ISIS आतंकी होने के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार जहांजेब को बहन ने बताया बेकसूर
आरोपी जहांजेब की बहन शेहरिश बताती हैं कि उनका भाई कश्मीर में जारी इंटरनेट बंदी के कारण कंपनी के कहने पर पिछले साल सितंबर में दिल्ली चला गया था। कंपनी ने ही उसे ओखला में रहने की व्यवस्था की थी...
जनज्वार। इस्लामिक स्टेट के साथ कथित संबंधों के लिए नई दिल्ली में गिरफ्तार किए गए कश्मीरी दंपति के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को कहा कि दोनों को फंसाया गया है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप 'झूठे और काल्पनिक' हैं।
8 मार्च को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दावा किया था कि उन्होंने ओखला के जामिया नगर में किराए के फ्लैट में रहने वाले एक कश्मीरी दंपत्ति को इस्लामिक स्टेट के खोरासान मॉड्यूल से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार गया है। पुलिस के मुताबिक दंपति नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को भड़काने में शामिल थे और उनके पास से कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और महत्वपूर्ण सबूत बरामद हुए हैं।
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दिल्ली पुलिस ने जहांजेब सामी वानी और उनकी पत्नी हिना बशीर बैग को गिरफ्तार किया है। हालांकि जहांजेब सामी की बहन सेहरिश सामी ने इस्लामिक स्टेट से संबंध के आरोपों को खारिज किया है। सेहरिश कहती हैं कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद कश्मीर में तालाबंदी और इंटरनेट बंदी के कारण वह दिल्ली चले गए थे।
शेहरिश आगे कहती हैं कि 6 अक्टूबर को शादी होने के बाद भाई और उनकी पत्नी ने 26 अक्टूबर को दिल्ली में किराए पर एक फ्लैट लिया था। अब कश्मीर में इंटरनेट बहाल हो गया है इसलिए वो घर लौटने की तैयारी कर रहे थे। आखिरी क्षण उन्होंने मुझसे कहा था कि वे जल्दी ही घर आएंगे।
शेहरिश बताती हैं कि उनके बिजनेसमैन पिता अब्दुल सामी और भाभी के पिता भाई और उनकी पत्नी के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करने के लिए दिल्ली पहुँचे हैं। शेहरिश बताती हैं कि उन्हें जहांजेब के दोस्त ने मकान मालिक से संपर्क किया था और उनके भाई और बहन की गिरफ्तारी के बारे में सूचित किया।
वह आगे बताती हैं कि इसके बाद मैंने दिल्ली में चचेरी बहन से बात की और उनसे पूछा कि क्या हुआ है। तो उसने बताया कि पुलिस ने भाभी आरोप लगाए हैं और उन्हें अपने पति के साथ पुलिस स्टेशन ले गए हैं।
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शेहरिश बताती हैं कि उन्होंने कुछ समय के लिए बेंगलुरु में भी काम किया और फिर घर लौट आए और अपने खुद के आईटी स्टार्ट-अप वालर्सोल की शुरुआत की जो 2016 के नुकसान के कारण बंद हो गया। इसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए पुणे में भी नौकरी लेकिन वे हमेशा वापस आकर कश्मीर में बसना चाहते थे।