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पाकिस्तान से ज्यादा भुखमरी भारत में कहने वाले चले जाएं पाकिस्तान...

Prema Negi
17 Oct 2019 5:29 AM GMT
पाकिस्तान से ज्यादा भुखमरी भारत में कहने वाले चले जाएं पाकिस्तान...
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भारत ऐसा देश है जहां के 6 से 23 महीने के 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों को आवश्यक न्यूनतम पोषण नहीं मिलता है और यह संख्या दुनिया में सबसे अधिक है, यानी भारत का भविष्य कुपोषित और बहुत कमजोर है...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

स वर्ष के वैश्विक भूख इंडेक्स (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में हम कुल 117 देशों की सूची में 102वें स्थान पर खड़े हैं। इस सन्दर्भ में लगभग एक महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी का अहंकार से भरा अमेरिका के हयूस्टन में दिया गया वक्तव्य भी याद कर लीजिये, जिसमें उन्होंने कहा था देश में कोई समस्या नहीं है सब ठीक है। इसका सीधा सा मतलब है कि प्रधानमंत्री के लिए जनता की भूख कोई समस्या नहीं है।

लोगों ने इस भयावह ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 जोकि हमारे विकास का आईना है, के सामने आने के बाद कटाक्ष भी करना शुरू कर दिया है कि जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि देश में सब ठीक है तो भूख का यह इंडेक्स दिखाने वालों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान में हमसे कम भुखमरी है और हमारे प्रधानमंत्री के लिए जनता की भूख कोई समस्या नहीं है।

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में अफ़ग़ानिस्तान (108) को छोड़कर पाकिस्तान समेत सभी पड़ोसी देश – चीन (25), श्री लंका (66), म्यांमार (69), नेपाल (73), बांग्लादेश (88) और पाकिस्तान (94) -हमसे आगे हैं। सूची में इथियोपिया, नार्थ कोरिया, नाइजर और कैमरून जैसे देश भी भारत से आगे हैं।

भारत से नीचे सूची में जो देश हैं, उनके नाम हैं – सिएरे लियॉन, यूगांडा, जिबोटी, रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, सूडान, अफ़ग़ानिस्तान, ज़िम्बाब्वे, तिमोर लेस्टे, हैती, लाइबेरिया, ज़ाम्बिया, मेडागास्कर, चाड, यमन रिपब्लिक और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स से इतना तो स्पष्ट है कि देश की वास्तविकता का खुलासा होता है और यह भी पता चलता है कि हम दुनिया के नक़्शे पर किन देशों के समकक्ष खड़े हैं, भले ही 5 ख़रब की अर्थव्यवस्था का सपना पाल रहे हों।

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स सूची में शामिल देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति पर नज़र रखी जाती है और उसी के आधार पर रैंकिंग की जाती हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी जीएचआई में कुल स्कोर 100 होता है। इसमें शून्य सबसे अच्छा और 100 सबसे बुरा स्कोर होता है। भारत का स्कोर 30.3 है, जो काफ़ी बुरा और गंभीर माना जाता है।

स इंडेक्स को तैयार करने में चार बातों का ख़्याल रखा जाता है - कुपोषण का शिकार बच्चे, 5 साल से कम उम्र के बच्चे जिनका वजन उस उम्र के बच्चों के औसत वजन से कम हो, 5 साल से कम उम्र के बच्चे जिनकी ऊंचाई उस उम्र के बच्चों की औसत ऊंचाई से कम हो और 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर। इस इंडेक्स को आयरलैंड की संस्था “कंसर्न वर्ल्डवाइड” और जर्मनी की संस्था “वेल्थहंगरहिलफे” संयुक्त तौर पर तैयार करती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार भारत ऐसा देश है जहां के 6 से 23 महीने के 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों को आवश्यक न्यूनतम पोषण नहीं मिलता है और यह संख्या दुनिया में सबसे अधिक है। कहा जाता है बच्चे देश का भविष्य होते हैं, इस मामले में भारत का भविष्य तो कुपोषित और कमजोर ही दिखता है।

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च्चों की ऊंचाई के अनुपात में पर्याप्त वजन नहीं होना देश की सबसे बड़ी समस्या है – वर्ष 2010 में 15.5 प्रतिशत ऐसे बच्चे थे पर 2019 के सबकुछ ठीक है वाले न्यू इंडिया में इन बच्चो की संख्या 20.8 प्रतिशत तक पहुँच गयी है। सूची में शामिल 117 देशों में से केवल 24 देश ऐसे हैं जहां ऐसे बच्चो की संख्या 10 प्रतिशत या इससे अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार शौचालयों का जितना भी महिमा मंडान कर रही हो पर तथ्य यही है अभी तक बच्चे और बड़े भी खुले में शौच जा रहे हैं और इससे समस्या और गंभीर हो रही है।

समें कोई आश्चर्य नहीं है कि इस रिपोर्ट को सरकार नकार दे या फिर विपक्षी दलों या पाकिस्तान की साजिश करार दे, क्योंकि देश के आकाओं को सब ठीक लगता है।

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