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योगीराज : परिजन फोन करते रह गए नहीं आई एंबुलेंस, ठेले पर भाभी को ले गया अस्पताल, रास्ते में दम तोड़ा
लॉकडाउन के नाम पर उत्तर प्रदेश की सवास्थ सेवाएं ICU में है, हर दिन देश का गरीब अपनी जान दे रहा। कल ही बिहार के जहानाबाद में एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से एक मासूम के मां की गोद में ही दम तोड़ देने की शर्मनाक घटना से भी किसी ने सबक नहीं लिया...
जनज्वार। लॉकडाउन के नाम पर उत्तर प्रदेश की सवास्थ सेवाएं ICU में है, हर दिन देश का गरीब अपनी जान दे रहा। कल ही बिहार के जहानाबाद में एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से एक मासूम के मां की गोद में ही दम तोड़ देने की शर्मनाक घटना से भी किसी ने सबक नहीं लिया। कुछ ऐसा ही रविवार सुबह यूपी के मैनपुरी में हुआ।
यहां एक महिला की तबीयत खराब हो गई तो परिजनों ने एंबुलेंस के लिए फोन किया। हर कोई अपनी जिम्मेदारी टरकाता रहा। एम्बुलेंस नहीं आई तो महिला के परिजन उसे हाथ वाले ठेले पर रखकर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में ले गए। मगर तब तक देर हो चुकी थी। उसकी सांसें हमेशा के लिए थम गई थीं। डॉक्टर ने महिला को मृत घोषित किया तो साथ आईं महिला रो पड़ी। कहने लगी क्या यही सुविधा सरकार दे रही है।
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मोहल्ला कटरा निवासी 42 वर्षीय गुड्डी देवी पत्नी लक्ष्मी राठौर की सुबह तबियत खराब हुई तो सरकारी एम्बुलेंस सेवा को फोन किया गया। 102 नंबर पर बताया तो उन्होंने 108 पर फोन करने के लिए कहा। 108 पर फ़ोन किया तो एम्बुलेंस पर तैनात ईएमटी द्वारा अपनी वजह बता कर सेवा देने से इंकार कर दिया गया। इसके बाद परिजन महिला को हाथठेला पर ही लिटा कर जिला अस्पताल ले आए।
जिला अस्पताल की इमरजेंसी के अंदर परिजन हाथ ठेला लेकर पहुंच गए। परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी, गुड्डी ने दम तोड़ दिया था। चिकित्सक ने जांच के बाद गुड्डी को मृत घोषित किया तो परिजन हाथ ठेला पर शव रखकर शव घर ले आए। जयपुर में फंसे पति और पुत्र को मामले की जानकारी दी गई है।
यह घटना स्वास्थ्य विभाग की दिन-रात दी जाने वाली एम्बुलेंस सेवाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। बताया गया है कि महिला का पति और पुत्र जयपुर में हैं। वहीं प्राइवेट नोकरी करते हैं। लॉक डाउन हुआ तो वे वहीं फंस गए। महिला कुछ महीनों से यहीं रह रही है। लॉकडाउन के दौरान मोहल्ले के लोगों ने गुड्डी को भरण पोषण के लिए लेखपाल से कहकर खाद्यान्न भी दिलवा दिया था। उधर मोहल्ले के लोगों में भी घटना को लेकर रोष है।