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राजनीति

देश के गृहमंत्री अमित शाह से सिर्फ एक सवाल, 'जब सरकार ही आग लगाए तो आग को कौन बुझाए ?'

Janjwar Team
25 Feb 2020 7:15 AM GMT
देश के गृहमंत्री अमित शाह से सिर्फ एक सवाल, जब सरकार ही आग लगाए तो आग को कौन बुझाए ?
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70 दिनों से अधिक समय से CAA-NRC विरोधी आंदोलनकारी तो शांत बैठे थे। फिर यह हिंसा अचानक क्यों भड़की? भड़की या भड़कायी गयी...

जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। दिल्ली जली नहीं जलाई गयी है। यह किसी ओर ने नहीं बल्कि खुद सरकार ने किया है। यही वजह है कि हिंसा थमने की बजाय बढ़ती जा रही है। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछना बनता है। जब सरकार ही आग लगाए तो इस आग को कौन बुझाए?

70 दिनों से अधिक समय से सीएए—एनआरसी विरोधी आंदोलनकारी तो शांत बैठे थे। फिर यह हिंसा अचानक क्यों भड़की? भड़की या भड़कायी गयी? वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने सवाल उठाया है कि दिल्ली पुलिस के हाथ किसने बांधे। अभी तक कपिल मिश्रा गिरफ्तार क्यों नहीं किए गए? आप नेता मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि दिल्ली में इतना डर पहले कभी नहीं लगा।

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ट्वीटर यूजर अफरोज आलम ने लिखा- दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की चाल है मौजपुर दंगा, यह संयोग नहीं गुजरात का प्रयोग है। अमित शाह ये देश तुम्हे कभी माफ नही करेगा। सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठ रहा है कि क्यों देश के गृहमंत्री दिल्ली की हिंसा की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं। उनकी नाक के नीचे हिंसा हो रही है।

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्र शेखर आजाद ने कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार है। उन्होंने खुद और उनकी पार्टी के नेताओं इस तरह के बयान दिए कि बिल के विरोधी और समर्थक आमने सामने आ जाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने जो जहर बोया, यह इसी का परिणाम है। जब उनकी पार्टी के लोग इस तरह के नारे लगा रहे थे तो देश के गृह मंत्री चुप थे। यानी सीधे सीधे वह इससे सहमत है। अब देश के गृहमंत्री ही दंगे भड़काने में लगे रहे तो फिर दंगा रूकेगा कैसे?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के नारे

केंद्रीय नेता अनुराग ठाकुर ने मंच से गोली मारो के नारे लगवाए हैं । गृहमंत्री ने केजरीवाल से पूछा है कि क्या वो शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन कारियों के साथ हैं? सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा, भारतीय जनता पार्टी अगर चाहे तो एक घंटे में शाहीन बाग को खाली करा देगी। कपिल मिश्रा ने कनॉट प्लेस में सीएए के समर्थन में हुई रैली गोली मारो गद्दारों का नारा लगवाया था। अब जाफराबाद मैट्रो स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ के बीच ही कपिल मिश्रा ने ने ट्वीट कर लोगों से सीएए के समर्थन में मौजपुर चौक पर जमा होने की अपील की। इसके बाद ही हालात तेजी से खराब होते गए।

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कपिल मिश्रा के खिलाफ हो मामला दर्ज

प्रदर्शनकारियों समेत कई लोगों ने मांग की कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। क्योंकि उन्होंने ही जनता को बहका कर लोगों को भड़काया है। इसके बाद ही हिंसा शुरू हो गयी थी। सोशल मीडिया पर भी कपित मिश्रा की कड़ी आलोचना हो रही है। उन्हें हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसक साथ ही लोग दिल्ली पुलिस पर भी सवाल उठा रहे हैं, पुलिस क्यों नहीं कपिल के खिलाफ कार्यवाही कर रही है।

सीधी हुई चाल चल रही केंद्र सरकार

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उनकी आवाज को दबाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने गुंडों का सहारा लिया है। यह केंद्र की सधी हुई चाल है। इससे देश में यहीं संदेश जाए कि नागरिक संशोधन बिल के विरोधी और समर्थकों के बीच में झड़प है। लेकिन हकीकत में यह हिंसा करने वालों को सरकार का सीधा समर्थन प्राप्त है। क्योंकि जब बिल के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन बढ़ रहे थे, ऐसे में सरकार के सामने अब इस तरह की साजिश के सिवाय कोई रास्ता ही नहीं बचा था।

पुलिस ने किया लाठीचार्ज

प्रदर्शनकारियों ने जनज्वार को बताया कि पुलिस ने बिना बात के लाठी चार्ज किया। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि ये घटना तब घटी जब नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में स्थानीय लोगों ने जुलूस निकाला था। इसी दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। दक्षिण दिल्ली के पुलिस उपायुक्त अतुल ठाकुर ने लाठी चार्ज की बात स्वीकार भी नहीं की और उसका खंडन भी नहीं किया है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि लाठी चार्ज के आरोपों की वो जांच कर रहे हैं।

भी सही से नहीं हो रहा है

घायल प्रदर्शनकारियों ने बताया कि अस्तपाल में उनका इलाज भी सही से नहीं हो रहा है। डाक्टर उन्हें मेडिकल रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं, जिससे यह पता चल सके कि किसे कितनी चोट आयी है। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल के डाक्टर उनके साथ सही से व्यवहार भी नहीं कर रहे हैं।

जारी रहेगा विरोध

बिल का विरोध करने वालों ने बताया कि वह केंद्र सरकार के सामने झुकने वाले नहीं है। विरोध प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेंगे। इसके लिए चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े। जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती, वह इसका विरोध करते रहेंगे।

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