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बड़े आयोजन करना कोई चीन से सीखे

Prema Negi
6 March 2019 10:08 AM IST
बड़े आयोजन करना कोई चीन से सीखे
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बीजिंग के ग्रेटहॉल में हज़ारों प्रतिनिधि मौजूद, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस का आगाज़

बीजिंग से अनिल आज़ाद पांडेय की रिपोर्ट

चीन में मार्च में होने वाली दो प्रमुख राजनीतिक हलचलों का आगाज हो चुका है। दुनिया की नजरें इन दो सत्रों पर लगी हुई हैं। पाँच मार्च की सुबह पेइचिंग के ऐतिहासिक जन वृहद भवन में 13वीं एनपीसी का दूसरे पूर्णाधिवेशनशुरू हो गया, जबकि सीपीपीसीसी दो दिन पहले ही शुरू हो चुकी है।

पेइचिंग में कई वर्षों से रहने के बावजूद यह पहला मौका था जब मुझे इस खास इवेंट(एनपीसी) को कवर करने का अवसर मिला। हालांकि भारत की राजधानी दिल्ली में रहते हुए संसद भवन की कार्यवाही को कई बार नजदीक से देख चुका हूं। चीन में साल की सबसे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक हलचल यानी दो सत्रों, एनपीसी और सीपीपीसीसी को लेकर मन में हमेशा कौतूहल सा बना रहा।

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हालांकि भारत और चीन दोनों देशों की राजनीतिक व्यवस्था में अंतर होने के कारण सीधे तुलना तो नहीं की जा सकती, लेकिन एनपीसी को लोकसभा के रूप में देखा जा सकता है। वहीं सीपीपीसीसी को राज्य सभा माना जा सकता है।

वैसे जन वृहद भवन (ग्रेटहॉल ऑफ बीजिंग) का निर्माण 1959 में हुआ था। एक लाख पचास हजार वर्ग मीटर में फैला यह भवन चीन के चुनिंदा ऐतिहासिक और भव्य भवनों में से एक है। आप इसकी विशालता का अंदाजा लगा सकते हैं कि भवन के अंदर हॉल में हजारों प्रतिनिधि व लोग एक साथ बैठ सकते हैं।

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5 मार्च की सुबह मैं जन वृहद भवन पहुंचा, जहां पर नौ बजे से उद्घाटन समारोह शुरू होना था। वहां पहुंचते ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों जन प्रतिनिधियों व मीडिया का हुजूम देखकर लगा कि यह वास्तव में चीन में होने वाला कितना बड़ा पूर्णाधिवेशन है, जिसकी सटीक कल्पना टीवी या रेडियो आदि के माध्यम से नहीं की जा सकती।

भवन के अंदर पहुंचने के बाद बड़े हॉल में कार्यक्रम शुरू हुआ तो देखा कि हमसे कुछ ही मीटर की दूरी पर सामने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, प्रधानमंत्री ली खछ्यांग समेत देश के तमाम नेता और प्रतिनिधि बैठे हैं। इसके पश्चात चीनी प्रधानमंत्री को करीब से सुनने का अवसर भी मिला।

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इतना बड़ा कार्यक्रम होने के बाद भी कोने-कोने पर साफ-सफाई व हर चीज के पुख्ता इंतजाम थे। मीडियाकर्मियों व मेहमानों को कोई परेशानी न हो, इसका भी खास ध्यान रखा गया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि इतनी बड़ी तादाद में लोगों का सही ढंग से प्रबंध करना कोई आसान काम नहीं होता। लेकिन चीन हर बड़े कार्यक्रम को शानदार ढंग से आयोजित करता रहा है।

साल 2008 का पेइचिंग ओलंपिक हो या क्वांगचो में 2010 में हुए एशियनगेम्स या 2016 में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन। हर किसी आयोजन में चीन ने अपनी छाप छोड़ी है। देश के विकास में चीनी लोगों की प्रतिबद्धता और अनुशासन का भी बड़ा हाथ है।

इस तरह हजारों प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पेइचिंग के केंद्र में हो रहे इस महत्वपूर्ण अधिवेशन के जरिए चीन देश और दुनिया के लोगों को मिलकर एक साथ बढ़ने का संदेश दे रहा है। दुनिया से कह रहा है कि आओ मिलकर साथ चलें।

क्या होता है एनपीसी के सत्र में

एनपीसीचीन की सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था है, जो कि तमाम मसौदों और कानूनों आदि पर विचार कर उन्हें पारित करती है। सत्र शुरू होते वक्त चीनी प्रधानमंत्री सरकारी कार्य रिपोर्ट पेश करते हैं, जिसमें पिछले साल निर्धारित लक्ष्यों के कार्यान्यवन की स्थिति और नए साल के लिए लक्ष्य तय किए जाते हैं। 2980 जन प्रतिनिधि लगभग दस दिन तक देश के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करते हैं, जिसमें आर्थिक व सामाजिक विकास योजना भी शामिल होती है। इस बार के अधिवेशन में विदेशी निवेश बढ़ाने और बाजार के खुलेपन पर जोर दिया जाएगा। साथ ही विदेशी उद्यमों और निवेशकों के हितों की रक्षा भी की जाएगी।

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इसके अलावा पिछले साल के बजट की समीक्षा और 2019 के बजट के मसौदे पर चर्चा होगी। वहीं एनपीसी की स्थायी समिति की कार्य रिपोर्ट, चीनी सर्वोच्च जन अदालत व चीनी सर्वोच्च जन प्रोक्यूरेटोरेट कीरिपोर्ट पर भी गहन विमर्श होना है। यहां बता दें कि एनपीसी के दूसरे पूर्णाधिवेशन का समापन 15 मार्च को होगा।

(अनिल आज़ाद पांडेय चाइना मीडियाग्रुप के वरिष्ठ पत्रकार हैं और चीन-भारत से जुड़े मुद्दों पर भारतीय व अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अकसर लिखते रहते हैं। इसके साथ ही हैलोचीन पुस्तक के लेखक भी हैं।)

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