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शिक्षा

हरियाणा में भी अभिभावकों का नो स्कूल नो फीस कैंपेन हुआ शुरू, स्कूल डाल रहे 3 माह की फीस जमा करने का दबाव

Prema Negi
17 May 2020 9:38 AM GMT
हरियाणा में भी अभिभावकों का नो स्कूल नो फीस कैंपेन हुआ शुरू, स्कूल डाल रहे 3 माह की फीस जमा करने का दबाव
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अनुज कहते हैं, हम लॉकडाउन के चलते बुरी तरह आर्थिक मंदी की चपेट में हैं, हमें आधा वेतन मिल रहा है तो हम बच्चों की फीस कैसे जमा करायें, दूसरी तरफ स्कूल डाल रहे हैं कई चार्ज जोड़कर पूरी 3 महीने की फीस भरने का दबाव...

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो, हरियाणा। गुड़गांव की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाला अनुज सैनी परेशान है, कोरोना की वजह से कंपनी बंद है। वेतन आधा ही मिल रहा है। लेकिन खर्च पहले की तरह ही हैं।

दो बच्चों के पिता अनुज की दिक्कत यह है कि अब स्कूल प्रशासन उनसे बार बार फीस की मांग कर रहा है। वह भी सभी खर्च जोड़कर। एक बच्चे की फीस 11 हजार रुपये है। इस मंदी के दौर में वह इतनी ज्यादा फीस चुकाने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि सेलरी लॉकडाउन में 50 फीसदी हो गयी है। इस बारे में अनुज ने स्कूल प्रबंधन से बातचीत की, शिक्षा मंत्री को एक चिट्ठी भी लिखी। इसके बाद भी उनकी समस्या का हल नहीं हुआ।

सी के बाद अनुज सैनी ने ऐसे अभिभावकों को जोड़ने का अभियान चलाया है, जो मौजूदा हालात में फीस देने में सक्षम नहीं हैं।

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नुज की तरह अब हजारों अभिभावक नो स्कूल नो फीस कैंपेन का हिस्सा बन रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह लॉकडाउन में स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाकर उन्हें राहत दे। इस बीच हजारों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे हैं तो जिनका रोजगार बचा भी है उनकी सेलरी में भारी कटौती हो रही है। ऐसे में स्कूलों का ट्यूशन फीस के अलावा तमाम चार्ज जोड़कर फीस वसूली करना उन पर भारी बोझ पड़ रहा है, जिसे उठाने में वह असमर्थ हैं।

नुज कहते हैं दिक्कत यह है कि हरियाणा सरकार का कोई क्लियर कट एजेंडा नहीं है कि फीस देनी है या नहीं, कितनी देनी है। कब कब देनी है? इसे लेकर हरियाणा सरकार ने स्कूलों को कोई निर्देश भी नहीं दिये हैं। उल्टा सरकार के मंत्री स्कूलों की पैरवी करते जरूर नजर आ रहे हैं कि अभिभावकों को फीस जमा कर देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन पूरी फीस मांग रहा है। स्कूल का तर्क है कि उनके खर्च उतने ही हैं, इस वजह से वह फीस में रियायत नहीं दे सकते।

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नुज के अभियान से जुड़े एक अन्य अभिभावक रविंद्र कुमार कहते हैं इस वक्त मध्यम वर्ग परिवार भारी आर्थिक दिक्कत में हैं। ऐसे में कहां से 3 तीन माह की फीस जमा करा पायेंगे। इधर स्कूल की ओर से लगातार फीस के लिये दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य चार्ज भी फीस में जोड़ रहे हैं। ऐसे में आवाज उठाने के सिवाय उनके पास चारा नहीं रह गया है।

विंद्र ने यह भी बताया कि स्कूल प्रबंधन से अभिभावक डरते हैं, इस मसले पर हर कोई परेशान है, लेकिन दिक्कत यह है कि सामने आने को तैयार नहीं होते। इसी वजह से उन्हें खासी दिक्कत आ रही है।

हीं हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल कहते हैं कि स्कूलों में अभिभावकों को फीस जमा करनी चाहिये। यह सही है कि तीन तीन माह की फीस की जगह एक माह की फीस की जाये, लेकिन अभिभावकों को स्कूलों को सहयोग करना चाहिये।

रियाणा विद्यालय शिक्षा अध्यक्ष डॉ. जगबीर सिहं एवं सचिव राजीव प्रसाद ने कहा कि बोर्ड की ओर से भी ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया कि अभिभावक फीस न दें।

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नो स्कूल, नो फीस कैंपेन के बारे में फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने बताया कि अभिभावकों को सहयोग करना चाहिये। इस वक्त प्रबंधन भी जहां अध्यापकों को वेतन दे रहे हैं, वहीं बस की किश्त और ड्राइवर का वेतन आदि भी दिया जा रहा है। बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑन लाइन कक्षा लग रही है। इसलिए फीस देनी चाहिये।

नुज सैनी कहते हैं, नो स्कूल नो फीस अभियान के पहले चरण में वह अभिभावकों से मोबाइल पर बातचीत कर रहे हैं। इसके बाद लॉकडाउन खुलते ही एक मीटिंग बुलाकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। यदि जरूरी हुआ तो पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी लगाने का उनका विचार है, क्योंकि ऐसा लगता है कि इसके सिवाय उनके पास अब कोई चारा नहीं रह गया है।

चंडीगढ़ में अभिभावकों ने मांग की कि सारे स्कूल अपनी अपनी बैलेंससीट नेट पर अपलोड करें, क्योंकि इससे यह पता चलेगा कि स्कूल प्रबंधन कितनी कमायी कर रहा है।

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चंडीगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने चंडीगढ़ प्रशासन को एक पत्र लिखकर मांग की कि अभी तक बहुत से स्कूल अपनी बैलेंससीट अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रहे हैं। यह गलत है। स्कूल प्रबंधन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। एसोसिएशन की ओर से नितिन गोयल ने बताया कि हम किसी के खिलाफ नहीं है, बस हम यहीं चाह रहे हैं कि स्कूल प्रबंधन मनमानी न करे। उनकी बैंलेंससीट बस वेबसाइट पर होनी चाहिये। हमारी यह मांग कानूनन सही है, क्योंकि नियमों में ऐसा प्रावधान है भी।

नज्वार नो स्कूल नो फीस कैंपेन से जुड़ी खबरें प्रमुखता से उठा रहा है। स्कूलों की फीस के खिलाफ लॉकडाउन में घरों में बंद पेरेंट्स की आवाज को अपनी खबरों के माध्यम से हम लगातार उठा रहे हैं। अभिभावक लगातार शिकायत कर रहे हैं कि ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्कूल द्वारा माता-पिता पर फीस के भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

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