15 जनवरी से 23 मार्च तक विदेश से आने वाले सिर्फ 19% यात्रियों की हुई स्क्रीनिंग, RTI से बड़ा खुलासा
आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार देशव्यापी लॉकडाउन के ऐलान के पहले 15 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेश से भारत पहुंचने वाले महज 19 फीसदी यात्रियों की ही स्क्रीनिंग की गई थी...
जनज्वार ब्यूरो। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों के मामले 1 लाख का आंकड़ा पार करने वाला है। इस आपात स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था अगर समय रहते बाहर से आ रहे यात्रियों की स्क्रीनिंग हो गई होती। दरअसल केंद्र सरकार की ओर से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ है कि 15 जनवरी से 23 मार्च के बीच भारत पहुंचने वाले यात्रियों में से केवल 19 फीसदी की ही स्क्रीनिंग की गई थी।
आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार देशव्यापी लॉकडाउन के ऐलान के पहले 15 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेश से भारत पहुंचने वाले महज 19 फीसदी यात्रियों की ही स्क्रीनिंग की गई। जनवरी के महीने में केवल चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई, जबकि फरवरी में स्क्रीनिंग का दायरा बढ़ाया गया जिसमें थाइलैंड और सिंगापुर से आने वाले यात्रियों को शामिल किया गया।
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'दि प्रिंट' की रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इस सिलसिले में जानकारी मांगी थी जिसपर सरकार की ओर से 11 मई को जवाब दिया गया। जिसके मुताबिक इटली को इस स्क्रीनिंग के दायरे में 26 फरवरी को शामिल किया गया था जबकि यहां 322 लोगों में संक्रमण के मामले सामने आ चुके थे। तब भी अन्य यूरोपीय देशों को शामिल नहीं किया गया था।
I'd filed an RTI asking how many incoming intl' passengers were screened at airports between 15 Jan-18 Mar.
Modi govt says 15,24,266 passengers were screened.
DGCA stats say total intl' passenger traffic Jan-Mar is 78.4 lacs
INDIA SCREENED ONLY 19% OF ARRIVING PASSENGERS. pic.twitter.com/Nb5oy71Vlz
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) May 14, 2020
यूनिवर्सल स्क्रीनिंग केवल 4 मार्च से शुरू हुई, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घोषणा की थी कि चीन के बाहर 14,000 मामलों के साथ वैश्विक संक्रमण 93,000 को पार कर गया है। भारत ने अपने यहां 30 जनवरी को कोविड-19 के पहले मामले की पुष्टि के लगभग 2 महीने बाद, सभी हवाई यात्रा 23 मार्च को बंद की, 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 मार्च को एक ट्वीट में कहा था, ‘हमने जनवरी के मध्य से ही भारत में प्रवेश करने वालों की सक्रीनिंग शुरू कर दी थी, जबकि धीरे-धीरे यात्रा पर प्रतिबंध भी बढ़ रहे थे। कदम दर कदम प्रयासों से पैनिक होने से बचने में मदद मिली।’
इस मामले पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया अबतक नहीं आई है। हालांकि आरटीआई के जवाब में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने जो आंकड़े दिए उनके अनुसार, 15 लाख से अधिक यात्रियों- 15,24,266 यात्रियों की- 15 जनवरी से 23 मार्च के बीच स्क्रीनिंग की गई। इस अवधि के दौरान, भारत में 78.4 लाख से अधिक यात्री पहुंचे।
17 जनवरी को केवल चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों को तीन भारतीय हवाई अड्डों- मुंबई, नई दिल्ली और कोलकाता पर स्क्रीनिंग की गई। चार दिन बाद, इसमें चार अन्य हवाई अड्डों- चेन्नई, हैदराबाद, कोच्चि और बेंगलुरु को शामिल किया गया था, लेकिन अन्य देशों के यात्रियों को इसमें शामिल नहीं किया गया था। इस समय तक चीन के बाहर चार मामलों के साथ 282 कोविड-19 केस की पुष्टि डब्ल्यूएचओ ने कर दी थी।
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थाईलैंड और सिंगापुर से आने वाले यात्रियों को 2 फरवरी को स्क्रीनिंग प्रक्रिया के दायरे में लाया गया। इस समय तक चीन के बाहर 146 मामलों के साथ वैश्विक संक्रमण 14,557 तक पहुंच गया था। 12 फरवरी को 21 भारतीय हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग बढ़ाई गई और जापान और दक्षिण कोरिया के यात्रियों की भी स्क्रीनिंग की जाने लगी। तब तक वैश्विक संक्रमण 24 देशों में 45,171 पर पहुंच चुका था।
26 फरवरी से इटली से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू की गई, लेकिन अन्य यूरोपीय देशों के यात्रियों को छूट दी गई थी। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, संक्रमण पहले से ही 37 देशों में फैल गया था और 26 फरवरी तक अकेले यूरोप में 400 मामले थे। आरटीआई जवाब में यह भी कहा गया है कि 15 जनवरी से 23 मार्च के बीच बाहर जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों और घरेलू यात्रियों की स्क्रीनिंग नहीं की गई।