संसद में आज से बजट सत्र, क्या दिल्ली के दंगों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष ?
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अधीर रंजन चौधरी ने कहा सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में बुरी तरह विफल रही है। मुझे लगता है कि दंगाइयों और पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग के बीच किसी तरह की सांठगांठ हुई जिसके परिणामस्वरूप भीषण हत्याएं और आगजनी हुई जिसने दुनिया भर में हमारी छवि को धूमिल किया है..
जनज्वार। संसद बजट सत्र का दूसरा हिस्सा सोमवार को शुरू होने वाला है। उम्मीद की जा रही है कि विपक्षी दल पूर्वोत्तर दिल्ली में हाल की हिंसा पर सरकार से सवाल करेंगे। राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक तनाव (जिसमें अब तक 45 लोगों की मौत का दावा किया गया है) पर बहस शुरू करने की मांग करते हुए कांग्रेस को संसद के ऊपरी और निचले दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव नोटिस प्रस्तुत करने की उम्मीद है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा कि सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में बुरी तरह विफल रही है। मुझे लगता है कि दंगाइयों और पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग के बीच किसी तरह की सांठगांठ हुई जिसके परिणामस्वरूप भीषण हत्याएं और आगजनी हुई जिसने दुनिया भर में हमारी छवि को धूमिल किया है। यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करती रहेगी।
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माकपा ने कहा कि पार्टी ने सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पहले ही नियम 267 के तहत राज्यसभा में नोटिस दिया है। सीपीआई (एम) सांसद केके रागेश ने कहा कि वाम दल संसद में विपक्ष की आवाज को मजबूत करेंगे और दोनों सदनों में दिल्ली हिंसा का मुद्दा उठाएंगे।
भाकपा ने भी आगामी संसद सत्र के लिए इसी तरह की कार्ययोजना तैयार की है। सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली पुलिस की 'निष्क्रियता' पर शाह के जवाब की मांग करेगी जिसे गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
डी राजा ने कहा कि हम इस मुद्दे पर अन्य दलों तक पहुंचेंगे। हम भाजपा नेताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अभद्र भाषा का मुद्दा भी उठाएंगे और सवाल उठाएंगे कि उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। इसके अलावा अमित शाह को जवाबदेही पर भी बात करेंगे।
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गुरुवार को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की अगुवाई में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान गृहमंत्री शाह से उनके इस्तीफा देने का आग्रह किया था। कई अन्य विपक्षी दलों ने भी प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने और भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति कोविंद को पत्र लिखा है।