पत्थलगड़ी आंदोलन का विरोध कर रहे 7 लोगों की अपहरण के बाद हत्या, सीएम हेमंत सोरेन बोले नहीं बख्शे जाएंगे दोषी
पत्थलगढ़ी आंदोलन का विरोध करने पर झारखंड के गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में 7 लोगों की हत्या से सनसनी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बोले- कानून सब से ऊपर, दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा...
जनज्वार। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में उस वक्त सनसनी फैल गई जब लोगों को सूचना मिली कि पत्थलगढ़ी आंदोलन का विरोध कर रहे सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। इन सात लोगों का पहले अपहरण किया गया और फिर जंगल में ले जाकर हत्या कर दी गई। मृतकों में बुरुगुलीकेरा गांव के उपमुखिया और अन्य छह ग्रामीण शामिल हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, 'कानून सबसे ऊपर है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी।'
राजद्रोह के मुकदमे वापस लेने के बाद ही हो गई ये घटना
पत्थलगड़ी आंदोलन दशकों पुराना है और हाल के वर्षों में पुनर्जीवित हुआ है। यह घटना झामुमो की अगुवाई वाली सरकार द्वारा पत्थलगड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ राजद्रोह के मुकदमे वापस लेने की घोषणा के कुछ दिनों बाद हुई है जिसने आंदोलन और सरकार दोनों को सुर्खियों में ला दिया।
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172 अभियुक्तों के खिलाफ देशद्रोह के कुल 19 मामले दर्ज किए गए। 29 दिसंबर को पनी पहली कैबिनेट बैठक में हेमंत सरकार ने 2017-2018 के पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान लोगों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की घोषणा की थी। हाल ही में मुख्य सचिव ने मामलों की वापसी के लिए खूंटी उपायुक्त को जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए कहा था।
क्या थी हत्या की वजह ?
कुछ दिन पहले पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े लोगों ने एक मीटिंग की थी। बैठक में कुछ ग्रामीणों ने पत्थलगड़ी का विरोध किया था। इससे दो गुटों में विवाद हो गया और फिर मारपीट भी हुई थी। तभी से दोनों गुटों में तनाव हो गया और इसके बाद इस वारदात को अंजाम दिया गया।
हत्याकांड पर पुलिस
पश्चिम सिंहभूम के एसपी इंद्रजीत महतो ने कहा, '16 जनवरी को 9 लोगों ने गांव के कुछ घरों में तोड़फोड़ की थी। इसका विरोध करने के लिए एक बैठक बुलाई गई और 19 जनवरी को सभी 9 को बुलाया गया। बैठक के दौरान दो व्यक्ति भाग गए। ग्रामीणों ने 7 को पकड़ लिया और उन्हें मार डाला।'
क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन?
पत्थलगड़ी एक दशकों पुराना आदिवासी विरोध है जो ग्राम सभाओं के लिए स्वायत्तता चाहता है। यह भूमि के कानून के साथ-साथ उनके वनों और नदियों पर सरकारी अधिकारों को खारिज करता है। आंदोलन के हिस्से के रूप में आदिवासियों ने गांव के बाहर एक पत्थर की पट्टिका या साइनबोर्ड खड़ा कर इसे संप्रभु क्षेत्र घोषित किया और बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी। झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में इसका खासा असर है।
पत्थलगड़ी के तहत सरकारी संस्थानों और सुविधाओं के बहिष्कार की बात की जा रही है तो स्थानीय शासन की मांग भी। आदिवासी महासभा नामक संगठन के बैनर तले ग्रामीण गांव के प्रवेश द्वार पर इस आशय की सूचना पत्थर पर खुदवा रहे हैं कि यहां ग्रामसभा का शासन है और सरकारी आदेशों और सरकारी संस्थानों की यहां कोई मान्यता नहीं है। इसे ही पत्थलगड़ी नाम दिया गया है। इसके समर्थकों का कहना है कि वही देश के असली मालिक हैं, उन पर कोई शासन नहीं कर सकता।