झारखंड के नए मुख्यमंत्री आपका शुक्रिया, पर आपको जनांदोलनों को कुचलने वाली नीतियों को खत्म करने की लेनी होगी पहल
झारखंड की नई हेमंत सरकार ने तीस हजार आदिवासियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज देशद्रोह के मामलों को लिया वापस, सरकार के फैसले से आदिवासियों, आंदोलनकारियों के बीच खुशी की लहर, लेकिन और उम्मीदें अब भी बाकी...
रांची से सामाजिक कार्यकर्ता आलोका कुजूर
झारखंड की नयी हेमंत सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में सबसे अधिक देशद्रोह के मामलों को वापस करने के फैसले का स्वागत करते हैं। फेसबुक पोस्ट पर पत्थलगड़ी को समर्थन देने पर 20 लोगों पर धारा 121, 121ए, 124ए, धारा लगा दिया गया था जिसमें मैं भी हूँ। मैंने पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान गैंगरेप जैसी घटना की कड़ी निदा की थी। यह केस विगत दो सालों से खूंटी के विरबांकी का इलाके में धधक रहा था।
आज नयी सरकार ने आदिवासियों के उपर लगे केस को हटाकर परम्परागत पत्थलगड़ी को राजनीति सम्मान दिया। ऐसे अनेकों केस भाजपा के शासन काल में आदिवासी आंदोलनकारियों पर लगाएं गये हैं। नयी सरकार का फैसला आदिवासी आंदोलनकारियों के लिए बड़ी खबर है। इस सरकार से हम उम्मीद करते हैं कि 5 साल में जितने आंदोलनकारी पर केस दर्ज हुए हैं उन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
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नेतरहाट फिल्डफाइरिंग रेंज में 27 साल से चल रहे आंदोलन को 23 मार्च 2019 को उस वक्त तोड़ने की कोशिश की गई जब शांतिपूर्वक सभा कर रहे लोगों और उनका नेतृत्व कर रहे लोगों के खिलाफ झूठे केस दायर किया गया। पलामू में भोजन के अधिकार एवं वनाधिकार पर चल रहे आंदोलनों के आंदोलनकारियों पर फर्जी केस दायर किया गया।
यातना का शिकार रहे आदिवासी समाज ने सबसे बड़े लोकतंत्र में आंदोलन के जरिए जितने भी संघर्ष किए, भाजपा ने उन आंदोलनों पर दमनात्मक कार्रवाई की। इस दमन की वजह से युवा वर्ग गांव छोड़ कर बाहर रह रहे थे। अब उन्हें गांव वापस बुलाकर रोजगार से जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए।
फर्जी देशभक्ति वाली भाजपा की सरकार ने जिस तरीके से भारत के संविधान तोड़ने का प्रयास किया तथा कानून की धारा, न्यायपालिका के आदेश की अवहेलना के लिए पुलिस प्रशासन का उपयोग कर आम जनताओं को परेशान किया गया। उस प्रशासन पद पर बैठे लोगों के उपर भी कारवाई करते हुए राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर संविधान की मान को बनाए की भी पहल कर जनता को राहत देने का काम करे।
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झारखंड में सबसे अधिक देशद्रोह के मामले की वापसी से काम नहीं चलेगा। नयी सरकार को उन केसो पर भी फैसला लेना होगा जो लम्बे अरसे से विचाराधीन है। जेल में बंद विचाराधीन कैदी 20 साल से कैद हैं, उनको घर भेजने की कोशिश होनी चाहिए। गैंगरप मामले में त्वरित कार्यवाही हो। 514 बेरोजगार युवाओं को नौकरी का लालच देकर उनकी जमीन को प्रशासन ने अपने नाम कर लिया, उन युवाओं को नक्सल बनाकर जेल में रखा और नौकरी नहीं दी।