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समाज

महाराष्ट्र में 3 सालों में 12,201 किसानों ने की आत्महत्या

Prema Negi
22 Jun 2019 1:24 PM GMT
महाराष्ट्र में 3 सालों में 12,201 किसानों ने की आत्महत्या
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महाराष्ट्र में मात्र 3 साल के अंदर कर्ज, गरीबी, भुखमरी से तंग आकर 12201 किसानों ने मजबूरन आत्महत्या कर ली, मगर भाजपा सरकार दावा करती है किसान हितैषी होने का...

जनज्वार। सरकार एक तरफ किसानों को राहत देने के तमाम दावे करती है, मगर जमीनी हकीकत यह है कि मात्र एक राज्य में 3 साल के अंदर 12 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर लेते हैं। यह तो सरकारी आंकड़ा है, सही—सही आंकड़े इससे कहीं ज्यादा भयावह होंगे।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही महाराष्ट्र में मात्र 3 साल के अंदर कर्ज, गरीबी, भुखमरी से तंग आकर 12,201 किसानों ने मजबूरन आत्महत्या कर ली। यह बात महाराष्ट्र सरकार के राहत और पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने विधानसभा में स्वीकारते हुए कहा कि साल 2015 से 2018 के बीच महाराष्ट्र में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है।

विधानसभा में 21 जून को एनसीपी के अजित पवार, जितेंद्र आव्हाड सहित कई विधायकों द्वारा किसान आत्महत्या से संबंधित प्रश्न के जवाब में सुभाष देशमुख ने लिखित में यह भी स्वीकारा कि राज्य में किसान आत्महत्याओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है।

यह आंकड़ा सबसे बड़ी किसान हितैषी होने का दावा करने वाली मोदी सरकार के समय का है और महाराष्ट्र में भी भाजपा ही सत्तासीन है। विधानसभा में किसान आत्महत्याओं के बारे में बताते हुए महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा कि तीन साल में किसानों की आत्महत्या के कुल 12,201 मामलों में से 6,888 ऐसे थे जो जिला स्तरीय समितियों की समीक्षा के बाद सरकारी सहायता के पात्र थे।



देशमुख ने कहा कि हमारी सरकार में अब तक इनमें से 6845 किसानों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। यानी अभी भी आत्महत्या करने वाले लगभग 6 हजार किसानों के परिजनों को सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिली, उन्हें आर्थिक सहायता के अयोग्य ठहरा दिया गया।

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महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ने बताया कि इस साल 2019 में जनवरी से मार्च के बीच 610 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। सरकार ने इनमें से मात्र 192 को आर्थिक सहायता दिये जाने की पात्रता में शामिल किया और इनमें से 182 किसानों के परिजनों को आर्थिक सहायता दी गई है। बाकी आत्महत्याओं के बारे में महाराष्ट्र सरकार कहती है कि पात्रता जानने के लिए समीक्षा की जा रही है।

गौरतलब है कि किसानों की इतनी भारी तादाद में आत्महत्या के आंकड़े के बाद कर्ज माफी के सिलसिले में विधान परिषद में विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा बरपाया। प्रतिपक्ष नेता धनंजय मुंडे ने वाशिम जिले के अशोक ग्यानजू का मामला उठाते हुए कहा कि 2 साल पहले इस परिवार को मुख्यमंत्री ने कर्ज माफी का सम्मान पत्र दिया था, मगर आज तक उनका कर्ज माफ नहीं हुआ और इस वक्त ग्यानजू विधान भवन परिसर में मौजूद हैं। मुंडे ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में ऐसे बहुत सारे किसान हैं जिनके कर्ज माफ नहीं किये गये हैं।

विपक्ष के इस तीखे हमले पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ गलत व भ्रामक प्रचार जान—बूझकर किया जा रहा है। जबकि सच यह है कि राज्य के भीतर जिन जिन किसानों पर दो लाख के अंदर कर्ज था, उनके लगभग माफ कर दिया गया है। देशमुख के इसी जवाब पर असंतुष्ट विपक्ष में सदन में जमकर हंगामा काटा, जिस कारण सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित तक करनी पड़ी।

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जहां यह महाराष्ट्र के किसानों की आत्महत्या का भयावह आंकड़ा है, वहीं मध्य प्रदेश का जुलाई 2018 में जारी एक आंकड़ा कहता है कि वहां हर 8 घंटे में एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। 2018 में यह आंकड़ा जब सामने आया था तब वहां भाजपानीत शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी। इससे बुरा क्या हो सकता है कि जिस मध्य प्रदेश का यह भयावह आंकड़ा शिवराज सिंह चौहान शासन में किसान आत्महत्या का आया उन्हीं के राज में राज्य ने 5 सालों में दो अंकों में कृषि विकास का आंकड़ा पेश कर 5 दफे कृषि कर्मण पुरस्कार हासिल किया।

एक आंकड़े के मुताबिक किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है, जहां 2011-2016 के बीच 6,071 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इस अवधि में देश में किसानों की खुदकुशी में 10 फीसद कमी आई, लेकिन मध्य प्रदेश में ये 21 फीसद बढ़ गया।

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