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राजनीति

ट्रंप की भारत यात्रा पर सरकार खर्च करेगी उतना पैसा, जितना नहीं बजट हमारे शिक्षा और स्वास्थ्य का

Nirmal kant
19 Feb 2020 9:00 AM IST
ट्रंप की भारत यात्रा पर सरकार खर्च करेगी उतना पैसा, जितना नहीं बजट हमारे शिक्षा और स्वास्थ्य का
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अमेरिका किसी का दोस्त नहीं है। अमेरिका अपने हित सर्वोपरि रखता है। ट्रंप भारत यात्रा पर मुख्यतः अमेरिकी हितो को साधने के लिए आ रहा है। अमेरिका के हाथ दुनिया के करोड़ों लोगों के खून से रंगे हैं। उसके दुनिया के 70 से अधिक देशों में 800 से भी अधिक सैन्य अड्डे हैं...

वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मुनीष कुमार की टिप्पणी

24-25 फरवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर हैं। 24 फरवरी को वह अहमदाबाद में 3 घंटे रुकने के बाद अगले दिन वे दिल्ली में देश के बड़े पूंजीपतियों के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान वे अपनी पत्नी-बेटी के साथ आगरा में ताजमहल का दीदार भी करेंगे। इस दौरान भारत व अमेरिका के बीच कई सामरिक व आर्थिक समझौते भी किए जाएंगे।

ये मोदी का न्यू इंडिया है

पिछले वर्ष अमेरिका के ह्यूस्टन के एक स्टेडियम में नरेन्द्र मोदी के लिए ’हाउडी मोदी’ नामक इवेंट का आयोजन किया गया था, जिसमें करीब 50 हजार लोग उपस्थित हुए थे। इसी की तर्ज पर अहमदाबाद में नवनिर्मित दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम मोटेरा में ‘केम छो ट्रम्प’ (ट्रम्प तुम कैसे हो) कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें एक लाख से अधिक लोगों को बुलाने के लिए 1500 से अधिक बसें लगायी गयी हैं।

यरपोर्ट से मोटेरा स्टेडियम तक ट्रम्प का 22 किमी लम्बा रोड शो भी होगा जिसके लिए 25 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। इस रोड शो में जाने के लिए लोगों को अपना परिचय पत्र दिखाना अनिवार्य होगा। रास्ते में पड़ने वाली झुग्गी व झोपड़-पट्टी को ढकने के लिए 7 फुट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। सड़क के किनारे फड़-ठेला लगाकर जीविका चलाने वाले गरीबों को उजाड़ा जा रहा है। देश में गरीबी हटाओ का वादा कर सत्ता प्राप्त करने वाले मोदी अपने 20 वर्ष के शासन (मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री) में गरीबी तो नहीं हटा पाए, परन्तु अब वे गरीबों को ही हटाने लग गये हैं।

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भी तक देश के क्रिकेट मैदानों में जो स्टेडियम बनाए जाते थे, उनके नाम आमतौर पर क्रिकेट खिलाड़ियों के नाम रखे जाते रहे हैं। परन्तु 700 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले आलीशान स्टेडियम मोटेरा में नार्थ स्टेडियम का नाम रिलायन्स स्टेडियम व साउथ स्टेडियम का नाम अडानी स्टेडियम रखा गया है। अहमदाबाद के इस 3 घंटे के कार्यक्रम में ही मोदी सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

गरा में ट्रंप के ताजमहल दीदार कार्यक्रम की कमान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट (योगी आदित्यनाथ) ने स्वयं संभाली हुयी है। इसको लेकर एक शर्मनाक खबर यह भी है कि एयरपोर्ट से ताजमहल तक के उनके रास्ते में स्कूल के बच्चों को लाइन से खड़ा किया जाएगा।

हथियारों का सौदागर है ट्रम्प

ट्रंप की भारत यात्रा के मायने बेहद गम्भीर हैं। ट्रंप भारत में इसलिए नहीं आ रहे हैं कि वे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना चाहते हैं, देश की जनता की गरीबी दूर करके देश को खुशहाल बनाना चाहते हैं। ट्रंप तो हथियारों का सौदागर है। वह हथियार बेचने के लिए भारत आ रहा है।

की स्थिति दो बिल्लियों की लड़ाई में बन्दर द्वारा रोटी हड़फ कर जाने की कहानी जैसी है। अमेरिका भारत व पाकिस्तान के बीच सरहद पर जारी तनाव का भरपूर फायदा उठा रहा है। बजट का वह हिस्सा जो जनता के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि पर खर्च होना चाहिए था, वह भारत व पाक की सरकारों द्वारा आपसी रंजिश के कारण हथियारों की अंधीदौड़ में बरबाद किया जा रहा है। ट्रंप ने पिछले साल पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान बेचे थे। अब वह भारत के साथ हथियारों का सौदा करेगा।

24-25 फरवरी को ट्रंप के साथ मोदी सरकार की 25 अरब डालर (पौने दो लाख करोड़ रुपयों) के हथियारों की डील फाइनल होने की सम्भावना है। ट्रंप भारत को 1.86 अरब डालर का एयर डिफेंस सिस्टम, 1 अरब डालर की नवल गन, 930 मिलियन डालर के 22 अपाचे अटैक हैलीकाप्टर, 2.6 अरब डालर के रोमियो चैपर, इंडियन एयर फोर्स के लिए 18 अरब डालर के 114 एफ-21 फाइटर प्लेन बेचने के लिए अपने लाव-लश्कर के साथ भारत आ रहा है।

देश की बर्बादी के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होंगे

अमेरिका ने पिछले वर्ष भारत को झटका देते हुए भारत का नाम नाम विकासशील देशों को दी जाने वाली ड्यूटी फ्री आयात की छूट जनरलाइज सिस्टम आफ प्रीफरेंस (जी.एस.पी.) से बाहर कर दिया था। मई 2018 में अमेरिका ने भारत से आयातित इस्पात पर 25 प्रतिशत व एल्युमुनियम पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क भी लगा दिया था जिसके कारण भारत के कृषि व वस्त्र आदि उत्पादों के अमेरिकी निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ा है।

र्ष 2018 में भारत ने जी.एस.पी के तहत 6.3 बिलियन डालर (4500 करोड़ रु.) का अमेरिका को ड्यूटी फ्री निर्यात किया था। जो कि कुल अमेरिकी को किए जाने वाले निर्यात का 12.1 प्रतिशत था। भारत सरकार चाहती है कि भारत को अमेरिका पुनः जी.एस.पी. का दर्जा दे। बदले में अमेरिका चाहता है कि भारत आयात शुल्कों में कमी करे तथा अपने बाजारों को और अधिक खोले। ट्रंप ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहकर मोदी सरकार पर दबाव बढ़ाया है। सेब, बादाम, महंगे मोबाइल फोन, इलैक्ट्रोनिक गजट, हार्ले डेविसन मोटर साइकिल, पेकान व सुअर का मांस समेत 40 से अधिक वस्तुएं भारतीय बाजार में बेचने के लिए अमेरिका भारत से और अधिक रियायतें चाहता है।

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ट्रंप की भारत यात्रा में भारत के बाजार अमेरिका के दूध व डेयरी उत्पादों के लिए मात्र 5 प्रतिशत का आयात कर लगाकर खोल दिये जाने व मुर्गे की टांग के आयात पर लगाये जाने वाले शुल्क को 10 प्रतिशत पर सीमित कर दिया जाने पर सहमति बनने की संभावना है। अमेरिका की नजर भारत के 50 हजार करोड़ रुपये के विदेशी व्हीस्की व वाइन बाजार पर भी है। ट्रंप भारत के साथ उर्जा के व्यापार को 8 अरब डालर से बढ़ाकर 10 अरब डालर पहुंचाने के लिए भारत आ रहा है।

मेरिका का भारत सरकार पर दबाव है कि भारत सरकार देश में पेटेंट कानूनों को सख्ती के साथ लागू करे जिससे भारत में सस्ती दवाएं बननी बंद हो जाएं और अमेरिकी कम्पनियां रोयल्टी वसूलकर और अधिक मालामल हो जाएं।

देश को बर्बाद कर देगा ये मोदी-ट्रम्प का गठबंधन

24-25 फरवरी को भारत सरकार अमेरिका से 1.75 लाख करोड़ रुपयों के हथियारों की डील में जो खर्च करने जा रही है। ये पैसा देश की मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 में शिक्षा व स्वास्थ्य पर किए जाने वाले खर्च 1.66 लाख करोड़ से भी ज्यादा है। इन हथियारों की डील के लिए भारत सरकार ने देश की गरीब जनता के पेट पर लात मारने की तैयारी भी कर ली है।

2020-21 के बजट में सरकार ने जनता को उर्वरक, ग्रामीण विकास, महिला कौशल आदि की मदों में दी जाने वाली 82352 करोड़ रुपये की सब्सिडी कम कर दी है। सरकार ने इस वर्ष जो 2.10 लाख करोड़ रुपये सरकारी सम्पत्तियों के विनिवेश द्वारा अर्जित करने जो का लक्ष्य रखा है, उसका भी एक बड़ा हिस्सा सरकार हथियारों की डील पर खर्च करेगी।

दूध व डेयरी प्रोडक्ट को अमेरिका के लिए खालने जा रही है। इसका सबसे बड़ा फर्क देश के 8 करोड़ पशुपालकों व दुग्ध उत्पादन में लगे परिवारों पर सीधे पड़ेगा। अमेरिकी कम्पनी भारत के बाजारों पर कब्जा करने के लिए अपने दुग्ध उत्पादों को बेहद सस्ते दामों पर बेचेंगी। जिस कारण भारतीय परम्परागत उत्पादकों का उनके सामने टिकना बेहद मुश्किल हो जाएगा जो कि उनकी तबाही बर्बादी के नये-नये रास्ते खोलेगा।

1991 में लागू की गई आर्थिक नीतियों के बाद से भारत के बाजार धीरे-धीरे विदेशी मालों से पट रहे हैं। देश में आयातित अमेरिकी उत्पादों को और अधिक छूट देने से देश के उद्योग-धंधों, व्यापार व रोजगार पर इसका और अधिक नकारात्मक असर पड़ेगा। भारत का कुल आयात निर्यात के मुकाबले बहुत ज्यादा है। भारत का विदेशी व्यापार घाटा वर्ष 2018 में 176.62 बिलियन डालर (125000करोड़ रुपये) था। भारत की अमेरिका से होने वाली डील से ये घाटा और भी अधिक बढ़ जाएगा।

मेरिका किसी का दोस्त नहीं है। अमेरिका अपने हित सर्वोपरि रखता है। ट्रंप भारत यात्रा पर मुख्यतः अमेरिकी हितों को साधने के लिए आ रहा है। अमेरिका के हाथ दुनिया के करोड़ों लोगों के खून से रंगे हैं। उसके दुनिया के 70 से अधिक देशों में 800 से भी अधिक सैन्य अड्डे हैं।

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मेरिका दुनिया की मेनतकश जनता का दुश्मन है। ट्रंप की इस यात्रा के एजेंडे में देश के मजदूर,किसान, बेरोजगार व आम आदमी कहीं नहीं हैं। दुनिया देख रही है कि जब ट्रंप भारत आ रहा है तो देश के आम लोगों को उजाड़ा जा रहा है। उनके घरों के आगे दीवार बनाकर उनके घरों को खुली जेल बना दिया गया है।

हीं देश के अडानी, अंबानी, मित्तल व टाटा जैसे पूंजीपति ट्रम्प के साथ गोलमेज वार्ता कर देश को बेचने की डील करेंगे। इस डील से उनकी धन-दौलत बढ़ेगी और देश की आम जनता को तबाह-बर्बाद होगी। 24-25 फरवरी की ट्रंप की भारत यात्रा भारत के इतिहास का एक और काला अध्याय है। देश की मेहनतकश अपने देश को प्यार करने वाली जनता को ट्रंप की भारत यात्रा के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजा देना चाहिए।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोकमंच के संयोजक हैं।)

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