Begin typing your search above and press return to search.
चुनावी पड़ताल 2019

हरियाणा के चुनावी नतीजों को तय करेगी प्रदेश के #youtuber की फौज

Prema Negi
16 Oct 2019 9:41 AM GMT
हरियाणा के चुनावी नतीजों को तय करेगी प्रदेश के #youtuber की फौज
x

पारंपरिक मीडिया के वर्चस्व को तोड़ यूट्यूबर प्रभावित कर रहे हैं वोटर्स को, अब हरियाणा का वोटर नहीं कर रहा अख़बार और न्यूज़ चैनल पर चुनावी खबरों का इंतज़ार

स्वतंत्र कुमार की रिपोर्ट

स बार का हरियाणा विधानसभा का चुनाव अपने आप में कई मायनों में खास होने जा रहा है, और इसके नतीजे अगर हैरान करने वाले हुए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। ये चुनाव विपक्षी पार्टियों को एक नई उम्मीद की किरण दिखाने जा रहा है। विपक्ष अभी अख़बार, टीवी आदि मीडिया के माध्यमों को सरकार के हाथों की कठपुतली बता कर आरोप लगाता है कि परम्परागत मीडिया उनकी बात को जनता तक नहीं पहुँचता है बस सरकारी भोंपू बनकर गया है।

लेकिन हरियाणा विधानसभा में परम्परागत मीडिया के वर्चस्व को ध्वस्त करने वाला एक नायाब उदाहरण पेश करने जा रहा है। इस बार हरियाणा के चुनावी मैदान में पुराने धुरंधर पत्रकारों से लेकर नए नए यूट्यूबर की फौज है, जो लोगों को पल-पल की खबर पहुंचा रही है और राजनीति की नब्ज टटोल कर ये यूट्यूबर जनता तक पहुंचा रहे हैं। वोटर्स की बात की जाये तो हरियाणा में लगभग पौने दो करोड़ वोटर्स हैं और लगभग 80 प्रतिशत लोगों के हाथों में मोबाइल फोन हैं और अधिकतर के फोन में इंटरनेट है।

यह भी पढ़ें : हरियाणा में गड़बड़ाया खट्टर का 75 पार का गणित, आखिरकार आज से RSS को संभालना पड़ा मोर्चा

ब हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन है और उसमें इंटरनेट का कनेक्शन है। एक अनुमान के अनुसार भारत में इस समय करीब 60 करोड़ लोग इंटरनेट यूज़ करते हैं। हरियाणा में 22 जिले हैं और हर जिले में लगभग 1 दर्ज़न से अधिक यूट्यूबर हैं, जो हिंदी, हरियाणवी में जनता को हर हल्के (विधानसभा) की रिपोर्ट दे रहे हैं और वहां के वोटर क्या सोच रहे हैं ये भी बता रहे हैं। इन यूट्यूबर का महत्व कितना बढ़ चुका है अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हरियाणा का कोई भी बड़ा नेता इनको बेझिझक इंटरव्यू दे रहा है, बल्कि बहुत से चुनाव में उतरे प्रत्याशी इस उम्मीद में रहते हैं कि कोई बड़ा यूट्यूबर उनका इंटरव्यू कर ले।

रियाणा का मतदाता प्रदेश की राजनीति की नब्ज़ टटोलने के लिए न तो सुबह के अख़बार का इंतज़ार करता है और न ही उसे टीवी के सामने चिपकने की जरूरत महसूस होती है क्योंकि उसके हाथ में जो मोबाइल फोन है उसमें चल रहा वाहट्स एप, यूट्यूब, फेसबुक उसे इतनी विविधता के साथ खबरे दे रहा है कि अख़बार और टीवी उसके सामने कहीं टिक ही नहीं रहे हैं।

यह भी पढ़ें : भाजपा के घोषणापत्र में सिर्फ गोमूत्र और गोबर की घोषणा ही नई, बाकी सब पुराने वादे

खुद यूट्यूब चैनल्स के शो में बतौर एक्सपर्ट आने वाले हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार बलराम शर्मा बताते हैं कि पहले चुनाव के समय अख़बार और टीवी जैसे माध्यम लोगों के विचारों को काफी प्रभावित करते थे, लेकिन अख़बारों और टीवी चैनल्स ने चुनाव आते ही निष्पक्ष ख़बरों की जगह सेंटीमीटर के हिसाब से अख़बारों के पन्ने प्रत्याशियों को अपनी खबरे छपवाने के लिए बेचने शुरू कर दिए, इसी तरह टीवी चैनल्स ने अपने स्लॉट और इंटरव्यू भी बेचने शुरू कर दिए।

धीरे धीरे लोगों का भरोसा अख़बारों और टीवी में आने वाली चुनावी ख़बरों से कम होता चल गया। इसी बीच लोग इंटरनेट से जुड़ने लगे और इंटरनेट इतना सस्ता हो गया कि कई पत्रकारों व गैर पत्रकारों ने यूट्यूब पर अपने चैनल्स बना लिए। आज इन यूट्यूब चैनल्स की संख्या सैंकड़ों में हैं। प्रदेश के कई यूट्यूब चैनल्स इतने बड़े हो चुके हैं कि उनकी संख्या 10—10 मिलियन में है। उन्होंने बताया की कई यूट्यूबर तो सेलेब्रिटी बन गए हैं।

यह भी पढ़ें : कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ से किसान नाराज, बोले खट्टर के 75 पार का पहला रोड़ा तो धनखड़ सै…

चुनाव के दौरान ये यूट्यूबर हर तरह की खबरे दिखाते हैं और अधिकतर तो हरियाणवी में अपने लाइव शो, नेताओं के इंटरव्यू, रैली, डिबेट, लाइव सर्वे दिखाते हैं, जिससे लोगों में इनके प्रति भरोसा और विश्वास बढ़ता चला गया है।

रियाणा की राजनीति की समझ रखने वाले सतीश राणा बताते हैं कि कुछ समय पहले तक बीजेपी ने अपने पक्ष में माहौल बना लिया था, लेकिन इन यूट्यूबर ने जैसे ही ग्राउंड पर लोगों से सरकार के कामकाज को लेकर सवाल पूछने शुरू किये और लोग बीजेपी सरकार से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए, तो मिजाज बदल गया। इन यूट्यूबर की खबरों, लाइव सर्वे को प्रदेश में लाखों लोगों ने देखना शुरू किया, फिर ये यूट्यूबर की वीडियो व्हाट्स एप और फेसबुक पर खूब वायरल होने लगी।

ज यह स्थिति आ गई है कि शहरों की बात तो छोड़ दें गांवों में बैठकों में चुनावी चर्चा में यूट्यूबर की वीडियो में दिखाई गई ख़बरों और सर्वे को लेकर बाते हो रही हैं। सतीश ने बताया की ज्यादातर यूट्यूबर के वीडियो में बीजेपी को लेकर बहुत नेगेटिव रिपोर्ट आने लगी है। देखते ही देखते बीजेपी के पक्ष में बना माहौल टूटने लगा और आज नौबत यह आ गई है कि बीजेपी में 75 सीट जीतने का नारा मंचों से देना बंद कर दिया।

संबंधित खबर : हरियाणा चुनावों में बोले राहुल गांधी, प्रधानमंत्री मोदी अंबानी-अडाणी के लाउडस्पीकर

हालत यह हो चुकी है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रैलियों में भीड़ न आने पर प्रदेश के दो कद्दावर नेताओं बीजेपी प्रदेश प्रेजिडेंट सुभाष बराला और प्रदेश की सरकार में मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु की विधानसभा में रैली किये बिना ही लौट गए। विपक्षी दल अब बीजेपी के नेताओं को खुल कर चुनौती दे रहे हैं। जननायक जनता पार्टी के मुखिया दुष्यंत चौटाला ने कहा की बीजेपी के प्रेजिडेंट अमित ने गला ख़राब होने की शिकायत बताकर अपना दौरा बीच में छोड़कर चले गए, जबकि हकीकत ये है कि उनके रैलियों में हज़ार से 2 हज़ार आदमी आ रहे थे, इसलिए वो अपना दौरा बीच में छोड़ कर चले गए।

दुष्यंत चौटाला ने कहा की ऐसा पता चला है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में 2 दिन का दौरा और बढ़ा दिया है और महराष्ट्र से कैबिनेट मंत्रियों को बुला कर हरियाणा के चुनावी समर में उतरने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन अब बाज़ी बीजेपी के हाथ से निकल चुकी है।

भाजपा व कांग्रेस के घोषणापत्र पर हरियाणा के लोगों की राय आप सीधे सुनिए

बताते हैं कि आज जो बीजेपी के खिलाफ माहौल बना है, उसमें सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का है तो वो यूट्यूबर्स का है, जिन्होंने प्रदेश की राजनीति को उधेड़ कर रख दिया है। यूट्यूबर्स ने हर विधानसभा में जाकर जनता के सामने वहां के लोगों से बात की और बीजेपी सरकार के पांच साल के काम पर बात की, इस तरह बीजेपी अपने पक्ष में बनाया हुआ माहौल दरकता चला गया।

राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि सट्टा बाजार अभी भी बीजेपी की सरकार बनवा रहा है, लेकिन अब हरियाणा का चुनाव पार्टियों के बीच से उठकर कर प्रत्याशियों पर आ टिका है, जनता प्रत्याशियों को देखकर अपना वोट देगी और जो प्रत्याशी बेहतर होगा जीत उसकी होगी। बाकी फैसला 24 अक्टूबर को सबके सामने होगा।

Next Story

विविध