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शिक्षा

फर्जीवाड़े और घोटालों के नेपथ्य में भोपाल का 'विश्वरंग' लिटरेचर फेस्टिवल

Prema Negi
3 Nov 2019 5:58 AM GMT
फर्जीवाड़े और घोटालों के नेपथ्य में भोपाल का  विश्वरंग लिटरेचर फेस्टिवल
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कई घोटालों का दाग समेटे आईसेक्ट यूनिवर्सिटी की काली परछाई के बीच गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के नाम वाली इस यूनिवर्सिटी का चाल-चरित्र और चेहरा बहुत से विद्वानों और साहित्यकारों को नहीं आ रहा रास, कह रहे हैं साहित्य के नाम पर हो रहा है तमाशा

भोपाल से सौमित्र रॉय

भोपाल, जनज्वार। करीब एक महीने से कुछ ज्यादा समय की बात है। स्टूडेंट्स वीजा पर दो लड़के ब्रिटेन जा रहे थे। सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर जब दोनों को पकड़ा गया तो जांच में उनकी डिग्री फर्जी निकली। गुजरात के नाडियाड के 22 वर्षीय सागर प्रजापति और आणंद के निवासी 28 साल के केयूर पटेल ने बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के सीवी रमण यूनिवर्सिटी से बैचलर और कंप्यूटर एप्लीकेशन की फर्जी डिग्री ले रखी थी। सागर ने जहां इसके लिए यूनिवर्सिटी को 42 हजार रुपए दिए थे, वहीं केयूर को 56 हजार रुपए चुकाने पड़े। पिछले साल इसी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर समेत 4 अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।

प इस यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर चले जाइए। पता चलेगा कि सीवी रमण यूनिवर्सिटी असल में आईसेक्ट यूनिवर्सिटी है। इसकी स्थापना आईसेक्ट समूह के द्वारा 2006 में की गई थी। यह अंडरग्रेजुएट से लेकर डॉक्टोरल तक की डिग्रियां देती है। साल 2010 में इस यूनिवसिर्टी का नया नाम रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी कर दिया गया।

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2016 में गुजरात के एक नौकरशाह ने इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ यूजीसी में भी शिकायत की थी, जिसमें साफ कहा गया था कि यह गुजरात में यूजीसी के सारे नियम-कायदों को ताक पर रखकर डिग्रियां बांट रही है। लेकिन यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति संतोष चौबे के रसूख के चलते यूजीसी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ईसेक्ट ग्रुप का नाम यूनिवर्सिटी खोलने से पहले मध्य प्रदेश में कंप्यूटर घोटाले और भोपाल की बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी के शिक्षण केंद्र घोटाले में भी सामने आया था, लेकिन यह संतोष चौबे का ही कमाल है कि वे सत्ता से बखूबी सभी चीजों को मैनेज कर लेते हैं। फिर चाहे सत्ता किसी की भी हो। एक व्यापारी की तमाम खूबियां उनमें हैं। उन्होंने बीते 6 साल में आईसेक्ट यूनिवर्सिटी को भारत के कई राज्यों में पहुंचा दिया है, जिनमें झारखंड प्रमुख है।

स समय रवींद्रनाथ यूनिवर्सिटी फिर चर्चा में है, क्योंकि यही प्राइवेट यूनिवर्सिटी 4-10 नवंबर को भोपाल में साहित्य उत्सव का आयोजन करने जा रही है। यूनिवर्सिटी का दावा है कि इस उत्सव में 30 देशों के 500 से अधिक साहित्यकार, कवि और रचनाकार भाग लेंगे। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन इसका उद्घाटन करेंगे, जो कि राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के भी इस कार्यक्रम में भाग लेने की संभावना है।

गुरुवार को यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति संतोष चौबे ने मीडिया के सामने दावा किया कि विश्व रंग के नाम से होने वाले इस आयोजन में चित्रा मुद्गल, ममता कालिया, असगर वजाहत, धनंजय वर्मा, आबिद सुरती, लीलाधर मंडलोई, कैलाशचंद्र पंत, डॉ. राहत इंदौरी, वसीम बरेलवी और नुसरत मेहंदी जैसी शख्सियतें भाग लेंगी।

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हालांकि एक के बाद एक कई घोटालों का दाग समेटे आईसेक्ट यूनिवर्सिटी की काली परछाई के बीच गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के नाम वाली इस यूनिवर्सिटी का चाल-चरित्र और चेहरा बहुत से विद्वानों और साहित्यकारों को रास नहीं आ रहा है। चौबे ने कहा कि यह समागम हिंदी और भारतीय भाषाओं के बीच वैचारिक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम बनेगा। लेकिन साहित्य जगत की कुछ नामी हस्तियां इस आयोजन से इसलिए किनारा कर रही हैं, क्योंकि आयोजकों ने कला और साहित्य जगत की जिन प्रमुख हस्तियों को भाग लेने के लिए चुना है, उनकी विचारधारा पिछले कुछ समय से दक्षिणपंथी हिंदूवादी विचारधारा को समर्थन देने वाली रही है। ऐसे में कई साहित्यकारों को आशंका है कि इस आयोजन में अभिव्यक्ति के नाम पर उसी वैचारिक पक्ष को हवा देने की कोशिश की जाएगी।

हालांकि आयोजकों को भी मेहमान साहित्यकारों और रचनाकारों की चिंताओं का पता है। यही वजह है कि आयोजन की कार्यसूची में ज्यादा समय परफॉर्मिंग आर्ट को दिया जा रहा है। आयोजनकर्ताओं में से यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करते हुए कहा कि बॉलीवुड के सितारे, बैंड और मुशायरे इस आयोजन के आकर्षण होंगे। इससे साफ है कि भीड़ बढ़ाने के लिए साहित्यिक चर्चा को कम और सांस्कृतिक संध्या को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।

भोपाल की मीडिया ने इस आयोजन को लेकर उठ रहे विवादों से अपनी दूरी बना ली है। इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि हर साल शैक्षणिक सत्र से पहले आईसेक्ट से करोडों के विज्ञापन मीडिया को बांटे जाते हैं। 2015 में आयकर विभाग ने आईसेक्ट यूनिवर्सिटी में छापा मारकर 23 करोड़ रुपए की काली कमाई पकड़ी थी।

हरहाल रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी के इस आयोजन की पृष्ठभूमि में जो कुछ है, उससे भोपाल के कई लोग अनजान हैं। जो इसके बारे में जानते हैं, वे ‘साहित्य के नाम पर हो रहे तमाशे’ को हंसकर टाल रहे हैं। अब देखना यह है कि 4 नवंबर में शुरू हो रहे इस आयोजन में हिंदी के कुछ नामचीन साहित्यकार किस विचारधारा के साथ किस दिशा में अपनी बात कहते हैं।

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