Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

कश्मीर मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले IAS कन्नन बोले, केवल जामिया के छात्रों की नहीं संविधान बचाने की जिम्मेदारी, अब हमारी बारी

Nirmal kant
17 Dec 2019 7:06 AM GMT
कश्मीर मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले IAS कन्नन बोले, केवल जामिया के छात्रों की नहीं संविधान बचाने की जिम्मेदारी, अब हमारी बारी
x

कश्मीर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर इस्तीफा देने वाले आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन जामिया के समर्थन में आए, गोपीनाथन बोले संविधान और भारत के विचार को बचाने की हम सबकी जिम्मेदारी...

जनज्वार। अनुच्छेद 370 को बेअसर किए जाने के बाद अपने पद से इस्तीफा देकर चर्चाओं में आए आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन भी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में आए हैं। कन्नान ने सोमवार 16 दिसंबर जामिया को संबोधित किया और कहा कि छात्रों के आंदोलन में एकजुट होने की बारी हमारी है।

संबंधित खबर : सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जामिया में हुई हिंसा का मामला, कल होगी सुनवाई

न्नन गोपीनाथन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, 'कल जामिया को संबोधित किया। इस प्रतिरोध ने पूरे देश में एक आंदोलन को प्रेरित किया है। अब उनके साथ एकजुटता में खड़े होने की हमारी बारी है। संविधान और भारत के विचार को बचाने का पूरा बोझ केवल छात्रों पर मत डालें।'

न्नन गोपीनाथ केरल के रहने वाले हैं, वह केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे। वह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। कन्नन गोपीनाथन ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी न दिए जाने के मुद्दे पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

संबंधित खबर : जामिया में पुलिस ने जो किया वही करतूत किसी को बनाती है आतंकवादी

क दूसरे ट्वीट में कन्नन ने कहा कि यह केवल उनका दिखाने की कोशिश है कि नागरिक संशोधन अधिनियम का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल दिखावा है कि नागरिक संशोधन कानून कुछ सताए गए हिंदुओ के लिए है। अमित शाह ने बार-बार कहा है कि एनआरसी और नागरिक संशोधन अधिनियम संयुक्त रुप से शक्तिशाली हथियार है। जाल में मत फंसो।

सम, कश्मीर और अन्य हिस्सों में इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुझे उम्मीद है कि सरकार हमारे लिए काम करेगी। जो इंटनरेट बंद होने की वजह से इस घटना से अनजान हैं वे लोग जागरूक होंगे और सड़कों पर निकल आएंगे।

दें कि रविवार 15 दिसंबर को जामिया के छात्र नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान कुछ वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इसके बाद दिल्ली पुलिस विश्वविद्यालय परिसर में घुस गई और छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया, आसू गैस के गोले छोड़े गए। कई छात्र घायल हो गए। सोशल मीडिया पर दिल्ली पुलिस के कई वीडियो सामने आए जिनमें वो मोटरसाइकिलों को तोड़ते, पत्थर फेंकते नजर आए। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ तस्वीरें ट्वविटर पर साझा कर आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस खुद वाहनों को आग लगा रही है।

क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम

ता दें कि विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस तरह अब यह एक कानून बन गया है। इस कानून के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। तबसे इस कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

संबंधित खबर : नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ रिहाई मंच समेत कई संगठनों ने दिया धरना, कहा देश का विभाजन करने पर उतारु मोदी सरकार

बसे पहले इस कानून के खिलाफ असम, मणिपुर और पूर्वोत्तर के राज्यों में प्रदर्शन हुआ। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। फिर सरकार द्वारा असम में इंटरनेट पर भी पाबंदी लगाई गई। इसी कड़ी में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन हुआ। जामिया में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की चौतरफा आलोचना हो रही है। रविवार 15 दिसंबर की देर रात कई राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।

Next Story

विविध