कश्मीर मुद्दे पर इस्तीफा देने वाले IAS कन्नन बोले, केवल जामिया के छात्रों की नहीं संविधान बचाने की जिम्मेदारी, अब हमारी बारी
कश्मीर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर इस्तीफा देने वाले आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन जामिया के समर्थन में आए, गोपीनाथन बोले संविधान और भारत के विचार को बचाने की हम सबकी जिम्मेदारी...
जनज्वार। अनुच्छेद 370 को बेअसर किए जाने के बाद अपने पद से इस्तीफा देकर चर्चाओं में आए आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन भी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में आए हैं। कन्नान ने सोमवार 16 दिसंबर जामिया को संबोधित किया और कहा कि छात्रों के आंदोलन में एकजुट होने की बारी हमारी है।
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कन्नन गोपीनाथन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, 'कल जामिया को संबोधित किया। इस प्रतिरोध ने पूरे देश में एक आंदोलन को प्रेरित किया है। अब उनके साथ एकजुटता में खड़े होने की हमारी बारी है। संविधान और भारत के विचार को बचाने का पूरा बोझ केवल छात्रों पर मत डालें।'
Addressed Jamia yesterday. The resistance that has inspired a movement across the country.
It's now our turn to stand in solidarity with them. Don't put the entire burden of saving constitution & the idea of India only on students.
They will do it for us. But play our part too. pic.twitter.com/ZBeZCWVkXB
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) December 17, 2019
कन्नन गोपीनाथ केरल के रहने वाले हैं, वह केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे। वह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। कन्नन गोपीनाथन ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी न दिए जाने के मुद्दे पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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एक दूसरे ट्वीट में कन्नन ने कहा कि यह केवल उनका दिखाने की कोशिश है कि नागरिक संशोधन अधिनियम का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल दिखावा है कि नागरिक संशोधन कानून कुछ सताए गए हिंदुओ के लिए है। अमित शाह ने बार-बार कहा है कि एनआरसी और नागरिक संशोधन अधिनियम संयुक्त रुप से शक्तिशाली हथियार है। जाल में मत फंसो।
असम, कश्मीर और अन्य हिस्सों में इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुझे उम्मीद है कि सरकार हमारे लिए काम करेगी। जो इंटनरेट बंद होने की वजह से इस घटना से अनजान हैं वे लोग जागरूक होंगे और सड़कों पर निकल आएंगे।
क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम
बता दें कि विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस तरह अब यह एक कानून बन गया है। इस कानून के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। तबसे इस कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
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सबसे पहले इस कानून के खिलाफ असम, मणिपुर और पूर्वोत्तर के राज्यों में प्रदर्शन हुआ। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। फिर सरकार द्वारा असम में इंटरनेट पर भी पाबंदी लगाई गई। इसी कड़ी में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन हुआ। जामिया में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की चौतरफा आलोचना हो रही है। रविवार 15 दिसंबर की देर रात कई राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।