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शिक्षा

हिंदू राष्ट्र वाले डर गए हैं इसीलिए नकाब पहनकर JNU में हमला करने आए : अनिल सदगोपाल

Prema Negi
7 Jan 2020 9:39 AM GMT
हिंदू राष्ट्र वाले डर गए हैं इसीलिए नकाब पहनकर JNU में हमला करने आए : अनिल सदगोपाल
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कन्नन बोले, जब मिडिल क्लास, बुद्धिजीवी वर्ग सरकार से सवाल पूछने लगता है तो उन्हें सरकार अर्बन नक्सल कहने लगी। मुसलमान सवाल पूछता है तो आतंकवादी, अगर हिंदुओं ने सरकार से सवाल पूछा तो वे देशद्रोही और गरीब सवाल पूछे तो वह नक्सली माओवादी....

भोपाल से रोहित शिवहरे की रिपोर्ट

5 जनवरी को हुई जेएनयू के हिंसा के खिलाफ भोपाल में बोर्ड ऑफिस चौराहे पर अंबेडकर की प्रतिमा के ठीक नीचे भोपाल के लोग, छात्र संगठन, सेवादल के कार्यकर्ताओं ने "जेएनयू हम तुम्हारे साथ हैं", "दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद" और "अमित शाह इस्तीफा दो" के नारों के साथ 6 जनवरी को विरोध प्रदर्शन किया।

स प्रदर्शन में पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर अनिल सदगोपाल और सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई के साथ शहर के प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे। लगभग 3 घंटे चला प्रदर्शन राष्ट्रीय गान जन गण मन के साथ खत्म हुआ।

पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन ने कहा सरकार डर गई है। यह अलग-अलग तरह से लोगों का परसेप्शन बदल रही है, जैसे जेएनयू में स्टूडेंट अपने हक की मांगों को लेकर आजादी के नारों के साथ सरकार से सवाल पूछने लगे। सरकार उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग कहने लगी।

न्नन बोले, जब मिडिल क्लास, बुद्धिजीवी वर्ग सरकार से सवाल पूछने लगता है तो उन्हें सरकार अर्बन नक्सल कहने लगी। मुसलमान सवाल पूछता है तो आतंकवादी, अगर हिंदुओं ने सरकार से सवाल पूछा तो वे देशद्रोही और गरीब सवाल पूछे तो वह नक्सली माओवादी।

यह भी पढ़ें : जेएनयू के छात्रों का दावा, अगर कश्मीर का छात्र पहली मंजिल से नहीं कूदता तो उसे मार डालती भीड़

न्नन ने कहा, उसके बाद अपने समर्थकों को खुली छूट दे दी यह प्रक्रिया वहां से चालू हूई जो कल जेएनयू में हुआ है। इस सरकार ने चार-पांच सालों मेंएक जनरेशन ऐसी तैयार कर दी है, जो चार-पांच सालों से यही सुन रही। इसीलिए यूनिवर्सिटी के अंदर अटैक हुआ है। ऐसा 50 सालों में कभी नहीं हुआ। ऐसा तो इमरजेंसी के वक्त भी नहीं हुआ।

सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई ने कहा यह सरकार हिटलर की सरकार है। मैं गुजरात से आता हूं मुझसे जब पूछा जाता है कि कि वहां से तो गांधी और पटेल आते थे फिर अमित शाह और मोदी कैसे हुए? मैं उन्हें एक ही जवाब दे पाता हूं। कि मैं जिस गुजरात से आता हूं वहां से गांधी और पटेल ही हो सकते हैं। मैं मोदी शाह के गुजरात से नहीं आता। साथ ही उन्होंने कहा आप लोग आंदोलन का नेतृत्व करिए हम हमेशा से आपके पीछे खड़े रहेंगे हम आपके आगे नहीं आएंगे आपके साथ आपके पीछे खड़े रहे हैं और इस हिटलर शाही सरकार के खिलाफ लड़ते रहेंगे।

जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और शिक्षाविद डॉक्टर अनिल सदगोपाल कहते हैं, जेएनयू में जो लोग हमला करने आए थे वह नकाब पहनकर आए थे। अब समझ आता है कि यह वही लोग थे जो हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। अब उनकी आंखों में शर्म है, इसीलिए वह चेहरे छुपा कर घूम रहे हैं।

रकार को समस्या जेएनयू के सवाल उठाने से है और यह सब सिर्फ जेएनयू में नहीं हो रहा है बल्कि हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, जादवपुर यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सभी जगह छात्रों ने सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं। यह वही सवाल है जो 1928 में शहीदे आजम भगत सिंह ने उठाए थे। उनका ढाई पन्ने का एक लेख है 'छात्र और राजनीति' यह सब उसी से प्रेरित है। उसी के 2 मूल सवाल है।

निल सदगोपाल ने कहा, आप ठीक कहते हैं छात्रों को पढ़ाई करनी चाहिए राजनीति नहीं करनी चाहिए, पर आप बताइए जो शिक्षा हमें हमारे देश की समस्याओं पर बात ना करने दे, हमारे अधिकारों की बात ना करने दे, जो हमें ब्रिटिश गवर्नमेंट का क्लर्क बनाने के लिए उपयोगी हो, ऐसी शिक्षा हमारे किसी काम की नहीं और ऐसी शिक्षा को हम निरस्त करते हैं।

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