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कोरोना से भी अधिक खतरनाक इलाज के नीम-हकीमी सरकारी नुस्खे और अंधविश्वास
हमारे देश में आयुष मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक कोरोना संकट के इस दौर में अचानक काढा, गर्म पानी, हल्दी इत्यादि का प्रचार करने लगे हैं, पहले आयुष मंत्रालय इसे कोरोना को बेअसर करने का और इससे इलाज करने का दावा करता रहा, पर अब अचानक से यह इसे सिर्फ रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला बता रहा है...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। कोई भी दवा, टीका या फिर टोनिक का जब आप सरकारी स्तर पर प्रचार करते हैं, तब माना यही जाता है की उस उत्पाद या विधि का पूरी तरह दीर्घकालीन अध्ययन किया गया होगा। पर हमारे देश में आयुष मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री तक कोरोना संकट के इस दौर में अचानक काढा, गर्म पानी, हल्दी इत्यादि का प्रचार करने लगे हैं।
पहले आयुष मंत्रालय इसे कोरोना को बेअसर करने का और इससे इलाज करने का दावा करता रहा, पर अब अचानक से यह इसे सिर्फ रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला बता रहा है। 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने भी राष्ट्र के नाम संबोधन में काढा और गर्म पानी का जिक्र किया।
आयुष मंत्रालय के बड़े अधिकारी अनेक टीवी चैनलों पर लगातार काढा, हल्दी-गर्म पानी और दूध-हल्दी और साथ में हवन से और योग से भी वायरस को दूर भगा रहे हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ा रहे हैं। आश्चर्य यह है कि इन सबका कोई भी वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया जाता, यह सब उस महामारी से बचाने के लिए किया जा रहा है जिसके वायरस को दुनिया अभी तक ठीक से समझ भी नहीं पाई है, पर भारत सरकार के पास इसे बेअसर करने का नुस्खा भी आ गया है।
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येल यूनिवर्सिटी के इम्युनोलोजिस्ट एकिको इवासाकी के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता इस तरीके से नहीं बढ़ाई जा सकती है। यह सब ऐसे समय में किया जा रहा है, जबकि कोरोनावायरस पूरे देश में तेजी से अपने पैर पसार रहा है। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च पूरी तरह से खामोश है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, जो एक पेशेवर चिकित्सक भी हैं, स्वयं समय—समय पर योग समेत दूसरी देसी पद्धतियों की, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, की वकालत करते हैं।
भारत अब तक दुनिया में विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल रहा है, फिर भी काढा से और हवन से हमें मजबूत बना रहा है। दूसरी तरफ नाइजीरिया विज्ञान के सन्दर्भ में बहुत पीछे है, पर हाल ही में वहां के स्वास्थ्य मंत्री ने और फिर राष्ट्रपति ने बयान जारी कर कहा है कि पारंपरिक दवाओं का भी वैसा ही परीक्षण अनिवार्य है, जैसा सामान्य दवाओं के लिए होता है और परीक्षण में खरा उतरने के बाद ही सरकार उनके उपयोग की अनुमति दे सकती है।
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पहले नाइजीरिया के एक कबीले के सरदार ने लोगों को कोविड 19 से बचने के लिए नीम, काली मिर्च और प्याज समेत कुछ अन्य वनस्पतियों का काढा बनाकर पीने की सलाह दी थी, इसके बाद ही स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रपति ने ऐसे किसी भी घरेलू उपचार से बचने की सलाह दी।
हमारे देश में तो नेताओं को किसी भी मामले में लगातार झूठ बोलने की लत लग गयी है। केन्द्रीय मंत्री श्रीपद नायक ने प्रिंस चार्ल्स के कोरोना से ठीक होने के बाद कहा था कि प्रिंस चार्ल्स आयुर्वेदिक दवाएं लेकर ठीक हुए हैं, इसके बाद प्रिंस चार्ल्स की तरफ से इस खबर का खंडन किया गया। लोग अपने देश के नागरिकों के बारे में झूठ बोलते हैं, पर हमारे नेता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्लज्ज होकर झूठ बोलने लगे हैं। हमारे देश में झूठ बोलने वाले नेताओं का साथ समाचार चैनल वाले खूब देते हैं।
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कुछ दिनों पहले एबीपी न्यूज़ ने प्रचारित किया कि आईसीएम्आर ने एक अध्ययन किया है जिसके अनुसार यदि लॉकडाउन नहीं किया जाता तो 15 अप्रैल तक देश में कोरोना-ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या 8 लाख से भी अधिक होती। इसके अगले दिन आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि इस तरह का कोई अध्ययन नहीं किया गया है, पर न्यूज़ चैनल ने आज तक इस खबर के लिए कोई अफ़सोस जाहिर नहीं किया है, बल्कि अब तो लगभग सारा मीडिया इसी तरह की खबरें दिनभर दिखाता है, और सरकार इनकी लगातार अनदेखी कर रही है।
केन्या में राजधानी नैरोबी के गवर्नर, माइक सोन्का, ने कोविड 19 का इलाज शराब और कॉन्यैक में खोजा है। वहां की कॉन्यैक बनाने वाली एक कंपनी, हेन्नेसी कॉन्यैक, ने तो अब बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों को आगाह करना शुरू किया है की उनके उत्पाद का किसी रोग से ठीक होने का कोई सम्बन्ध नहीं है।
मेडागास्कर के राष्ट्रपति, ऐन्द्री राजोएलिना, ने नागरिकों को वनस्पति आधारित किसी काढा को पीने की सलाह दी है। इस सलाह पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक चेतावनी भी जारी कर दी है। वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति, निकोलस मडूरे ने भी नागरिकों को लेमोंनग्रास का काढा और एल्देरबेर्री चाय पीने को कहा है। इस सन्देश को ट्विटर ने भ्रामक सूचना के कारण डिलीट कर दिया है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसका विरोध करते हुए एक पत्र भेजा है।
ब्राज़ील में कांग्रेस के सदस्य, मार्कोस फेलिसिअनो ने कोरोना को मात देने के लिए देशवासियों से 5 अप्रैल को उपवास पर रहने का अनुरोध किया था। इस अनुरोध पर राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो की भी स्वीकृति थी। अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प के अनुसार मलेरिया की दवाएं ही कोविड 19 का एकमात्र इलाज है।
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मना करने के बाद भी भारत को धमका कर उन्होंने ये दवाएं हासिल कीं। अब तक अमेरिका में कुछ मौतें केवल मलेरिया की दवाओं से उपचार के कारण दर्ज की गयी हैं। इंग्लैंड में आईटीवी नामक समाचार चैनल के एक प्रेसेंटर ने अपने कार्यक्रम में सोशल मीडिया पर उड़ती अफवाह, 5 जी नेटवर्क के कारण कोरोना वायरस का प्रसार हो रहा है, को समाचार के तौर पर दिखा दिया।
ईरान में रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने दावा किया है कि एक ऐसे उपकरण का आविष्कार कर लिया गया है जो 100 मीटर के दायरे के सभी वायरस को 5 सेकेंड के भीतर पहचान सकेगा। गार्ड्स के प्रवक्ता हुसैन सलामी ने बताया है कि जल्दी ही इसकी मदद से पूरे इरान के वायरसों को खोज लिया जाएगा। तंजानिया के राष्ट्रपति ने एक तरफ तो ईस्टर के मौके पर भीड़ से बचने के लिए सभी हवाई अड्डे बंद कर दिए, सभी बाज़ार और शिक्षण संस्थान बंद कर दिए, पर दूसरी तरफ जनता से बड़ी संख्या में चर्च जाकर प्रार्थना सभा में सम्मिलित होने का अनुरोध कर दिया। उनके अनुसार चर्च में प्रार्थना के बाद सभी वायरस जल जायेंगे।
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इजराइल के स्वास्थ्य मंत्री, जो एक अल्ट्रा ऑर्थोडॉक्स समुदाय के सदस्य भी हैं, ने स्वयं लॉकडाउन नियमों का पालन नहीं किया और प्रार्थना सभाओं में लगातार जाते रहे। अंत में स्वयं कोविड 19 के शिकार हो गए और उनके संपर्क में आने वाले मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों को आइसोलेशन में जाना पड़ा।
स्कॉटलैंड की चीफ मेडिकल ऑफिसर ने लॉकडाउन के दौरान कई बार घरेलू काम से लम्बी यात्राएं कीं। प्रेस में इस खबर के आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। न्यूजीलैंड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर डेविड क्लार्क को कबिनेट मंत्री से राज्य मंत्री के दर्जे पर जाना पड़ा, क्योंकि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार के साथ सागर तट पर सैर-सपाटा किया था।
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साउथ अफ्रीका में लगभग ऐसे ही कारण से एक मंत्री को अपने पद से हटना पड़ा। हमारे देश में जब कोई मंत्री या मुख्यमंत्री सोशल डीस्टेसिंग या लॉकडाउन का पालन नहीं करता है, तब इस खबर को उजागर करने वाले रिपोर्टर को जेल भेज दिया जाता है।
हमारे देश में तो गोबर के लेप और गौमूत्र पीकर भी किसी भी रोग को हराया जा सकता है। ऐसे इलाजों में सबसे आगे बीजेपी के नेता और मंत्री ही रहते हैं, पर आश्चर्य यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इन मामलों पर कोई विरोध जाहिर नहीं करता।