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अंधविश्वास

अंधविश्वास : वज्रपात में झुलसी युवती तो इलाज के बजाय घंटों तक रखा गोबर में दबाकर

Prema Negi
25 April 2020 8:12 AM GMT
अंधविश्वास : वज्रपात में झुलसी युवती तो इलाज के बजाय घंटों तक रखा गोबर में दबाकर
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हादसे की खबर सुनकर काफी देर बाद मौके पर पहुंचे रीजनल मेडिकल आफिसर विनोद साहू ने झुलसी युवती को अपने निजी वाहन से प्राथमिक उप स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया, जहां उसका इलाज चल रहा है...

जनज्वार। अंधविश्वास और हमारा देश एक सिक्के के दो पहलू हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शीर्ष पर बैठे नौकरशाह, सत्तासीन और आम जनता सभी अंधविश्वास में गहरे धंसे हुए हैं। नहीं हो ऐसा क्यों होता कि करंट लगने पर किसी को गोबर से दबा दिया जाता, जिससे उसकी मौत तक हो जाती। लोग डॉक्टर के पास जाने से पहले अंधविश्वास को ही उपचार मान लेते हैं।

जी हां, हमारे देश में करंट लगने पर गोबर से दबा देने की घटनायें कई बार सामने आ चुकी हैं। अब ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के जसपुर में सामने आया है। यहां कल 24 अप्रैल को आकाशीय बिजली से झुलसी एक 20 साल की लड़की को अंधविश्वास के कारण गोबर में दबा दिया गया। काफी देर बाद भी युवती को होश नहीं आया तो बाहर निकाला गया और जब किसी ने मरने की आशंका जतायी तो आनन—फानन में डॉक्टर के पास ले जाया गया।

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अंधविश्वास में धंसे हमारे देश की मान्यताओं के मुताबिक गोबर में दबाने से करंट का प्रभाव खत्म हो जाता है और यहीं उस 20 साल की लड़की के साथ भी ग्रामीणों और परिजनों ने किया। वो तो भला हो कि समय पर किसी ने जान का खतरा बताकर अस्पताल ले जाने की राय दे दी, नहीं तो लड़की की मौत निश्चित थी।

जानकारी के मुताबिक कल 24 अप्रैल को जसपुर के कोतबा में बारिश के दौरान वज्रपात से झुलसी एक युवती की जान बचाने के लिए परिजनों ने घर के पास स्थित गोबर के एक गड्ढे में उसे जिंदा डाल दिया।

ग्रामीणों ने बताया हमारा विश्वास है कि इस तरह के हादसे में झुलसे लोगों को गोबर की ठंडक से राहत मिलती है। साथ ही गाय के गोबर में मौजूद एंटी बायटिक की शक्ति से भी झुलसे लोगों की जान बच जाती है। यह ग्रामीणों और हमारे अंधविश्वासी समाज की अपनी मान्यता है, क्योंकि इसकी किसी भी तरह से इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।

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हालांकि इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी उजागर हुई है। घायल लड़की को उपचार के लिए अस्पताल ले जाने के लिए क्षेत्र की डीडीसी नवीना पैंकरा बीएमओ और सीएमओ को फोन करती रही, मगर घंटों तक एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करायी गयी। स्वास्थ्य अधिकारी एंबुलेंस भेजने का भरोसा देते रहे, लेकिन अंत तक एंबुलेंस नहीं पहुंचा। काफी देर बाद इस हादसे की खबर सुनकर मौके पर पहुंचे रीजनल मेडिकल आफिसर विनोद साहू ने झुलसी युवती को अपने निजी वाहन से प्राथमिक उप स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

टनाक्रम के मुताबिक जसपुर जनपद के फरसाबहार तहसील के ग्राम कोह्लेनझरिया निवासी जगेश्वर की 20 साल की बेटी कुमारी जयसिला सेठी कल 24 अप्रैल की दोपहर 12 बजे मूसलाधार बारिश के दौरान घर में बैठी हुई थी कि इस दौरान तेज चमक और गर्जना के साथ जयसिला के घर में वज्रपात हुआ। वज्रपात की इस घटना में युवती गंभीर रूप से झुलसकर अचेत हो गई।

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काशीय बिजली में झुलसी युवती की जान अपनी मान्यताओं के मुताबिक बचाने के लिए परिजन व पड़ोसियों ने घर के समीप स्थित गोबर जमा करने के एक गड्ढे में उसे डाल दिया और गड्ढे को गोबर से पूरी तरह से ढंक दिया। लगभग एक घंटे तक अचेत अवस्था में झुलसी युवती इसी स्थिति में गड्ढे में पडी रही।

बाद में लगभग 2 घंटे बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया। घायल युवती जयशीला सेठी का उपचार कोल्हेनझरिया अस्पताल में चल रहा है और उसकी स्थिति अभी समान्य बताई जा रही है।

अंधविश्वास: करंट की चपेट में आया युवक, इलाज की बजाय गोबर में दबाने से हुई मौत

इस मामले में जिला अस्पताल के डॉ. आरएस पैकरा कहते हैं, गाज की चपेट में आए मरीज काे गोबर के गड्‌ढे में डाल कर उपचार करना खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है। पीड़ित को लेकर अस्पताल आना चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के गजरौला थाना क्षेत्र के तहत आने वाले गांव अहरौला का युवक सतवीर छत पर खड़ा हो फोन सुन रहा था। तभी वह हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया। 11000 वोल्ट के करंट से युवक बुरी तरह से झुलस कर बेहोश हो गया। परिजन झुलसे युवक को इलाज के लिए डॉक्टर पर ले जाने की बजाय अंधविश्वास के चलते गोबर में दबा दिया। काफी देर तक जब युवक के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो उसे गोबर से निकाल कर मालिश की गयी। इस पर भी बात नहीं बनी तो दोबारा गोबर में दबाने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवाया गया था। यानी इलाज के अभाव में अंधविश्वास ने एक युवक की जान ले ली। अगर समय पर उसे इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी।

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