यूपी में चरम पर पुलिसिया गुंडई, गोली मारकर कथित अपराधी के हाथ पर थमा दिया बिना ट्रैगर वाला कट्टा
कथित अपराधी इश्तियाक के परिजनों ने कहा पुलिस उसे आधी रात को उठा ले गयी थी घर से और आंख पर पट्टी बांधने के बाद मार दी उसे गोली, इश्तियाक ने कहा पुलिस करना चाहती थी फर्जी मुठभेड़ में मेरा खून...
प्रयागराज से जेपी सिंह की रिपोर्ट
पुलिसिया गुंडई की वारदातें चरम पर पहुंच चुकी हैं। उसमें भी यूपी पुलिस तो गुंडई में सबसे आगे है। अभी उस बात को ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब एक पत्रकार द्वारा भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर दारोगा ने उसके मुंह में पेशाब कर दिया। इसी तरह की और भी कई घटनाओं का आये दिन खुलासा होता रहता है, जिनसे लगता है कि आमजन की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस ही सबसे बड़ी भक्षक बन गयी है।
अब पुलिसिया गुंडई की एक और घटना उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से सामने आयी है। यहां एक कथित बदमाश के एनकाउंटर के नाम पर पुलिस ने पहले उसे गोली मारी, फिर उसके हाथ में बिना ट्रैगर वाला कट्टा थमा दिया, जिससे इस एनकाउंटर की पोल खुल गयी।
इस घटना में जिले के मऊआइमा में एक कथित बदमाश के साथ हुई कथित मुठभेड़ को लेकर अब पुलिस विवादों में घिर गई है। मुठभेड़ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसके बाद यूपी पुलिस पर सवालिया निशान एक बार फिर से उठने शुरू हो गये हैं। मुठभेड़ की तस्वीर में बदमाश के हाथ में जो तमंचा दिखायी देर रहा है, उसमें ट्रिगर ही नहीं है। मामला संज्ञान में आने पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिये।
पुलिसिया मुठभेड़ में जख्मी इश्तियाक को एसआरएन अस्पताल से नैनी जेल भेज दिया गया। पुलिस द्वारा घटनास्थल से जारी फोटो मुठभेड़ की सच्चाई पर सवाल उठा रही है। इस तस्वीर में जमीन पर पड़ा घायल अपराधी दर्द से कराहता दिख रहा है। उसके बाएं पैर में गमछा बंधा है। दाहिनी हथेली पर तमंचा है।
सवाल यह भी है कि मुठभेड़ में घायल बदमाश के पैर में पुलिस ने गमछा बांधा तो क्या तमंचा कब्जे में नहीं लिया। खास बात यह कि तमंचे से ट्रिगर भी गायब है। इस फोटो को आधार बनाकर मुठभेड़ को फर्जी बताया जा रहा है। यानी पुलिस ने पकड़े गए अपराधी को गोली मारकर यह तस्वीर खींची थी। ऐसे में अब लोग यह सवाल कर रहे हैं कि बदमाश ने आखिरकार बिना ट्रिगर वाले तमंचे से पुलिस पर फायर कैसे कर दिया।कथित बदमाश इश्तियाक ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया है।
वहीं इश्तियाक के परिजनों का कहना है कि पुलिस उसे आधी रात को घर से उठाकर ले गई और आंख पर पट्टी बांधने के बाद उसे गोली मार दी।
गौरतलब है कि यह मुठभेड़ एक बैंक मैनेजर अनिल दोहरे के हत्याकांड से जुड़ी है। मऊआइमा पुलिस ने दावा किया है कि इसी अपराधी ने 19 जुलाई को हत्या से पहले बैंक मैनेजर अनिल कुमार के आने-जाने के रास्ते की रेकी की थी। घटना से पहले उसी ने शूटरों को फोन किया। पुलिस का यह भी दावा है कि बैंक मैनेजर की हत्या में इश्तियाक शामिल था, जबकि हत्या करने वाले उसके साथी मुजीब, तफसीर और नजुल थे।
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बैंक मैनेजर अनिल दोहरे की हत्या को 10 दिन पहले की गयी थी, मगर पुलिस उनके कत्ल की वजह नहीं खोज सकी है। मऊआइमा पुलिस कह रही है कि खुलासा हो चुका है, बस सुपारी लेने और देने वाले की तलाश है। वहीं क्राइम ब्रांच अलग जांच कर रही है। इसमें बैंक के एक-दो अधिकारियों की भूमिका पर भी पड़ताल की जा रही है। पुलिस का दावा है कि प्रतापगढ़ के अपराधी दिलबहार ने हत्या की सुपारी ली थी, लेकिन किसने उसे सुपारी दी, यह पुलिस नहीं बता पा रही है। तीनों शूटरों को भी पुलिस नहीं पकड़ पायी।
पुलिस का यही कहना है कि छापेमारी की जा रही है। जांच में बैंक का भवन मालिक अनवर और उसका भाई नवाब अली प्रमुख संदिग्ध बनकर उभरा है। एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र के मुताबिक, लोन के लिए भवन मालिक और उसके भाई से बैंक मैनेजर के बीच झगड़ा हुआ था। मैनेजर को कॉलर पकड़कर बाहर खींच धमकी दी गई थी। अब ये संदिग्ध फरार होने के कारण राडार पर हैं।