देशभर में किसानों ने किया आज से 10 दिन के 'गांव बंद' का ऐलान
पड़ने लगा है फलों, सब्जियों की सप्लाई पर असर, महानगरों में कीमतें छुएंगी आसमान...
दिल्ली, जनज्वार। मंदसौर कांड की बरसी पर देशभर के किसानों ने कई राज्यों में 10 दिन के 'गांव बंद' का ऐलान करते हुए आज से इसकी शुरुआत भी कर दी है। इसका असर आज से ही दिखना भी शुरु हो गया है। देशभर की मंडियों पर सब्जी—फलों की सप्लाई कम हुई है, माना जा रहा है कि इससे सब्जी—फलों की कीमतें आसमान छुएंगी। राजधानी दिल्ली इससे खासा प्रभावित होगी, क्योंकि यहां की मंडियों पर संबंधित राज्यों से फल—सब्जियां सप्लाई होती हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में किसानों पर पुलिस जवानों द्वारा की गई फायरिंग और पिटाई में सात लोगों की मौत हो गई थी। 6 जून को मंदसौर कांड की पहली बरसी है, जिसे लेकर शासन—प्रशासन सजग है। आशंका जताई जा रही है कि इसी बीच गांव बंद आयोजित होने से किसान उग्र हो सकते हैं।
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देशभर के कई किसान संगठनों ने लंबे समय से सरकार के सामने अपनी कई मांगें रखी हैं, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है। इसी के विरोध में यह बंद आयोजित किया गया है। इस बंद में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों के किसान शामिल हैं। इस बंद में देशभर के 172 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया है।
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किसानों की प्रमुख मांगों में उन्हें फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाना है। उनका कहना है कि सरकार फलों और सब्ज़ियों का भी न्यूनतम मूल्य तय करे। वहीं किसान लंबे समय से दूध की न्यूनतम क़ीमत 27 रुपये लीटर करने की मांग कर रहे हैं, मगर इसे भी नहीं माना गया है।
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गौरतलब है कि जिन न्यूनतम मूल्यों को तय करने के लिए किसान आंदोलनरत हैं महानगरों में उससे कहीं ज्यादा कीमतें चुकाई जाती हैं, लाभ का सारा हिस्सा बिचौलियों की जेब में चला जाता है। इससे न तो किसान को फायदा होता है और न ही उपभोक्ताओं को ही सस्ती कीमत पर फल—सब्जियां और दूध उपलब्ध होता है।
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किसानों ने ऐलान किया है कि गांव बंद के दौरान वे देशभर में कई जगह घेराव करेंगे और रैलियां निकालेंगे।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि ‘मध्यप्रदेश सहित देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ आज से शुरू हो गया है जो अगले 10 दिनों तक चलेगा।’
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वहीं किसानों से जुड़े कक्काजी ने घोषणा की कि किसान आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जायेगा तथा शहर के व्यापारियों, समस्त प्रतिष्ठानों से निवेदन किया जायेगा कि देश के इतिहास में पहली बार अन्नदाता अपनी बुनियादी मांगों को लेकर ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहा है, इसलिए 0 जून को वे दोपहर 2 बजे तक अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर अन्नदाता के आंदोलन में सहयोग प्रदान करें।’
किन मांगों पर आंदोलित हैं किसान
किसान संगठनों ने मुख्य रूप से जिन मांगों को लेकर 'गांव बंद आंदोलन' शुरू किया है, उनमें देश के समस्त किसानों का सम्पूर्ण कर्ज मुक्त करने, किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिए जाने, अत्यंत लघु किसान, जो अपने उत्पादन विक्रय करने मंडी तक नहीं पहुंच पाते उनके परिवार के जीवनयापन के लिए उनकी आय सुनिश्चित करने और दूध, फल, सब्जी, आलू, प्याज, लहसुन, टमाटर इत्यादि का लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य निर्धारित करने एवं सभी फसलों को खरीदने की सरकार द्वारा गारंटी का कानून बनाये जाने की मांगें शामिल हैं। देखा जाए तो यह मांगें इतनी मुश्किल भी नहीं हैं जिन्हें न माना जाए।
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दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी हड़ताल का पहला कदम उठाते हुए पंजाब और हरियाणा में किसानों ने शहरों को सब्जियों, फलों, दूध और अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। किसान नेताओं का कहना है कि इस आंदोलन को किसानों का बहुत अच्छा समर्थन मिल रहा है। पंजाब में तोइ ज्यादातर स्थानों पर किसानों ने बिक्री के लिए सब्जियां, दूध और अन्य खाद्य पदार्थों को लाना बंद कर दिया है।
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पंजाब और हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में भी किसान 'गांव बंद' आंदोलन के समर्थन में अपनी उपज शहरों में नहीं बेच रहे हैं।
मगर देखना यह है कि अन्नदाता की इन मांगों पर बंद के बावजूद मोदी सरकार कितना कान देती है, क्योंकि सरकार तो दूसरे मसलों पर ही ज्यादा व्यस्त दिखती है। अन्नदाता की मांगों से किसी का दूर दूर तक जैसे कुछ लेना देना ही न हो।