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शिक्षा

जेएनयू के छात्रों का दावा, अगर कश्मीर का छात्र पहली मंजिल से नहीं कूदता तो उसे मार डालती भीड़

Nirmal kant
7 Jan 2020 9:14 AM GMT
जेएनयू के छात्रों का दावा, अगर कश्मीर का छात्र पहली मंजिल से नहीं कूदता तो उसे मार डालती भीड़
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जेएनयू के छात्रों ने कहा जिन हॉस्टल के कमरों में लगी थी अंबेडकर, कार्ल मार्क्स या बापसा की फोटो वहां हुई तोड़फोड़ लेकिन जिन कमरों पर चिपकी थी एबीवीपी, देवताओं की तस्वीर वहां नहीं हुआ हमला..

ग्राउंड जीरो से विकास राणा की रिपोर्ट

जनज्वार। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार 5 दिसंबर की शाम छह बजे के करीब 50 से 60 की संख्या में आए नकाबपोश बदमाशों ने कैम्पस और साबरमती समेत अन्य हॉस्टलों के अंदर घुसकर छात्रों पर हमला और तोड़फोड़ की। हमला करने वालों के हाथों में लाठी, रॉड हॉकी आदि थे। लगभग तीन घंटे तक परिसर में अराजकता फैलाने के बाद ये हमलावर आराम से बाहर निकल गए और जेएनयू मेन गेट पर मौजूद पुलिस उन्हें चुपचाप देखती रही। इस हमले में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष और प्रोफ़ेसर सुचित्रा सेन समेत कई छात्र और शिक्षकों को गंभीर चोटे आई। घायलों को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया था।

मला करने के बाद भी नकाबपोश बदमाश यहीं नहीं रुके बल्कि कैंपस में घूमकर छात्रों के साथ मारपीट करने लगे। भीड़ में अधिकतर लोग 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे। इन लोगों को जहां लेफ्ट या बापसा से जुड़े छात्र दिख रहे थे उनके साथ मारपीट की जा रही थी।

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गले दिन सोमवार 6 जनवरी की सुबह जेएनयू के छात्रों ने वाइस चांसलर और दिल्ली पुलिस के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया। छात्रों का कहना था कि जो लोग कैंपस के अंदर घुसे थे उनको जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस का सहयोग मिला हुआ था। इसके अलावा दोपहर के समय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के द्वारा भी हमले की निंदा करते हुए वाइस चांसलर का इस्तीफा देने की मांग की गई। इस दौरान जेएनयू में कई छात्र अपने सामान के साथ घर की तरफ जाते हुए भी दिखे। हमले के बाद छात्रों के अंदर इतना डर था कि वो विश्वविद्यालय छोड़ने के लिए मजबूर हो गये।

के बाद अपने घर की तरफ जा रही रेनू ने कहा, 'कल रात को हुई घटना के बाद जेएनयू के छात्र काफी डर गए हैं जिसके कारण वो विश्वविद्यालय को छोड़कर अपने घर जा रहे हैं। जब ये घटना हुई तो उस समय मैं लााइब्रेरी के अंदर पढ़ाई कर रही थी। इसके बाद जब घटना का पता चला तो मैं झेलम हॉस्टल की तरफ जाने लगी लेकिन मामले को हिंसक देख मैं झेलम में ही अपने एक दोस्त के कमरे में जाकर बैठ गई। हम लोगों को बाहर नारों की और चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी जिसके बाद मैं काफी डर गई थी। जब ये घटना हुई तो ऐसा लग रहा था कि ये लोग अब हमको नहीं छोड़ेंगे। फिर जब माहौल पूरी तरह से शांत हुआ तो हम लोग बाहर निकले हम लोग अभी भी डरे हुए हैं। ये घटना दोबारा ना हो जाए जिसके लिए हम लोग अपने घर जा रहे हैं, जब माहौल ठीक हो जाएगा तो वापस आ जाएंगे।

नाम ना बताने की शर्त पर जेएनयू के एक छात्र ने बताया कि रविवार के दिन कैंपस में छात्रों के द्वारा शांति मार्च का कार्यक्रम था जिसको लेकर कैंपस में 500 से 600 छात्र साथ में जुड़ गए थे। जब हमला हुआ तो उसी समय 7 बजे के करीब पेरियार हॉस्टल की तरफ से लगभग 60 से 70 लोगों की भीड़ आ रही थी। भीड़ के हाथों में डंडे, रॉड और पत्थर थे।

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न्होंने आगे बताया, 'जैसे ही हम लोग टी पॉइंट पर पहुंचे तो 20 कदम की दूरी से इन लोगों ने पत्थरबाजी करना शुरू कर दिया और जैसे ही पत्थरबाजी शुरू हुई सारे लड़के इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान छात्रों के अलावा कई प्रोफेसरों को भी पत्थर से चोटें लगी। फिर सभी छात्र साबरमती हॉस्टल की तरफ भागे और वो 70 से 80 लोग भी हम लोगों के पीछे आने लगे। जब वो लोग हॉस्टल के अंदर आए तो उन्होंने पूरे हॉस्टल को तोड़ना शुरू कर दिया उन्होंने साबरमती हॉस्टल के प्रवेश गेट के कांच को पूरी तरह से तोड़ दिया।

स भीड़ को जो छात्र गेट के बाहर मिले उन्होंने उनको मारना-पीटना शुरू कर दिया। चाहे लड़का हो या लड़की, इन लोगों के सभी के साथ मारपीट की। इसके बाद वो लोग पूरे फ्लोर में घूमने लगे और हर कमरे में जाकर तोड़फोड़ करने लगे। जब वह हमारे कमरे में आए तो कमरे के बाहर 'भारत माता की जय' के नारे लगाने लगे और दरवाजे को तोड़ने लगे। कमरे में मेरे साथ कई बच्चे थे हम सब लोगों ने दरवाजे को मजबूती से पकड़ लिया ताकि वह लोग अंदर ना आ सके अगर वो अंदर आ जाते तो हम लोगों को शायद मार ही डालते।'

मे अंतराष्ट्रीय संबध में एमए के छात्र ने बताया कि जब लोगों की भीड़ हमारी तरफ आयी तो उन्होंने आते ही हमारे साथ मारपीट करना शुरू कर दिया जिसके बाद अपने आप को बचाने के लिए हम लोग साबरमती हॉस्टल से भाग कर सस्वती गेट की तरफ भागने लगे। जब हम वहां पहुंचे तो 70 से 80 लोगों की भीड़ हमारी तरफ आ रही थी। जिसमें 17 साल से 45 साल तक के लोग शामिल थे।

न्होंने बताया, 'जब भीड़ हमारी तरफ आ रहा था तो हमने अपने साबरमती हॉस्टल की तरफ भागना शुरू कर दिया। हमारे साथ कई लड़कियां भी थी। हम लोग एक कमरे के अंदर आए और कमरे को अंदर से ही बंद कर दिया। इसके बाद भीड़ ने अपने साथ लाये लाठी, डंडों से दरवाजे को तोड़ना शुरू कर दिया। हम लोग अंदर से अपील कर रहे थे कि ऐसा मत करिए हमारे साथ कई लड़कियां भी है लेकिन वह लोग काफी गुस्से में थे और किसी की नहीं सुन नहीं रहे थे। इसके बाद हम लोगों ने गेट को अंदर से अटकाने की भी कोशिश की लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी।'

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'उन्होंने कमरे के कांच को पत्थर से तोड़ दिया और कमरे के अंदर पत्थर और एसिड से हमला करना शुरू कर दिया। इसके अलावा एक आदमी ने हमारे कमरे के अंदर फायर इक्सटेंशन को खोलकर अंदर की तरफ फेक दिया। इस दौरान कई लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।'

जेएनयू में एबीवीपी के छात्रों पर आरोप लगाते छात्र ने आगे कहा, 'जो लोग हमला करने आए थे उन्हें यहां के एबीवीपी के लोगों का पूरे तरीके से समर्थन था क्योंकि जिन छात्रों के कमरों में अंबेडकर, कार्ल मार्क्स या बापसा की फोटो लगी हुई थी। उन लोगों के कमरों में तोड़फोड़ की गई लेकिन वहीं जिन लोगों के कमरे के बाहर एबीवीपी, भगवान या किसी अन्य देवता की फोटो लगी हुई थी वहां इन लोगों ने हमला नहीं किया।'

'इसके अलावा एबीवीपी के लोग हमलावरों को बता रहे थे कि किसी कमरे में हमला करना है और किस कमरे में हमला नहीं। इसी दौरान 156 नंबर में एक कश्मीरी छात्र रहता था जिसके ऊपर इन लोगों ने हमला कर उसके कमरे को जलाने की कोशिश की। अगर वो लड़का पहली मंजिल से नहीं कूदता तो वह मर जाता।

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