खुशखबरी : जब इटली में कोरोना से लोग मर रहे हैं, भारत ने कोरोना संक्रमित इटली के 12 नागरिकों को इलाज कर नई जिंदगी दे दी
कोरोनावायरस (कोविड-19) से संक्रमित व्यक्ति को अगर सही इलाज मिले तो उसकी जिंदगी बच जाती है। चाहे स्थिति कुछ भी हो। उम्र कुछ भी हो। इटली में कोरोनावायरस से जब लोगों की मौत हो रही है, वहीं भारत ने कोरोना वायरस से संक्रमित इटली के नागरिकों को इलाज कर नई जिंदगी देकर बीमारी से लड़ने का जज्बा दिया है...
जनज्वार। कोरोनावायरस (कोविड-19) से संक्रमित व्यक्ति को अगर सही इलाज मिले तो उसकी जिंदगी बच जाती है। चाहे स्थिति कुछ भी हो। उम्र कुछ भी हो। इटली में कोरोना वायरस से जब लोगों की मौत हो रही है, वहीं भारत ने कोरोना वायरस से संक्रमित इटली के नागरिकों को इलाज कर नई जिंदगी देकर बीमारी से लड़ने का जज्बा दिया है। भारत दौरे पर आए 14 इतालवी नागरिकों में स्टेज-1 कोरोनवायरस की पुष्टि होने के बाद दिल्ली के आईटीबीपी कैंपस से 05 मार्च को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। 23 मार्च को इलाज के बाद 12 इतालवी नागरिकों को उनके देश भेज दिया गया है।
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मेदांता अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके दूबे ने बताया कि कोरोनावायरस की पुष्टि होने के बाद पहुंचे सभी मरीज 60-80 साल (एक को छोड़कर) के बीच की थी। इनकी उम्र इलाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। पहले इनके एक फ्लोर को खाली करके आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया। हर मरीज के लिए एक अलग व्यवस्था की गई। आईसीयू एक्सपर्ट और मेडिसिन हेड डॉ. सुशीला कटारिया के साथ मिलकर एक लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तैयार किया गया। उसके बाद मेडिसिन विभाग ने इस पर काम शुरू किया। सफाई व्यवस्था का ख्याल रखते हुए तीन बार सभी वार्ड को सैनिटाइज किया जाता था।
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डॉ. सुशीला कटारिया ने बताया कि सभी को चेकअप के बाद 14 मरीजों को तीन ग्रुप सामान्य, गंभीर और अति गंभीर में बांटा गया। सभी को एक कॉमन फ्लू की दवाइयां दी गई, लेकिन दो श्रेणी गंभीर और अति गंभीर के लिए खास ध्यान देते हुए उनके अलग से लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तैयार किया। जो गंभीर थे, उन्हें एंटीवायरल दवाइयों के साथ एक्टेमरा (actemra) इंजेक्शन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) की दवाईयां दी गई। कुछ को एंटीवायरल के साथ टोसिलीजंब (Tocilizumab) टैबलेट भी दी गई। इस बीमारी से फेफड़ों में अधिक प्रभाव पड़ता है। वायरस फेफड़ों में एयरसैक बनाने लगता है। इसके बाद सांस लेने में तकलीफ़ होने लगती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी को ऑक्सीजन भी दी गई।
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बकौल कटारिया, सभी मरीजों के बॉडी फंक्शन पर विशेष ध्यान रहता था। हर सुबह टेस्ट किया जाता था। उसकी रिपोर्ट के आधार पर दवाई दी जाती थी। इसमें फेफड़े के फंक्शन पर खास फोकस था। चार मरीजों के फेफड़ों (लंग) फंक्शन में अधिक दिक्कत होने पर एंटी वायरल डोज बढ़ा दिया था। इसमें एचआईवी के लिए प्रयोग होने वाली दवाइयां भी इस्तेमाल की गई। इन दवाइयों के अलावा सभी के इम्यून सिस्टम बढ़ाने पर अधिक फोकस था। इसके लिए उन्हें विटामिन सी के टैबलेट के साथ नाश्ते में ऑरेंज, किवी दिए गए। खाने में सॉफ्ट डाइट दी गई।
अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि सभी मरीज को उनके वार्ड के अंदर ही टहलने के लिए प्रेरित किया जाता था। ऐसे वक्त में साइकोलॉजिकल सपोर्ट की भी जरूरत होती है। इसके लिए इतालवी दूतावास से संपर्क कर कुछ किताबें मंगवाई गई। एक वाट्सऐप ग्रुप के जरिये उनके परिवार से बातचीत कराते रहें, जिससे उनके अंदर हौंसला मिला। सभी मरीजों की स्थिति ठीक होने पर कोरोना वायरस से संबंधित चार-चार टेस्ट किए गए, चारों नेगेटिव होने के बाद उन्हें छुट्टी दी गई।
क्या है कोरोनावायरस के स्टेज
- वायरस संक्रमण का अगर कोई केस विदेश से आता है तो उसे स्टेज-1 कहते है।
- अब बाहर से आए लोगों से जब उनके पड़ोसियों, घर वालों को संक्रमण फैलने लगता है तो उसे स्टेज 2 कहते है।
- जब ये बीमारी व्यापक स्तर पर फैलने लगे। इसमें जरूरी नहीं कि आप संक्रमित व्यक्ति से मिले हों। यह स्टेज-3 कहलाता है।