल इलाज के लिए पत्नी को लेकर नहीं आया है। आयेगा तो इलाज किया जायेगा।