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प्रेस रिलीज

8 जनवरी के भारत बंद को किसान और छात्र संगठनों का समर्थन, कहा भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है NRC और CAA

Nirmal kant
31 Dec 2019 7:01 AM GMT
8 जनवरी के भारत बंद को किसान और छात्र संगठनों का समर्थन, कहा भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है NRC और CAA
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सोशलिस्ट पार्टी ने किया भारत बंद का समर्थन, कहा मोदी सरकार की नीतियों से सिर्फ खेती किसानी नहीं, पूरे समाज और सभ्यता पर आ गया संकट....

जनज्वार। सोशलिस्ट पार्टी, ट्रेड यूनियन, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति व छात्र संगठनों ने 8 जनवरी 2020 को होने वाले भारत बंद का समर्थन किया है। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि देश में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण खेती-किसानी का संकट अब सिर्फ कृषि संकट नहीं रह गया है, यह समूचे समाज और सभ्यता का संकट बन गया है। सभ्यता के मूल्यों में चौतरफा गिरावट, हिंसा, उन्माद, उत्पीडऩ और अवैधानिकताओं को स्वीकृति मिलना इसी के प्रतिबिंबन हैं।

यान में कहा गया है कि लोगों के आक्रोश को भटकाने के लिए सत्ता अब शिक्षा, शिक्षकों और विश्वविद्यालयों, किताबों और बौद्धिकता को अपने हमले का निशाना बना रही है। देश, समाज और सभ्यता को बचाने के लिए जरूरी है कि इन विनाशकारी नीतियों को बदलकर उनकी जगह जनहितैषी और देशहितैषी नीतियों को लाया जाए।

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सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने प्रेस को बयान जारी कर कहा कि हाल के दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े सारे संकेतों ने समूचे देश को चिंता में डाल दिया है। मैनुफैक्चरिंग की विकास दर का ऋणात्मक हो जाना, नागरिकों की मासिक खपत में करीब 100 रुपयों की कमी आ जाना, बेरोजगारी दर का तेजी से बढ़ जाना और दैनिक उपभोग की चीजों के दाम में लगातार वृद्धि होते जाना इसी के उदाहरण हैं। रही-सही पोल जीडीपी ने खोल दी है। यह गिरावट सरकार द्वारा अपनाई गई देशी-विदेशी कॉर्पोरेट-हितैषी नीतियों का नतीजा है।

विनाशकारी नीतियों के उलटने के बजाय मोदी सरकार संकट को और अधिक बढ़ाने के उपाय कर रही है। हाल में रिजर्व बैंक के सुरक्षित भंडार में से पौने दो लाख करोड़ रुपये निकालकर ठीक इतनी ही राशि की सौगातें कॉर्पोरेट कंपनियों को दिया जाना इसी मतिभ्रम की नीतियों को आगे बढऩे का उदाहरण है।'

न्होंने आगे कहा कि देश की किसान आबादी की हालत और भी अधिक खराब होती जा रही है। करीब 18 करोड़ किसान परिवारों में से 75 प्रतिशत परिवारों की आय मात्र 5000 रुपये मासिक या उससे भी कम है। उस पर खाद, बीज और कीटनाशकों में विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों को मनमर्जी की कीमतें तय करने की छूट देकर और फसल खरीदी के सारे तंत्र को ध्वस्त करके पूरे देश में खेती को अलाभकारी बनाकर रख दिया गया है।

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यान में कहा गया है कि एनआरसी, सीएए भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं। संविधान की धारा 6 तथा 7 में प्रावधान है कि जो व्यक्ति या जिसके माता-पिता भारत सरकार कानून 1934 के राज्यक्षेत्र में जन्मे हैं उन्हें भारत का नागरिक माना जाएगा। अनुच्छेद 326 में लिखा है कि मतदाता सूची बनाते समय किसी को भी जाति, धर्म, वंश तथा भाषा आदि कारण से वंचित नहीं रखा जाएगा। भारत के चतुसीमा के अंदर जन्मे सब स्त्री-पुरुष भारत के नागरिक है। यह स्पष्ट भूमिका संविधान में प्रकट की है उसे खत्म करने वाला रवैया अमित शाह तथा उनकी पार्टी भाजपा अपना रही है। सोशलिस्ट पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है।

यान के मुताबिक, सोशलिस्ट पार्टी का मानना हैं कि यह सरकार किसान, युवा, छात्र विरोधी हैं और नवउदारवाद की हितैषी हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 8 जनवरी 2020 के भारत बंद का समर्थन करती हैं और इस आंदोलन में पार्टी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगी।

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