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गांधी के गुजरात में खूब फल-फूल रहा शराब का धंधा, शराब से होली खेलते नजर आए लोग

Janjwar Team
3 March 2020 12:46 PM IST
गांधी के गुजरात में खूब फल-फूल रहा शराब का धंधा, शराब से होली खेलते नजर आए लोग
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पूरे गुजरात में कई जगह लाखों और करोड़ों रुपए का अवैध शराब बरामद होती है परंतु वह शराब जहां से बरामद होती है उस इलाके के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। जिसके कारण यह धंधा दिन दुगुनी और रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है...

कच्छ से दत्तेश भावसार की रिपोर्ट

जनज्वार। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गुजरात में वैसे तो शराबबंदी है लेकिन जमीनी स्तर पर यह सच साबित होता नजर नहीं आ रहा है। पिछले कई सालों में शराबबंदी की अमलवारी करवाने में गुजरात पुलिस पूरी तरह से विफल साबित हुई है। इसका ताजा वाकिया गुजरात के कच्छ जनपद के कंडागरा गांव में देखने को मिला। कंडागरा यहां के पूर्व विधायक और पूर्व राज्य मंत्री ताराचंद छेड़ा का गांव है। कंडागरा गांव के निजी समारोह का एक वीडियो सामने आया है जिसमें कई लोग शराब पीने के बाद शराब से होली खेलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

ह वीडियो उन्हीं में से किसी ने बनाया हुआ लगता है। वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि 20 से 30 लोग शराब पीने के बाद शराब से होली खेलते हुए नजर आ रहे हैं। वैसे तो शराबबंदी गुजरात में कई सालों से हैं परंतु स्थानीय स्तर पर ऐसा देखने को नहीं मिल रहा।

पूरे गुजरात में कई जगह लाखों और करोड़ों रुपए का अवैध शराब बरामद होती है परंतु वह शराब जहां से बरामद होती है उस इलाके के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। जिसके कारण यह धंधा दिन दुगुनी और रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। यह धंधा ज्यादातर सत्ता पक्ष के लोगों और अधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जाता है। हालांकि जहां से भी शराब बरामद होती है वहां के किसी भी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। सिर्फ खानापूर्ति के लिए छोटे-मोटे कर्मचारियों के विरुद्ध कागजी कार्यवाही होती हैं। इसके चलते कानून और संविधान का डर लोगों के में नहीं है।

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गुजरात में ज्यादातर अवैध शराब पड़ोस के राज्य राजस्थान से लायी जाती है। राजस्थान से सटी हुई गुजरात की सारी सीमाओं पर आने वाले सभी चेक पोस्ट पर कड़ी चेकिंग होने के बावजूद भी अवैध शराब का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है जिसके चलते गांधी के गुजरात में नशाबंदी है यह मानना बेमानी हो जाता है।

से मामलों में गुजरात सरकार का रवैया भी सख्त हो ऐसा दिखाई नहीं देता। पिछले कुछ माह में गुजरात सरकार द्वारा कई आरटीओ की 16 के करीब चेक पोस्ट रद्द की गई हैं। वह भी कहीं ना कहीं अवैध शराब की तस्करी को बढ़ावा देती हैं। पूरे गुजरात में अवैध शराब का काला कारोबार बहुत ही बड़े पैमाने पर होने की खबरें स्थानीय अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैैं। बावजूद इसके इस धंधे के खिलाफ सरकार की तरफ से कोई कड़े कदम नहीं उठाए जाते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के नरेश महेश्वरी ने बताया कि यह गांधी का गुजरात है, सत्ता पक्ष इसको गोडसे का गुजरात बनाने के ऊपर तुला हुआ है। कच्छ जनपद सीमा से सटा हुआ होने के कारण यहां पर डीआईजी रेंज के अधिकारी तैनात होते हैं। डीआईजी लेवल पर बहुत ही सख्ती से कार्यवाही करने के आदेश सुभाष त्रिवेदी ने दिए हुए हैं परंतु कच्छ जनपद पश्चिम के एसपी सौरभ तोलंबिया की कार्यवाही कई शंकाओं के घेरे में आती है।अधिकारियों के ढीले ढाले रवैये से ही पूरे कच्छ इलाके में बेरोकटोक शराब की बिक्री और शराब का सेवन हो रहा है।

महेश्वरी आगे बताते हैं कि गुजरात के बाहर से भी बहुत लोग काम और नौकरियों के लिए कच्छ जनपद में आए हैं उन लोगों में शराब पीने का चलन आम है। फलस्वरूप उनके साथ स्थानीय लोगों को भी यह लत लग जाती है और गुजरात की आने वाली पीढ़ियां बर्बादी के रास्ते पर जा रही हैं। इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर नरेश महेश्वरी ने बताया कि पुलिस की कार्यवाही के ऊपर बहुत ही प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं। अगर पुलिस चाहे तो यह धंधा बिल्कुल ही बंद हो सकता है लेकिन सत्ता पक्ष के हस्तक्षेप से यह धंधा बंद करने में मुश्किलें आ रही हैं।

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सामाजिक कार्यकर्ता खेतसिंह मरू कहते हैं, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की भतीजी का पर्स चुराने वाले को कुछ ही घंटों में धर लिया जाता है लेकिन करोड़ों रुपए के अवैध शराब को पकड़ने में पुलिस नाकाम होती है। यह नाकामी पुलिस और सरकार की है। रेव पार्टी की जानकारी स्थानीय तंत्र को ना हो, ऐसा मुमकिन नहीं लगता। स्थानीय अधिकारी भी इस मामले में संलिप्त हो सकते हैं।

खेतसिंह कहते हैं कि कच्छ रेंज आईजी के आदेश में उन्होंने स्पष्ट बताया है कि ऐसे कृत्य करने वाले चाहे कितने भी रसूखदार लोग हो उनको धर दबोचा जाए लेकिन स्थानीय अधिकारियों के लेवल पर यह कार्यवाही नहीं हो रही। खेतशिह के मुताबिक, 'सामूहिक दुष्कर्म और बलात्कार के मामलों में भी कई जगह ऐसी पार्टियां जिम्मेदार देखी गई है जिसमें नशे में चूर लोग मानवता को तार-तार कर के महिलाओं और बच्चों के ऊपर भी अमानवीय कृत्य करते पाए गए हैं। गुजरात सरकार ने चेक पोस्ट रद्द की, यह भी कहीं ना कहीं शराब के धंधे करने वालों समर्थन देने के समान है।

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