गुजरात सरकार की आलोचना करने पर हाईकोर्ट जज को मजदूरों की सुनवाई वाले बेंच से हटाया
मजदूरों और कोरोना मामलों की जनहित याचिकाओं और स्वत: संज्ञान लेने वाले बेंच से हाईकोर्ट ने जज ईलेश वोरा को हटा दिया है, उन्होंने पिछले दिनों मजदूरों को लेकर असंवेदनशील रवैये पर गुजरात सरकार की आलोचना की थी...
जनज्वार। मोदी सरकार में जजों के प्रशासन के मनमुताबिक नहीं चलने पर कई बार सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक विवाद हो चुके हैं। ताजा मामला अहमदाबाद हाईकोर्ट का है, जहां के बारे में यह कहा जा रहा है कि जज इलेश वोरा को सरकार ने बेंच से इसलिए बेदखल करा दिया है, क्योंकि उन्होंने हाल ही में गुजरात सरकार की कोरोना से निपटने के तरीकों और मजदूरों के प्रति रवैये को लेकर तीखी आलोचना की थी।
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अबतक कोरोना और उससे निपटने को लेकर जो जनहित याचिकाएं दाखिल हो रही थीं, उसके सुनवाई का अधिकार गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और इलेश जे वोरा को था। इस बेंच के पास कोरोना से उपजे संकट, प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था और सुविधा के मामलों की सुनवाई का भी अधिकार था।
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मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर जहां 11 मई को कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं, वहीं कोर्ट ने इसके बाद 22 मई को कहा था कि वेंटीलेटर न होने की वजह से कोरोना के गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ी है। इसके कारण मरने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा होगा। अब ऐसे मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ के साथ इलेश जे वोरा की जगह जेपी परदीवाला करेंगे।