Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

खुद मजदूरी कर अपना पेट पालते शिवबचन प्रजापति, लेकिन अपनी पूरी जमीन की सब्जियां बांट देते हैं गरीबों में

Manish Kumar
6 May 2020 3:09 PM IST
खुद मजदूरी कर अपना पेट पालते शिवबचन प्रजापति, लेकिन अपनी पूरी जमीन की सब्जियां बांट देते हैं गरीबों में
x

आजमगढ़ जिले के उकरौड़ा के किसान शिवबचन के पास महज 6 विस्वा जमीन है। वे संकट की इस घड़ी में अपनी पूरी 6 बिस्वा जमीन पर उगाई गईं सब्जियां गरीबों को दानकर उनकी मदद कर रहे हैं...

विवेक त्रिपाठी की रिपोर्ट

जनज्वार, आजमगढ़। कोरोना वायरस से जैसे सबकुछ थम सा गया है। लेकिन ऐसी परिस्थिति में भी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के किसान शिवबचन प्रजापति ने अपने उपनाम 'प्रजापति' को सार्थक कर दिया है। वे संकट की इस घड़ी में अपनी पूरी 6 बिस्वा जमीन पर उगाई गईं सब्जियां गरीबों को दानकर उनकी मदद कर रहे हैं।

कोरोना वायरस को रोकने लिए हुई बंदी में सबसे ज्यादा परेशानी गरीबों और किसान को हो रही है। संकट के इस समय में अन्नदाता किसान एक बार फिर मदद के लिए सामने आया है। गरीबों को पेट भरने को न सिर्फ अन्न मुहैया करवा रहा है बल्कि उन्हें सब्जियां मुहैया करा रहा है। यह बात अलग है कि सरकार हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ मदद कर रही है। बावजूद इसके आजमगढ़ ने किसान शिवबचन प्रजापति ने अपने सहयोग का दायरा बढ़ा दिया है।

यह भी पढ़ें - बिल्डरों के कहने पर येदियुरप्पा ने कैंसिल कराई ट्रेनें, कर्नाटक के प्रवासी मजदूर अब नहीं जा पाएंगे अपने घर

आजमगढ़ जिले के उकरौड़ा के किसान शिवबचन के पास महज 6 विस्वा जमीन है। वह मजदूरी करके अपना पेट पाल रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान गरीबों को नि:शुल्क सब्जी मुहैया करवा रहे हैं। वे अपने खेतों में उगने वाली सब्जियों में से तकरीबन 1 क्विं टल सब्जी लोगों को बांट चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। शिवबचन प्रजापति खुद गरीब हैं, लेकिन संकट की इस घड़ी में वे अपने से अधिक गरीबों के लिए एक 'प्रजापति' की तरह बन गए हैं।

आईएएनएस से बातचीत में शिवबचन प्रजापति ने बताया कि उनके खेतों में इस समय पालक, लौकी, कद्दू, टमाटर की फसलें हैं, जो खूब फल-फूल रही हैं। लिहाजा वे अपने जीवनयापन के लिए जरूरी सब्जी निकाल कर बाकी सब्जियों को गरीबों में नि:शुल्क बांट रहे हैं। उनकी सोच है कि कम से कम बंदी के कारण बेरोजगार हुए मजदूरों को वे सब्जी ही मुफत में उपलब्ध करा सकें। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में कुछ मजदूरों में उन्होंने 50 किलो लौकी बांटी है।

शिवबचन खेती के बाद बचे समय में ठेले पर सब्जियां बेचकर प्रतिदिन करीब 300 रुपए कमा लेते हैं। वह कहते हैं इससे मेरा घर-परिवार खुशी से दो वक्त की रोटी खा रहा है।

यह भी पढ़ें- गेंहू से लदे ट्रक में वाराणसी से झारखंड जा रहे थे 15 मजदूर, बैरियर से टकराकर दो की मौत

शिवबचन की मदद को देखने वाले ग्रामीण उनके कायल हो गए हैं। ग्रामीण केदारचन्द कहते हैं, "संकट की इस घड़ी में घर पर ताजी सब्जियां मिलना, गरीबों को बड़ी राहत देने वाला है। कोरोना के संकट के समय सब्जियों को लेकर भी मन में संशय रहता है। अब गांव में ही सब्जी मिलने से मन में कोई डर नहीं रहता।"

उकरौड़ा के ग्राम प्रधान ब्रजेश सिंह ने आईएएनएस को बताया, "शिवबचन प्रजापति ठेला चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन उनके द्वारा कोरोना संकट में लोगों का मुफत में सब्जियां बांटी जा रही हैं। लॉकडाउन के दूसरे चरण से ही इन्होंने यह कार्य शुरू कर दिया था। आज भी उन्होंने यहां पर मनरेगा के मजदूरों को नि:शुल्क सब्जियां बांटी हैं।"

Next Story