राजधानी गैरसैंण के समर्थन में स्थानीय लोगों ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, वक्ताओं ने कहा पहाड़ के सभी सवालों पर आज मुखर होने की है जरूरत....
जनज्वार, हल्द्वानी। स्थायी राजधानी गैरसैंण समेत पहाड़ के तमाम सवालों को लेकर पंचेश्वर से उत्तरकाशी तक की ‘जन संवाद यात्रा’ के पांचवें चौथे दिन बागेश्वर में जनसंपर्क किया गया। स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के तत्वावधान में की जा रही यात्रा का सुबह नगर के स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया गया।
नगर में जनसंपर्क के बाद सभा आयोजित हुई। वरिष्ठ आंदोलनकारी रंजीत सिंह बोरा की अध्यक्षता में हुई सभा में वक्ताओं ने स्थायी राजधानी गैरसैंण, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन और नए जिलों के गठन पर बात रखी। जनसभा को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति के संयोजक चारु तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड के मूलभूत सवालों को लेकर हुक्मरानों ने पिछले 18 वर्षों में उत्तराखंड की जनता को जिस तरह छला है उसको लेकर सवाल पूछने का वक्त आ गया है।
उन्होंने कहा कि पहाड़ी प्रदेश की राजधानी गैरसैंण में हो यह राज्य आंदोलन के वक्त से ही हमारी मांग थी, लेकिन भाजपा-कांग्रेस ने लगातार इस मांग को हाशिए पर धकेला। गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ना होगा।
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टनकपुर-बागेश्वर रेल सेवा को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह भंडारी ने टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग को पहाड़ की अहम जरूरत बताते हुए कहा कि इस मांग की अनदेखी से साबित होता है कि पहाड़ सरकार के एजेंडे में नहीं है। स्थानीय संघर्ष समिति ने बागेश्वर की जनता की तरफ से राज्यपाल को गैरसैंण राजधानी के समर्थन में ज्ञापन सौंपा।
सभा की अध्यक्षता करते हुए रंजीत सिंह बोरा ने कहा कि सरकार को ग्रीष्मकालीन शीतकालीन की सनक छोड़कर गैरसैंण को तत्काल स्थायी राजधानी घोषित करनी चाहिए। प्रदीप सती ने कहा स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए पहाड़ के सभी सवालों को देखने की जरूरत है।
मोहित डिमरी ने कहा कि आज हमारा प्रदेश जिन संकटों का सामना कर रहा है, उनके लिए सत्ता में बारी-बारी से रहीं भाजपा कांग्रेस जिम्मेदार हैं। झूठे विकास के नाम पर पहाड़ के गांवों और संस्कृति को ख़त्म किया जा रहा है जिसका हर हाल में विरोध जरूरी है।
'एक राज्य एक राजधानी, ग्रीष्मकालीन है बेमानी' नारे के साथ सामाजिक—राजनीतिक कार्यकर्ता गैरसैंण के मुद्दे पर एकमत हो रहे हैं।
सभा को वरिष्ठ आंदोलनकारी लक्ष्मण गिरी गोस्वामी, पर्वतीय कर्मचारी संघ के नेता भवानी राम आगरी, नारायण सिंह रावत, नारायण सिंह बिष्ट ने भी संबोधित किया। इस दौरान पृथ्वी राज चौहान, खड़क सिंह, महेश पांडे, गबर सिंह, महेंद्र सिंह, गंगा सिंह पांगती, सोनी पटवाल, कमल मठपाल, मान सिंह आदि भी मौजूद रहे।