Begin typing your search above and press return to search.
समाज

देश जब पड़ता है महामारियों की वजह से संकट में तो बॉलीवुड ऐसे निभाता है अपना फर्ज

Janjwar Team
18 March 2020 10:00 AM IST
देश जब पड़ता है महामारियों की वजह से संकट में तो बॉलीवुड ऐसे निभाता है अपना फर्ज
x

भूमि पेडनेकर ने महिलाओं को होने वाली पीरियड्स की समस्या को लेकर अपनी फिल्म ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ के जरिए संदेश दिया कि इस समस्या से कैसे निपटें और इस दौरान क्या-क्या सावधानियां बरतें। हमारे देश के कई क्षेत्रों में आज भी पीरियड्स के चलते लड़कियां स्कूल जाना छोड़ देती हैं.....

जनार्दन कुमार सिंह की टिप्पणी

बहुतेरे इलाज बतावें, जन-जनमानस सब,

केकर सुनैं केकर ना हीं, कौन बताए इ सब।

केयु कहिस कलौंजी पीसौ, केयु आमला रस,

केयु कहस घर में बैठो, हिलो न ठस से मस।।

ईर कहेन और बीर कहेन, की ऐसा कुछ भी करो ना,

बिन साबुन के हाथ धोई के, केहू के भैया छुओ न।

हम कहा चलो हमौ कर देत हैं, जैसन बोलैं सब,

आवय देयो, करोना-फिरोना, ठेंगुआ दिखाऊब तब।।

सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन की इस कविता की लाइन से याद आया हम सबके लिए सुरक्षा का संदेश कितना जरूरी है। चीन से आया कोरोना वायरस इन दिनों देश-दुनिया में खूब चर्चा और बहस का विषय बना हुआ है। इससे लोगों में काफी डर व्याप्त है। अलग-अलग देशों से आ रहे यात्रियों का एयरपोर्ट पर कोरोना वायरस को लेकर चेकिंग और सुरक्षा जांच हो रही है। इससे पहले सोशल मीडिया से लेकर अखबारों, टीवी चैनलों और सिनेमा के जरिए जागरूकता अभियान चलाया गया है। चाहे वह जल संचय, साफ-सफाई, स्वच्छता अभियान हो, सड़क सुरक्षा पर अभिनेता-अभिनेत्रियों ने अपनी अहम भूमिका निभाते हुए सुरक्षा का संदेश दिया है।

तो आइए बात करते हैं देश में सबसे पहले कब और कैसे शुरू हुआ 'जागरूकता अभियान।' देश में सबसे पहले जागरूकता अभियान 1975 में इमरजेंसी के दौरान चलाया गया था। यह अभियान जनसंख्या नियंत्रण को लेकर शुरू हुआ। अभियान की ब्रांड एम्बेसडर समाजसेवी और बेहद खूबसूरत रुख़साना सुलताना को बनाया गया। इससे पहले वह न तो कोई अभिनेत्री थीं और न ही मॉडल। रुख़साना को इसलिए बनाया गया क्योंकि वह इतिहास के पन्नों में 'इमरजेंसी चीफ ग्लैमर गर्ल' के नाम से विख्यात हो गयी। हालांकि इस अभियान ने भयंकर रूप धारण कर लिया था, क्योंकि कुछ ऐसे केस सामने आए जिसमें कुछ लोगों को जबर्दस्ती नसबंदी की गई।

संबंधित खबर : भारत में 5-6 दिनों में कोरोना वायरस के मामले लगभग दोगुने हुए, मृतकों की संख्या भी बढ़ी

भारत में सुरक्षा को लेकर हर वर्ष 4 से 10 मार्च तक सुरक्षा दिवस-सुरक्षा सप्ताह यानी स्वास्थ्य एवं पर्यावरण सहित सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इसके तहत इस बार की थीम रही- ‘आधुनिक तकनीक की मदद से सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की गुणत्ता' को बढ़ाना। इसकी शुरुआत राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा 8 हजार सदस्यों के साथ मुंबई की एक सोसायटी एक्ट के तहत की गई।

के नाम पर एक और दिवस मनाया जाता है जिसका चिह्न है लाल रीबन यानी एड्स का सिम्बल। भारत में इसकी शुरुआत 1991 से लाल रीबन के जरिए शुरू की गई। हालांकि विश्व एड्स दिवस 1988 से 1 दिसंबर को मनाया जाता है। एड्स जागरूकता दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य है- दुनियाभर में एचआईवी और एड्स के प्रति लोगों में जागरूकता लाना। विश्व में प्रत्येक व्यक्ति को पूरी जिम्मेदारी के साथ एचआईवी और इससे पीड़ित लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना, अच्छे से पेश आना।

ब बात करते हैं महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और इनसे जुड़ी कई और मुद्दों पर। संयुक्त राष्ट्र की ओर से महिलाओं पर हो रही हिंसा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में भारत ने भी अपना समर्थन दिया और एक संदेश देने कि कोशिश की गई, जिसमें महिला अत्याचार पर जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रपति भवन को नारंगी कलर की लाइटों, फूलों और पर्दों से सजाया गया।

‘जहां सोच, वहां शौचालय’ का संदेश देती फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन ने इस विज्ञापन के जरिए विद्या 'हर घर शौचालय जरूरी होना है' का संदेश दे रही हैं। इस विज्ञापन में विद्या के साथ यूपी की प्रियंका भारती हैं, जो असल जिंदगी की हीरो हैं। ये वही प्रियंका भारती हैं जिसने ससुराल में टॉयलेट न होने की वजह से घर छोड़ दिया। जिनकी असल जिंदगी में घटित घटना पर आधारित अगस्त 2017 में आई फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ है।

विद्या ने ‘जहां सोच, वहां शौचालय’ के अलावा कई और ऐसे फिल्म और विज्ञापन किए जिसमें उन्होंने सुरक्षा को लेकर देश को एक संदेश दिया। इसके अलावा टीवी की दुनिया में कलर्स चैनल की बहुचर्चित धारावाहिक ‘बालिका-वधू’, ‘न आना इस देश लाडो’, ‘बेगुसराय’ जैसी कई धारावाहिक आई जो ‘बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ भ्रूण हत्या का संदेश देती है।

दी के महानायक अमिताभ बच्चन ने विज्ञापनों के जरिए कई ऐसे संदेश दिए जो देश को जागरूक करने के लिए संदेश दिया है। एनडीटीवी-डेटॉल द्वारा शुरू किए गए एक अभियान में अमिताभ बच्चन ने कहा ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत ही स्वस्थ भारत’ का निर्माण करेगा। ‘न उपाय से बेहतर है कहीं सावधानी’, ‘टीबी फ्री इंडिया’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘दो बूंद हर बार, पोलियो पर जीत रहे बरकरार’ जैसे कई विज्ञापनों के जरिए देश को जागरूकता का संदेश दिया। यही नहीं अमिताभ ने एक शॉर्ट फिल्म के जरिए जीएसटी को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाया।

र्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वच्छ भारत अभियान' की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत भारत को ‘खुले में शौच मुक्त’ बनाने के लिए बड़ा कार्यक्रम चलाया गया। इसके तहत गांव-गांव में शौचालय बनाए गए। यह अभियान गांधी जी की 150वीं जयंती के मौके पर शुरू किया गया। देशभर में शौचालय का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एक और अभियान चलाया गया जिसका नाम दिया गया है ‘दरवाजा बंद’। इंडिया ने खुले में शौच को खत्म करने की कसम खाई है। ‘दरवाजा बंद’ के माध्यम से साफ-सफाई का संदेश फैलाएं और स्वच्छ भारत को सपोर्ट करें। देश का हर गांव हो खुले में शौच से मुक्त, देखना कैसे हो जाएंगी बीमारियां लुप्त।

स्वच्छता और शौचालय क्रांति की शुरुआत देश में सर्वप्रथम बिहार के चंपारण जिले में जन्मे बिंदेश्वरी पाठक ने 1970 में की थी। तब इन्होंने सुलभ इंटरनेशनल के नाम से शुरू किया, जिसके लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया। वर्ष 2017 में फिल्म ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ फेम और अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने ‘क्लाइमेट वॉरियर’ नाम से एक अभियान शुरू किया है।

स अभियान का उद्देश्य था- पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग, और लंबी आयु के लिए लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके। इंसान ने ग्लोबल वार्मिंग को बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाई है। अब यह ठीक होने से काफी दूर निकल चुका है और हम सब सोच रहे हैं हमारे पास अभी बहुत समय है। हमें समझना होगा कि इससे सूखा पड़ रहा है, भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है और बड़े पैमाने पर बाढ़ आ रही है।

संबंधित खबर : कानपुर में दस्तक देने को तैयार कोरोना वायरस लेकिन सबसे बड़ा अस्पताल है बदहाल

ससे पहले भी भूमि पेडनेकर ने महिलाओं को होने वाली पीरियड्स की समस्या को लेकर अपनी फिल्म ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ के जरिए संदेश दिया कि इस समस्या से कैसे निपटें और इस दौरान क्या-क्या सावधानियां बरतें। हमारे देश के कई क्षेत्रों में आज भी पीरियड्स के चलते लड़कियां स्कूल जाना छोड़ देती हैं। इसी विषय पर जागरूकता फैलाना फिल्म का मकसद है।

Next Story