जिन कम्युनिस्टों को कोसते हैं कट्टरपंथी, उन्हीं के शासन वाला केरल बना कोरोना से निपटने में आदर्श
आज देश में केरल किसी भी अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा प्रभावी तरीके से कोरोना से लड़ रहा है. इस बात की गवाही आंकड़े खुद देते हैं.
जनज्वारः कोरोना वायरस की चुनौती का केरल सरकार ने जिस तरह से किया उसकी तारीफ हर कोई कर रहा है. केरल में लेफ्ट गठबंधन की सरकार है जो कट्टरपंथियों के निशाने पर रही है. लेकिन आज देश में केरल किसी भी अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा प्रभावी तरीके से कोरोना से लड़ रहा है. इस बात की गवाही आंकड़े खुद देते हैं.
वरिष्ठ संपादक प्रकाश के रे ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में इस बात आकंड़ों के साथ साबित किया है कि कोरोना के खिलाफ केरल मॉडल कितना प्रभावशाली है. रे के मुताबिक-
मोदी सरकार ने देशभर में चल रहे सरकारी राहत शिविरों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी है. इस सूचना के अनुसार, देशभर के 22,567 शिविरों में से 15,541 राहत शिविर केरल सरकार द्वारा संचालित हो रहे हैं.
इसक मतलब यह कि 68.8 फ़ीसदी शिविर अकेले केरल सरकार चला रही है. सभी शिविरों में 6,31,119 लोग रहे हैं. इनमें से 3,02,016 लोग केरल सरकार के शिविरों में है. यह आंकड़ा प्रतिशत में 47.9 है.
रे इस बात की तरफ भी इशारा करते हैं कि कैसे केंद्र केरल के साथ भेदभाव कर रहा है. उनके मुताबिक, 'केंद्र सरकार ने राज्यों को आपदा राहत कोष से 11,092 करोड़ का कुल आवंटन किया है, जिसमें से केरल को मात्र 157 करोड़ यानी 1.4 फ़ीसदी ही मिला है.
प्रकाश यह भी लिखते हैं कि केरल जो एक रुपया का राजस्व केंद्र सरकार को देता है, उसमें से मात्र 25 पैसा ही उसे मिल पाता है.'
गौरतलब है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन खुद यह कह चुके हैं कि केंद्र सरकार उन्हें जो वित्तिय सहायता मिली है वह अपर्याप्त है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के मुताबिक केरल में इस वक्त कुल 364 कोरोना के मरीज हैं जबकि 123 मरीज ठीक हो चुके हैं. केरल में अब तक दो लोगों की मौत इस बीमारी से हुई है. बता दें केरल में कोरोना से आखिरी मौत 31 मार्च को हुई तब से लेकर वहां किसी मरीज की मौत नहीं हुई है.