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मनमोहन सिंह के प्रयासों से मिली राह रहीम को सख्त सजा : जांच अधिकारी

Janjwar Team
30 Aug 2017 10:35 AM GMT
मनमोहन सिंह के प्रयासों से मिली राह रहीम को सख्त सजा  : जांच अधिकारी
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राम रहीम की गुफा में रहता था कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों का संग्रह, राजा की तरह रहता था आलीशान तरीके से

'डेरा सच्चा सौदा के मुखिया राम रहीम द्वारा साध्वियों के बलात्कार मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव मानने से इनकार कर दिया था और सीबीआई को इस मामले में काम करने की खुली आजादी दी थी।'

यह बात किसी और ने नहीं बल्कि राम रहीम के खिलाफ हुई सीबीआई जांच के मुख्य जांच अधिकारी एम नारायणन ने कही है।

साध्वी बलात्कार, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और रंजीत हत्या मामले की जांच में शामिल रह चुके सीबीआई अधिकारी एम नारायणन कहते हैं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सीबीआई के साथ खड़े हुए थे और उन्होंने आदेश दिया था कि जो कानूनन जायज वह कदम उठाओ। उन्होंने सीबीआई से यह भी कहा कि सांसदों के किसी भी तरह के दबाव में न आओ। जज के सामने साध्वियों के हुए बयान के बाद मनमोहन सिंह ने तत्कालीन सीबीआई प्रमुख विजय शंकर को अपने आॅफिस बुलाया और पूरे मामले पर विस्तृत जानकारी लेकर कहा, सांसदों के किसी दबाव में आने की जरूरत नहीं है।

गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा के मुखिया राम रहीम को बलात्कार मामले में हुई सजा के बाद भाजपा समर्थकों और मोदी भक्तों में यह चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस सरकार ने सीबीआई को कार्यवाही से रोके रखा। ऐसे में इसके मुख्य जांचकर्ता रहे एम नारायण का यह कहना बेहद महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री किसी स्तर पर जांच को लेकर सुस्त या राजनीतिक दबाव में नहीं रहे।

अंग्रेजी वेबसाइट न्यूज 18 को दिए साक्षात्कार में राम रहीम मामले में सीबीआई के मुख्य जांचकर्ता अधिकारी एम नारायणन ने सीबीआई के तत्कालीन प्रमुख विजय शंकर की भी तारीफ की। कहा कि पंजाब और हरियाणा के कई ताकतवर मंत्रियों ने विजय शंकर पर राम रहीम पर से मुकदमे हटाने का दबाव बनाया पर वह अड़े रहे और किसी एक न सुनी।

केरला के कसारागोड के रहने वाले एम नारायण उस समय कर्नाटक राज्य के मैसूर में थे जब राम रहीम को साध्वी बलात्कार मामले में 20 साल की सजा हुई। पूर्व सीबीआई अधिकारी नारायणन सजा पर संतोष जताते हुए कहते हैं, ' मुझे पूरा यकीन है कि राम रहीम को हत्या के दो और मामलों में सजा होगी।' एम नारायणन 2009 में रिटायर हो चुके हैं।

जांच की शुरुआत कैसे हुई? के बारे में नारायणन बताते हैं, 'मुकदमा 2002 में दर्ज हो गया, लेकिन 2007 तक कुछ नहीं हुआ। केस में गंभीरता तब आई जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले की प्रगति के बारे में सीबीआई प्रमुख विजय शंकर को अदालत में तलब किया और पूछा कि अब तक क्या हुआ।'

नारायणन के मुताबिक, 'चंडीगढ़ हाईकोर्ट के इस सवाल के बाद सीबीआई प्रमुख की ओर से हमें साध्वियों के पत्र, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या की फाइल और डेरा के स्वंयसेवक रंजीत की हत्या के दस्तावेज सौंपे गए। यह सौंपकर बॉस विजय शंकर ने कहा, जाओ अपना काम करो और हमने हाईकोर्ट के आदेश के सिर्फ 57 दिन में जांच पूरी कर दी।'

अधिकारी के मुताबिक, 'काम कठिन था, क्योंकि पत्र लिखने वाली साध्वियों का नाम—पता नहीं था। उसके बाद हमने वर्ष 1999 से 2002 के बीच रहीं साध्वियों से संपर्क किया। पता चला कि करीब 200 साध्वियों ने यौन उत्पीड़न के कारण डेरा छोड़ दिया है। उसके बाद हमने सिर्फ 10 पीड़ितों पर ध्यान केंद्रित किया। पर उनकी शादियां हो चुकी थीं और वह मुकदमा दर्ज कराने को तैयार नहीं थीं। उसके बाद हम बहुत मुश्किल से सिर्फ दो साध्वियों के मामले में अदालती आदेश के 56वें दिन अंबाला कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर पाए थे।'

डेरा में जाने के अनुभवों के बारे मुख्य जांच अधिकारी एम नारायणन बताते हैं, 'हर बार डेरे में घुसना बेहद कठिन रहा। राम रहीम के गुंडे हमें धमकाते थे। राम रहीम अपनी तथाकथित गुफा में मध्यकालीन राजाओं की तरह आलीशान तरीके से रहता था और खूबसूरत लड़कियों 'साध्वियों' से घिरा रहता था। हर रात करीब दस बजे मुख्य साध्वी को फोन जाता और वह किसी न किसी साध्वी को बलपूर्वक राम रहीम के साथ सोने के लिए भेजती।'

नारायणन के अनुसार, 'राम रहीम एक मझा हुआ अपराधी है। वह अपने पीछे किसी तरह के सबूत नहीं छोड़ता। उसके बेडरूम में कंडोम और गर्भ निरोधकों का संग्रह था। वह एक पागल और जानवर था।'

अगले किस मामले में राम रहीम को सख्त सजा होगी, इस बारे में नारायणन कहते हैं, 'बलात्कार पीड़ित एक साध्वी का भाई रंजीत डेरे का प्रतिबद्ध स्वयंसेवक था। लेकिन जब उसकी बहन का राम रहीम ने बलात्कार किया तो बहन और भाई ने आश्रम छोड़ दिया। उसके कुछ दिनों बाद राम रहीम द्वारा किए बलात्कार का एक अनाम पत्र हरियाणा—चंडीगढ़ हाईकोर्ट को मिला। राम रहीम को संदेह हुआ कि यह रंजीत का किया धरा है और राम रहीम ने रंजीत को मरवा दिया।

'रंजीत के मरने की जगह पर जो पिस्टल मिली वह राम रहीम के मैनेजर की थी और एक वॉकी—टॉकी भी मिला है। मेरा भरोसा है कि इस मामले में भी राम रहीम को सजा होगी।'

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