लॉकडाउन से यूपी में पान-मसाला पर लगी पाबंदी लेकिन घरेलू वस्तुओं पर दुकानदारों के मनमाने दाम से जनता परेशान
कानपुर की 30 से 35 रुपये किलो वाली शक्कर 50 से 60 रुपये किलो बेचे जा रहे हैं, यही नहीं वो चीजे जिसमे निर्धारित मूल्य लिखा हुआ है वो तक बढ़े हुए दामों में आम जनता को बेचा जा रहा है। ये हालत सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों में भी है...
कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। दुनिया मे फैली कोरोना वायरस की महामारी के चलते भारत सरकार ने 21 दिन तक के लिए लॉकडाउन लागू किया है। लॉकडाउन करने के आदेशों के बाद कालाबाजारी की बातें देखने सुनने को आ रहीं हैं। ये तब है जब ऐसे लोगों के लिए कानून में सख्त प्रावधान हैं। समाज में कुछ दुकानदारों ने लोगों की मजबूरी (लॉकडाउन) का फायदा उठाते हुए 20 रुपये किलो वाला आलू 60 में और 25 रुपये किलो वाला आटा 50 रुपये में बेचा। आम आदमी इस कालाबाजारी और मनमानी लूटखसोट से परेशान है।
मान लो कि आपके पास माल कम था पर इसका मतलब यह नहीं कि मौके का फायदा उठाकर उसकी मनमानी कीमत वसूली जाए। इंसानियत को ध्यान में रखते हुए जितना भी माल था, उसे वाजिब कीमत पर बेचा जाना चाहिए था। जबकि दुकानदारों ने चंद रुपए ज्यादा कमा लेने की होड़ में सारे नियम कानूनों को सूली पर टांग दिया। इसके अलावा न लोगों ने इस बात से भी मतलब नहीं रखा कि किसी दिहाड़ीदार की जेब में यदि 40 रुपये ही हों तो वो इस संकट के दौर में अपने परिवार के लिए एक किलो आलू नहीं खरीद सकेगा।
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कानपुर की 30 से 35 रुपये किलो वाली शक्कर 50 से 60 रुपये किलो बेचे जा रहे हैं, यही नहीं वो चीजे जिसमे निर्धारित मूल्य लिखा हुआ है वो तक बढ़े हुए दामों में आम जनता को बेचा जा रहा है। ये हालत सिर्फ कानपुर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों में भी है। गांवों कस्बों की हालत तो और भी अधिक खराब हैं। गांव के एक निवासी ने फोन पर बताया कि यहां का माहौल पुलिस ने कुछ अधिक ही टाइट कर रखा है।
कानपुर के साकेत नगर निवासी डॉ आराधना गुप्ता पेशे से मनोरोग चिकित्सक हैं। उन्होंने जनज्वार को बताया कि कल पीएम मोदी द्वारा देश को लॉकडाउन कर देने के आदेश के बाद तो हालात और भी बदतर हुए हैं। दुकानदार मनमाने दामों पर समान बेंच रहे हैं। डॉ. आराधना कहती हैं कि उनसे कुछ कहने पर वो उल्टा बोलते हैं कि मैडम लेना है तो लो वर्ना रख दो। ऐसे में जब 20 रुपये में मिलने वाला सामान 50-55 में मिलेगा, 5 रुपये का खीरा जब 15 या 20 रुपये का मिलेगा तो देश किस दिशा में जा रहा है। इस बात के लिए सरकार को पहले से ध्यान देकर कोई ठोस कदम उठाने चाहिए थे।
बंद हुआ गुटखा-पान मसाला
कानपुर में विशेष पहचान रखने वाला गुटखा आज पूरी तरह से पाबंद कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ ने दोपहर ढाई बजे के बाद पान-मसाला बनाने, बेचने व खरीदने पर पूरी तरह से लॉकडाउन तक पाबंदी लगा दी है। आदेश के बाद जिलाधिकारी ने कहा कि जो कोई दुकानदार बेचते पाया जायेगा उस पर सख्त कारवाई की जायेगी। इसके साथ जनता कर्फ्यू का पालन सख्ती से कराया जाएगा।
दुकानदारों की बनेगी लिस्ट
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव तिवारी ने कहा कि जो भी दुकानदार है उनकी लिस्ट बनाई जायेगी जो क्षेत्रीय लोगों को खानपान सामग्री उपलब्ध करा सकेंगे अगर वो यह सुविधा नही दे पाएंगे तो उनकी दुकाने नही खुलेंगी। खानपान सामग्री बेचने का जो समय निर्धारित किया गया है उसी समय पर मिलेगा। सुबह 6 से 11 दुकाने खुलेंगे और उसके बाद सभी अपने घर पर रहेंगे। अनावश्यक बाहर निकलने पर कड़ी कारवाई की जायेगी। स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चलती रहेंगी। दवाओं की कमी नहीं होने का दावा सीएमओ ने किया है।
अधिक रेट पर चीजें बेचने वालों पर होगी कार्रवाई
जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि कल से कई दुकानदारों की शिकायतें सुनने में आ रहीं हैं जो मूल्य से अधिक रेट पर सामान बेंच रहे हैं उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमने खाद्य विभाग के हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किए हैं। आमजन की आई शिकायतों का तत्काल प्रभाव से निराकरण किया जाएगा और जो भी दोषी पाया जाएगा सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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30 से 35 की संख्या में हैं पान-मसाला कंपनियां
उत्तर प्रदेश के कानपुर, उन्नाव सहित कई जिलों में फ्रेंचाइजी के रूप में चल रही पान मसाला कंपनियों की संख्या लगभग 30 से 35 है। जिसमे शिवराज टोबैको, कुरेले ग्रुप का एसएनके पान मसाला, केसर, शुद्ध प्लस, सर, राजश्री, विमल, किसान, वाह, रजनीगंधा सहित तमाम कंपनियां चोरी छुपे अपना धंधा फैलाये हुए थे। जो अब संकट में आ सकते हैं।
ट्रांसपोर्ट नगर में डंप होता है कच्चा माल
इन सभी गुटखा कंपनियों का रॉ मटेरियल यानी कच्चा माल, जिसमे सुपाड़ी, कत्था, सहित तमाम चीजें शामिल होती हैं उन्हें शहर के किदवई नगर स्थित ट्रांसपोर्ट के गोदामो में छुपाकर रखा जाता है। कर चोरी सहित तमाम चोरियों के बावजूद भी गुटखा व्यापार तमाम सरकारों के आने जाने तक ज्यों का त्यों फलता-फूलता रहा है।