कृषि मंत्री ने कहा मीडिया में फ़ोटो चमकाने के लिए किसान कर रहे आंदोलन
मंत्री के बोल बताते हैं मंत्री जी नहीं हैं संतुलित, जरूरत है आराम और इलाज की, उम्मीद है उन्हें किसान 2019 में बताएंगे कि कौन फ़ोटो का शौकीन और कौन आंदोलन का जरूरतमंद....
जनज्वार, दिल्ली। अभी कैराना और नूरपुर हार के लिए वोटरों के छुट्टियों पर जाने वाली उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री का बयान सुर्खियों में था ही कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यह कहकर किनों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है कि किसान मीडिया कवरेज के लिए कुछ भी अनोखा कदम उठाते हैं। उनका मतलब खुदकुशी से भी था कि किसान खुदकुशी भी मीडिया कवरेज के लिए करते हैं।
सिर्फ सड़कों पर दूध गिराते, सब्जी—फल फेंकते किसानों को ही नहीं उनके असल सवालों को भी दिखाए मीडिया
गौरतलब है कि अपनी मांगों और मंदसौर कांड का एक साल पूरा होने पर देशभर में किसान संगठनों ने 'गांव बंद' नाम से आंदोलन आयोजित किया है, जो 1 जून से शुरू हो चुका है। ऐसे में बजाय किसानों को समझने के इस तरह की अनर्गल बयानबाजी करना किसानों का न सिर्फ इग्नौर करना है बल्कि यह भी दर्शाता है कि किसान चाहे कुछ भी करें, मोदी सरकार को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
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केंद्रीय कृषि मंत्री महोदय यहीं पर नहीं रुके, बल्कि आगे बोले कि मीडिया में आने के लिए किसान किसी भी हद तक चले जाते हैं। जहां तक 'गांव बंद' प्रदर्शन में हिस्सेदारी कर रहे किसानों का सवाल है तो यह कोई मायने नहीं रखता क्योंकि देशभर में करोड़ों किसान हैं।
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मंत्री महोदय की मानें तो किसानों के हित में सरकार बहुत काम कर रही है, ये इससे भी जाहिर होता है कि देश के करोड़ों किसानों में से कुछ ही किसान गांव बंद जैसे आंदोलन में हिस्सेदारी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में तो खासतौर पर भाजपा सरकार किसानों के हित में सबसे ज्यादा काम कर रही है।
देशभर में किसानों ने किया आज से 10 दिन के 'गांव बंद' का ऐलान
समाचार एजेंसी एएनआई में छपी खबर के मुताबिक देशभर के किसानों द्वारा आयोजित दस दिन के 'गांव बंद' आंदोलन पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने पटना में आयोजित एक सम्मेलन में बयान दिया कि, देश में 12—14 करोड़ किसान हैं। किसी भी संगठन में 1000-2000 किसान स्वाभाविक हैं, मीडिया में आने के लिए अनोखा काम करना ही पड़ता है।
हालांकि कृषि मंत्री महोदय चाहे कितनी ही अनर्गल बयानबाजी कर लें, मगर देश पर किसान बंद का असर दिखने लगा है। महानगरों की मंडियों में सब्जी—फल, दूध न पहुंचने से कीमतों के आसमान छूने के आसार नजर आ रहे हैं।
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यहां भी सरकार प्रायोजित मीडिया द्वारा बजाय किसानों की मांगों और बंद को सही ठहराने के और उनकी जायज मांगों को समझाने के यह दिखाने में लगा है कि किसान किस तरह दूध, फल—फूल सड़कों पर फेंक रहा है, जबकि लोग इन जरूरी चीजों का अभाव झेलने को विवश होंगे।
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के इस बेतुके बयान पर स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया है, 'आप देखते जाइए @RadhamohanBJP जी, इस साल किसान आपको कुछ अनोखा कर के ही दिखाएंगे, खुद मीडिया में आने के लिए नहीं बल्कि आप जैसे लोगो के इस अहंकार को चूर करने के लिए।'